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आखिर क्या है सच्चाई…SP मामले की तह तक पहुंचेंगे…. पत्रकार वर्सेस SDOP… मामला क्या है ….पढ़े पूरी खबर …

सुनियोजित ढंग से एसडीओपी की जांच को प्रभावित करने किया गया हंगामा ?..

जानबूझकर किया जा रहा है हंगामा? 

अधिकारी पर गलत आरोप? 

मामला साहू समाज के धर्मशाला से जुडा हुआ..

अपने की बड़े अधिकारी के खिलाफ साजिश?

सारंगढ़ पुलिस मे चल रहा है साजिश और षडयंत्र ?…

सारंगढ़/सारंगढ़ पुलिस विभाग इन दिनो शह और मात के खेल मे व्यस्त हो गया है जब से यहा पर थाना प्रभारी के रूप मे नये अधिकारी पदस्थ हुआ है और कोरोना काल मे पुलिस की कार्यवाही मे अंचलवासियो ने जमकर साथ दिया है तब से अपना सुपरमैन की छबि बनाने के लिये थाना प्रभारी अपने ही विभाग के बडे अधिकारियो के खिलाफ षड़यंत्र रच रहे है ऐसा ही ताजा मामला एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे के खिलाफ एक कथित पत्रकार भरत अग्रवाल द्वारा लगाया गया झूठा आरोप है। जब शिकायत जांच मे पत्रकार भरत अग्रवाल को बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया गया किन्तु शिकायत को प्रमाणित पाये जाने की आशंका में भरत अग्रवाल ने एक पुलिस अधिकारी के संरक्षण मे पुलिस जांच को ही प्रभावित करने के लिये हंगामा खड़ा कर दिया ताकि मामले मे सूक्ष्म जांच न हो पाये और भरत अग्रवाल को मामले मे क्लीनचिट दे दिया जाये। किन्तु पुलिस कप्तान द्वारा दिया गया जांच आदेश को प्रभावित करने के लिये सारंगढ़ थाना के एक पुलिस अधिकारी के संरक्षण मे बड़े अधिकारी पर जबरन का आरोप पूरी तरह से राजनितिक नौटंकी है। अब देखना है कि इस मामले मे स्पष्ट रूप से प्रारंभिक जांच मे ही दोषी दिख रहे पत्रकार भरत अग्रवाल खुद के लिये क्लीन चिट पाने के लिये पुलिस कप्तान पर पत्रकार होने के नाते भारी पडेगे या रायगढ़ पुलिस किसी मे दबाव मे आये बिना भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर पाती है या नही?
सारंगढ़ का ताजा मामला निमार्ण के खिलाफ शिकायत और निमार्ण के एवज मे किया गया मोटी रकम के मांग से जुड़ा हुआ है। इस मामले मे सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ के रानीसागर मे साहू समाज के नाम पर वर्षो पुराना जमीन है जिस पर पुराना धर्मशाला को गिराकर साहू समाज के द्वारा आपसी चंदा एकत्रित कर धर्मशाला का निमार्ण कराया जा रहा है। इस साहू समाज के धर्मशाला के निमार्ण पर पत्रकार भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी ने आपत्ति जताते हुए लिखित शिकायत नगर पालिका सारंगढ् और एसडीएम सारंगढ़ से किया जहा पर साहू समाज के पदाधिकारियो को नोटिस जारी करने के बाद जांच मे साहू समाज के भवन को क्लीन चिट दिया गया वही माननीय न्यायालय तहसीलदार सारंगढ़ में भी इस आशय का शिकायत पत्र प्रस्तुत कर मामले मे न्यायालीन कार्यवाही प्रारंभ किया गया जहा पर कार्यवाही अभी लंबित है इस बीच पूरे मामले मे व्यापक रूप से मोटी रकम की मांग शिकायतकर्ताओ के द्वारा किया गया नही तो पूरा मामला माननीय उच्च न्यायालय मे पेश करने की धमकी दिया गया। इस धमकी के बाद भी साहू समाज के पदाधिकारियो ने किसी भी प्रकार से विचलित नही होते हुए अपना धर्मशाला का निमार्ण जारी रखा। वही इस संबंध मे रिट याचिका माननीय हाईकोर्ट मे दायर करने के बाद यह मामला काफी गर्म हो गया वही फिर एक बार पूरे मामले मे मोटी रकम की मांग करने और मामला समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव शिकायतकर्ताओ के द्वारा सामने लाया गया जिस पर साहू समाज के पदाधिकारियो ने बैठक कर पूरे मामले की जानकारी प्रदेश पदाधिकारियो को दिया जहा पर केन्द्रीय पदाधिकारियो