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लॉक डाउन पर एक नजर…राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश पुंज की कलम…

प्रकाश पुंज रायपुर

मैं आपको मार्च से थोड़ा पहले दिसंबर 2019 में ले चलता हूं जब चीन में कोविड-19 का पहला मरीज़ सामने आया था। तमाम अखबारों और समाचार चैनलों में इस बात का प्रसारण हो रहा था कि चीन में एक बेहद ही जानलेवा वायरस का प्रकोप फैला है जिससे इंसानी मौतें हो रही हैं और जिसके चलते चीन ने 10 दिनों में ही 1000 बेड का हॉस्पिटल तैयार कर लिया था।

इधर भारत में राजनीतिक माहौल अपनी चरम सीमा पर था क्योंकि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) के मुद्दे पर देश में विरोधाभास और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा था। देश में तमाम जगह इसके खिलाफ़ धरना प्रदर्शन हो रहे थे और जुलूस निकाले जा रहे थे। दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए थे, विशेषकर मुस्लिम महिलाएं और उनके साथ छोटे छोटे बच्चे। तमाम समाचार चैनलों पर सुबह शाम रोज डिबेट शुरू होने लगी। हिंदू मुस्लिम की बातें होने लगीं। टीवी शोज़ में प्रत्येक राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता अपनी-अपनी पार्टी का पक्ष रखने के लिए किसी भी हद से गुजर जाने को तैयार था। देश में राजनेताओं द्वारा अमर्यादित बयान बाजी भी शुरू हो गई थी। साथ ही सोशल मीडिया पर भी एक अघोषित जंग सी शुरू हो गई थी। लेकिन किसी को इस बात का ज़रा भी इल्म नहीं था कि एक जानलेवा वायरस हमारे पड़ोसी देश में जन्म ले चुका है जो कि इंसानी मौतों का कारण बन रहा है।

दिल्ली चुनाव के खत्म होने के बाद एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का इवेंट भारत के गुजरात राज्य में अहमदाबाद शहर में हुआ जिसका नाम था “नमस्ते ट्रंप” जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत बुलाया था जिसके लिए करोड़ों रुपए भी खर्च किए गए गरीबी को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से छुपाने के लिए एक बहुत बड़ी दीवार भी बनाई गई। इस कार्यक्रम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, जहां पीएम मोदी ने उनका स्वागत किया। साबरमती आश्रम से ट्रंप का क़ाफ़िला अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम पहुंचा, जहां ट्रंप और पीएम मोदी ने ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम को संबोधित किया। यह कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी!’ कार्यक्रम की तर्ज पर आधारित था, जो सितंबर 2019 में अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित हुआ था।

समय बीते बीते फरवरी के अंत में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक भूचाल आया, जहां कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी तेवर सामने आने लगे। यद्यपि 2019 से ही दबे स्वर में यह बातें उठने लगी थी की सिंधिया कांग्रेस पार्टी छोड़कर अपनी कोई दूसरी राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं। लेकिन खुलासा तब हुआ जब उन्होंने राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस पार्टी को छोड़कर अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश कर लिया, शर्त थी, राज्यसभा का टिकट और वही हुआ। भाजपा ने उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया। उधर भाजपा ने कर्नाटक में सिंधिया समर्थक सभी विधायकों और मंत्रियों को जो कि कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुने गए थे, उन्हें बेंगलुरु में एक होटल में आइसोलेट कर दिया जहां भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी। तमाम सियासी ड्रामे के बाद अंत में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च 2020 को इस्तीफ़ा देना पड़ा और 24 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके विधायकों के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जिसके ठीक अगले दिन 25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतवर्ष में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी। हालांकि 22 मार्च 2020 को 1 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को ही कर दी थी।

 

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