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हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में विगत दो वर्षों में 637 से भी ज्यादा सर्जरी…जटिल एवं असाधारण सर्जरी से स्थापित किये हैं नये कीर्तिमान..

 

विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में छाती, फेफड़े एवं खून की नसों का सफल उपचार…

रायपुर/ पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सालय से संबद्ध डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के अंतर्गत संचालित एडवांस्ड कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने विगत दो वर्षों में 637 से भी अधिक छाती, फेफड़ों एवं खून की नसों से सम्बन्धित सर्जरी करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इसमें से 240 केस छाती एवं फेफडे़ तथा 379 केस खून की नसों से एवं 18 केस हार्ट सर्जरी से संबंधित हैं। इसी प्रकार कुल 637 सर्जरी में कैंसर के मामले देखें तो 11 नसों से संबंधित कैंसर, 46 केस फेफड़े एवं छाती के कैंसर, 81 केस एक्सीडेंट एवं ट्रामा एवं 55 केस टी.बी. से संबंधित है। जटिल एवं दुर्लभ सर्जरी करने के कारण न केवल छत्तीसगढ़ में वरन् पूरे देश में इस संस्थान की ख्याति फैली है। इस सफलता का श्रेय टीमवर्क को जाता है जिसमें कार्डियक सर्जरी के अलावा एनेस्थेसिया एवं क्रिटिकल केयर, कार्डियोलॉजी, रेडियोलॉजी, मेडिसिन, जनरल सर्जरी एवं पैथोलॉजी विभाग का योगदान रहा है।

गौरतलब है कि हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग 1 नवंबर 2017 में एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के अधिग्रहण के पश्चात् प्रारंभ हुआ था। वर्तमान में यहां पर दो नियमित पूर्णकालिक कार्डियक सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू एवं डॉ. निशांत सिंह चंदेल अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. कृष्णकांत साहू, हॉर्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी के विभागाध्यक्ष हैं। एनेस्थेटिस्ट के रूप में डॉ. ओमप्रकाश सुंदरानी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

 

विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार, छत्तीसगढ़ की जनता को इस संस्थान से बहुत लाभ हुआ है। जो मरीज पहले इन सभी ऑपरेशन के लिए महानगर जाते थे, अब उनका इलाज इस संस्थान में होने लगा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एसीआई में हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी प्रारंभ हो जाने के बाद बड़े से बड़े ऑपरेशन के लिए शहर या प्रदेश के बाहर से किसी विशेषज्ञ सर्जन को बुलाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह सब यहां के सर्जन एवं टीमवर्क से संभव हो पाया है। यहां बहुत ही जल्द ओपन हार्ट सर्जरी एवं बाईपास सर्जरी प्रारंभ होने वाली है। कोरोना काल में भी यहां आपातकालीन सर्जरी हुए हैं और लगातार हो रहे हैं। यहां की जाने वाली सभी सर्जरी बहुत विषम परिस्थितियों में हुई है। बाईपास सर्जरी में इसलिए लेट हो रहा है क्योंकि जब एस्कार्ट का अधिग्रहण हुआ था तब एस्कार्ट मैनेजमेंट ओपन हार्ट सर्जरी और बायपास सर्जरी से संबंधित सारे उपकरण अपने साथ ले गए थे परंतु आज सरकार के द्वारा धीरे-धीरे सर्जरी से संबंधित संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है।

हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग को प्रारंभ हुए 2 वर्ष पूर्ण हो गये हैं। 1 जनवरी 2018 से 30 जनवरी 2020 तक इन 2 सालों में हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग में 637 केस हुए। वहीं कुल मृत्यु इन 2 सालों में 11 थी जिसका मुख्य कारण मरीजों का बीमारी के बहुत ही एडवांस स्टेज में या बीमारी के बहुत बढ़ जाने के बाद अस्पताल पहुंचना था।

विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू, हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी

एसीआई के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने छाती, फेफड़े एवं खून की नसों की सर्जरी में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यहां बहुत से ऐसे केस हुए हैं जो कि छत्तीसगढ़ में प्रथम बार किये गये हैं।

पहले खिलाई आइसक्रीम फिर किया सर्जरी

ट्रामेटिक काइलो थोरेक्स सर्जरी जिसमें दुर्घटना के कारण मरीज के छाती के अंदर काइल डक्ट पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस प्रक्रिया के लिए मरीज को ऑपरेशन के पहले आइसक्रीम खिलाया गया था जिससे थोरेसिक डक्ट को पहचाने में आसानी हुई एवं उसके थोरेसिक डक्ट को रिपेयर किया गया।

बोन सीमेंट से बनाई पसली

पोस्टीरियर मेडिस्टाइनल ट्यूमर एक तरह की छाती का कैंसर है जिसकी सर्जरी छत्तीसगढ़ में प्रथम बार हुई थी। एक बहुत बड़े छाती के ट्यूमर जिसको निकालने के बाद पुनः पसली बनाने के लिए बोन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया था। यह अपने आप में बहुत ही अनूठी सर्जरी थी।