ने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को मामले की जानकारी देते हुए भरत अग्रवाल और ओकार केशरवानी एवं एक अन्य के खिलाफ शिकायत किया तथा धर्माध धर्मशाला का निमार्ण पर अवैध रूप से दबाव बनाते हुए मोटी रकम की मांग करने संबंधी शिकायत को सामने रखा जिस पर गृहमंत्री ने पूरे मामले मे संबधित पुलिस अधिकारी के पास शिकायत को रखने का सलाह दिया जिसके बाद जन-चौपाल आयोजन मे केड़ार मे पधारे पुलिस कप्तान संतोष सिंह को साहू समाज के पदाधिकारीयो ने इस आश्य का शिकायत दिया कि भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी के द्वारा दबाव डालकर मोटी रकम की मांग किया जा रहा है। इस शिकायत के साथ मोबाईल फोन की कुछ रिकार्डिग भी पुलिस शिकायत के साथ प्रदान किया गया इस शिकायत की जांच के लिये पुलिस कप्तान संतोष सिंह ने एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे को जांच का जिम्मा सौप दिया। जिसके तारतम्य मे एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे ने पूरे मामले मे जांच का कार्य प्रारंभ कर दिया तथा भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी को बयान देने के लिये अपने आफिस मे 21 नवंबर को तबल किया। जहा पर अपना बयान नही देते हुए भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी ने एसडीओपी पर गाली-गलौच और धमकी का आरोप लगा दिया। इस मामले मे एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे ने बताया कि ओंकार केशरवानी के साथ भरत अग्रवाल आया था तथा जांच की कार्यवाही जारी थी इस बीच उठकर बाहर निकल गया। बाद मे उन्हे ज्ञात हुआ कि सोशल मिडिया मे गाली-गलौच का आरोप लगाया गया है। एसडीओपी ने बताया कि उन्होने पुलिस कप्तान के निर्देशानुसार मामले की जांच प्रारंभ किया है।
मामले मे अपने को फंसते देख भरत अग्रवाल ने प्रायोजित हंगामा किया ?
इस पूरे मामले में जो बात छनकर सामने आ रही है उसमे खास यह है कि साहू समाज के द्वारा किया गया शिकायत मामले में भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी के द्वारा अपने आपको फंसते देखते हुए हंगामा खड़े करने के लिये किसी पुलिस अधिकारी से फोन पर बात किया और बाद मे एसडीओपी पर गाली-गलौच का आरोप लगा दिया ताकि मामला विवादित हो जाये और उनका नाम इस शिकायत पाती से हट जाये और पूरे मामले मे वे बरी हो जाये। इस बारे मे सूत्र बता रहे है कि भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी द्वारा किस पुलिस अधिकारी के निर्देशन में हंगामा किया उसकी जांच किया जाये और भरत अग्रवाल के मोबाईल की सीडीआर निकाली जाये तो उस पुलिस अधिकारी से हुई बातचीत का पूरा मामला सामने आ जायेगा जिसके संरक्षण मे पुलिस विभाग को बदनाम करने के लिये अपने ही अधिकारी के खिलाफ साजिश रचा गया है। सूत्रो की माने तो भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी को ज्ञात हो गया था कि उनके खिलाफ मामले मे कायमी हो सकती है इस कारण से जांच को प्रभावित करने के लिसे प्रायाजित हंगामा खड़ा किया गया। बताया जा रहा है पूरे मामले मे पत्रकार पद का उपयोग कर पूरा मामला को राजनितिक रंग दिया जा रहा है और साहू समाज के द्वारा किया गया शिकायत पर कोई कार्यवाही ना हो इसके लिये पुलिस पर जबरदस्त दबाव बनाये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
क्या साजिश के साथ एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे को फंसाया जा रहा ?
