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क्या मंदिरों को सेनेटाईज करना, हिंदू धार्मिक मान्यताओं के ख़िलाफ़ नहीं है? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

 

समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से सरकार, समाज और देश की जनता के सामने एक रोचक और गंभीर स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा है कि जब केंद्र सरकारों द्वारा धार्मिक संस्थानों को खोलने की अनुमति मिल गई है तब उस परिस्थिति में तमाम धर्मों के और समुदायों के धार्मिक संस्थानों को खोलने की तैयारी की जा रही है। देखने लायक बात यह है की तमाम धार्मिक संस्थानों में सफाई व सुरक्षा के साथ ही कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण हुए लॉकडाउन के बाद मोदी सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन करने के साथ ही इन धार्मिक संस्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, बौद्ध स्तूप, जैन तीर्थ मंदिर, गुरुद्वारे आदि को सेनीटाइजर स्प्रे के माध्यम से सेनेटाईज किया जा रहा है तथा वहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी सेनेटाईज करने की व्यवस्था की जा रही है

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यता के अनुसार शराब या शराब से बनी वस्तुएँ पूर्ण रूप से वर्जित होती हैं। तो मैं सरकार, समाज और हिंदू धर्म के अनुयायियों से प्रश्न करता हूं कि जब शराब हमारे धर्म में वर्जित है तो किस प्रकार से, कैसी स्थिति में और कौन से आधार पर सैनिटाइजर का उपयोग मंदिरों में किया जा रहा है जबकि सैनिटाइजर में अल्कोहल मतलब शराब की मात्रा सबसे अधिक होती है। इस प्रश्न का जवाब सभी को देना बहुत जरूरी है। इस प्रश्न को करने के पीछे मेरी मंशा सरकार पर उंगली उठाना नहीं है और ना ही किसी की धार्मिक आस्था या मान्यता को ठेस पहुंचाना है, बल्कि जागरूक करना है कि भगवान को सैनिटाइजर की आवश्यकता नहीं है बल्कि हमें स्वयं में अनुशासन लाने की आवश्यकता है।मेरे द्वारा उठाए गए इस प्रश्न के बारे में अवश्य सोचें।

 

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