दायें पैर की नस को बायें पैर में लगा कर मरीज का पैर कटने से बचा लिया गया

हाथ की नस को पैर की नस से जोड़कर पैर कटने से बचा लिया। इसे मेडिकल भाषा में एक्जिलो फिमोरल बाईपास कहा जाता है। एस्परजिलोमा एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है जिसमें छाती में गांठ बन जाता है एवं मरीज को खांसी के साथ साथ खून निकलता है। इस बीमारी में फेफड़े में छेद हो जाता है जिसको ब्रॉन्को प्लूरल फिस्टुला कहा जाता है। इसका भी सफल ऑपरेशन किया गया जिसमें प्लास्टिक सर्जन की मदद से मसल फ्लैप लगाया गया था। यह भी अपने आप में एक दुर्लभ सर्जरी थी। एक्सीडेंट में कटे हुए हाथ को पुनः जोड़ा गया। कैंसर के मरीज में थोरेसिक डक्ट बाईपास किया गया जो कि अपने आप में बहुत ही विशेष सर्जरी है। एस्परजिलोमा के केस में फिजियोलॉजिकल लोबेक्टमी किया गया जिसमें फेफड़े को ना निकालकर केवल खून की नसों को बंद किया गया।

देश की 13वीं और विश्व की 216 वीं सर्जरी

खून की नसों के ऐसे बहुत से ऑपरेशन हुए हैं जो कि छत्तीसगढ़ में प्रथम बार हुआ है जैसे कि पेट में स्थित महाशिरा जिसको इनफीरियर वेनाकेवा कहा जाता है, के ट्यूमर की सर्जरी जो कि देश की 13वीं सर्जरी थी एवं विश्व की 216वीं सर्जरी। पेट की महाधमनी जो कि गुब्बारे जैसा फूल गया था और बस फूटने वाला था जिसको मेडिकल भाषा में एओर्टिक एन्यूरिज्म कहा जाता है, का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। एओर्टाे बाई फीमोरल बाईपास जिसमें पेट की महाधमनी को दोनों पैर की खून की नसों से जोड़ा गया। इससे पैरों का गैंग्रीन ठीक हो गया एवं पैर काटने की नौबत नहीं आयी।

*किडनी एवं पेट की नसों की बाईपास सर्जरी*
सुपीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी सिंड्रोम जिसमें मरीज को खाना खाने के बाद पेट में दर्द होता था जिसका कारण पेट के नस में सिकुड़न होता है, उस सुपीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी का बाईपास किया गया। गले में स्थित कैरॉटिड आर्टरी जिसका काम हार्ट से ब्रेन में रक्त सप्लाई करना होता है, में कैरॉटिड बॉडी ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया जिससे मरीज को खाने एवं सांस लेने की दिक्कत समाप्त हो गई। सिंगल किडनी के मरीज में किडनी की नसों का बाईपास किया गया। मिड एओर्टिक सिंड्रोम एवं कोआर्टेशन आफ एओर्टा जिसमें महाधमनी बिल्कुल सिकुड़ जाती है एवं पेट एवं पैरों में रक्त की सप्लाई कम या बंद हो जाती है, का सफल आपरेशन किया गया।

 

हृदय, फेफड़े एवं खून की नसों के कैंसर की सफल सर्जरी

फेफड़े, खून की नसों एवं हृदय से संबंधित बहुत से ऑपरेशन हुए हैं जैसे लोबेक्टमी, न्यूमोनेक्टामी डिकॉर्टिकेशन ऑफ लंग (टीबी एवं निमोनिया के बाद लंग में मवाद पड़ जाने के कारण फेफड़ा सिकुड़ जाता है)। पोर्टल हाइपरटेंशन (जिसमें स्प्लीन बढ़ जाता है) स्प्लीनो रीनल शंट ऑपरेशन किया गया। कुत्तों से होने वाली हाईडेटिड सिस्ट जिसमें फेफड़े में बहुत बड़ा गुब्बारेनुमा सिस्ट बन जाता है कि सफलतम सर्जरी की गई है। उसी प्रकार लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी जिसमें फेफड़े को काटकर छोटा कर दिया जाता है। हार्ट के कैंसर की सर्जरी जिसको मेडिसिनल ट्यूमर कहा जाता है जिसके कारण मायस्थेनिया ग्रेविस नाम की बीमारी होती है जिसमें व्यक्ति की मांसपेशियां बहुत ही कमजोर हो जाती है एवं चल भी नहीं सकता। 5 वर्षीय बच्ची का पेरीकार्डियेक्टॉमी किया गया। इस प्रकार की जटिल सर्जरी एसीआई के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर विभाग में ही संभव हो सकी।

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