सारंगढ़ के भरत अग्रवाल के द्वारा एसडीओपी जीतेन्द्र खूंटे के खिलाफ जो आरोप लगाया गया है वह पूर्ण रूप से सुनियोजित और प्रायोजित लग रहा है। भरत अग्रवाल अजाक थाना रायगढ़ के 2010 के एक अपराध मे डीजे कोर्ट रायगढ़ के द्वारा दोषी पाया जा चुका है तथा उसे 5 वर्ष की सजा प्रदान किया गया है वर्तमान मे यह मामला माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर मे अपील मे लंबित है। अब फिर से एक अवैध उगाही के मामले मे दोषी पाये जाने के डर से भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी के द्वारा पुलिस की जांच को प्रभावित करने के लिये सुनियोजित षड़यंत्र कर हंगामा खड़ा किया जा रहा है ताकि पूरे प्रकरण मे दोनो के खिलाफ कोई कार्यवाही ना हो और हंगामा को राजनितिक रूप देकर जांच अधिकारी का ही स्थानान्तरण करा दिया जाये ताकि अन्य अधिकारी इस फाईल पर हाथ लगाने से डर जाये। वही पूरे मामले मे पर्दे के पीछे से पुलिस के एक थाना प्रभारी की भूमिका की सूक्ष्म जांच की आवश्यकता है जिसके संरक्षण मे पुलिस के बड़े अधिकारी के खिलाफ साजिश रची गई है। बताया जा रहा है कि बीती रात को आफिसर्स कालोनी मे एक पुलिस अधिकारी के सरकारी निवास में भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी की पुलिस अधिकारी के साथ लंबी मिटिंग हुई है तथा हंगामा की पटकथा पहले से तैयार कर दिया गया है। सूत्रो की माने तो इस पुलिस अधिकारी ने भरत और ओंकार को बता दिया कि वे इस मामले मे दोषी पाये जा सकते है इस कारण से हंगामा करो नही तो जेल चले जाओगे। वही एसडीओपी को सारंगढ़ से हटाने के लिये लामबंद करने मे यह हंगामा काफी मददगार होने के कारण से पूरा मामला सुनियोजित षड़यंत्र के साथ रखा गया है।
तानाशाही और मनमानी पर एसडीओपी को बाधा मंजूर नही ?
इस पूरे मामले मे खुफिया सूत्र जो जानकारी दे रहे है वह काफी हतप्रभ करने वाला है। बताया जा रहा है कि भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी तो पूरे मामले में सिर्फ मोहरा है पूरा षड़यंत्र एक पुलिस के चेहरे के द्वारा रचा गया है। बताया जा रहा है कि अपनी मनमानी और अवैध उगाही के लंबे कार्य में पुलिस के सजग अधिकारी के रूप मे एसडीओपी एक थाना प्रभारी को खटक रहा था और एसडीओपी को रास्ते से हटाने के लिये कई बार प्रयास करने के बाद सुनियोजित षड़यंत्र के साथ इस बार प्रायोजित हंगामा खड़ा करने के लिये यह साजिश रची गई है। थाना प्रभारी की मनमानी और तानाशाही का दो दर्जन से अधिक शिकायत पुलिस के बड़े अधिकारियो के पास पहुंच चुकी है तथा उन सभी मामलो मे जांच का आदेश होने से हड़बड़ाये थाना प्रभारी अपने आपको सरल और सीधा बताने के लिये अपने बड़े अधिकारी को साजिश के साथ फंसाने का षड़यंत्र रच रहे है। यह पहली बार नही है जब पुलिस के बड़े अधिकारी के खिलाफ यहा पदस्थ पुलिस के द्वारा साजिश रचा गया हो पूर्व मे जहा-जहा पर ये चेहरे पदस्थ थे वहा ऐसा कृत्य कर चुके है।
पत्रकारो ने किया एसडीओपी के खिलाफ साजिश की निंदा
सारंगढ़ के कई पत्रकार और उनके संघो ने सारंगढ़ मे एसडीओपी को साजिश के साथ फंसाने के मामले की निंदा किया है। कई पत्रकारो ने सोशल मिडिया मे अपनी बाते रखते हुए कहा कि पुलिस के बड़े अधिकारी को साजिश के साथ फंसाने का घिनौना क़ृत्य सही नही है। भरत अग्रवाल और ओंकार केशरवानी को क्या पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के द्वारा जारी जांच पर भरोसा नही है? या हंगामा करके मामले मे दोनो क्लीन चिट लेना चाह रहे है। सारंगढ़ के पत्रकारो ने एक पुलिस थाना के प्रभारी के द्वारा पूरे मामले मे षडयंत्र रचने को भी शर्मनाक बताया है। पूर्व मे कई पत्रकारो के खिलाफ साजिश के तहत शिकायत करवा कर मामला कायमी करने मे इस थाना प्रभारी की भूमिका की जांच की मांग करते हुए डीजीपी छत्तीसगढ़ और आई जी बिलासपुर को पत्र भेजकर सारंगढ़ के थाना प्रभारी के द्वारा साजिश के साथ पुलिस अधिकारी को फंसाने की साजिश का जांच की मांग किया है।

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