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आत्म हत्या रोकने इस तरह स्वास्थ्य विभाग चलाएगा अभियान …….और इस तरह पहचान कर किया जाएगा …………..विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह पर ……पढ़े पूरी खबर

विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह में मानसिक रोगियों की होगी पहचान, किया जाएगा उपचार

रायगढ़ ।

 

विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के उपलक्ष्य में 6 से 11 सितम्बर तक प्रदेश में मुख्य रूप से मानसिक अवसाद या तनाव से ग्रस्त मरीजों की पहचान की जायेगी और उनको उपचार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस सम्बन्ध में डॉ महेंद्र सिंह उप संचालक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की ओर से राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों पत्र भी जारी किया गया है जिसमें आत्महत्या रोकथाम के लिए जन-जागरूकता बढ़ाने की बात कही गयी है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी 10 सितम्बर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस बार विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम “Creating Hope Through Action” (कर्म से उम्मीद जगाना) निर्धारित की गयी है। इस दिवस के उपलक्ष्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाएगा।
इस सम्बन्ध में मानसिक रोग विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायगढ़ के मनोचिकित्सक डॉ. राजेश अजगल्ले ने बताया, “अवसाद आत्महत्या का एक मुख्य कारण होता है| प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य की सेवाएँ हर जिला अस्पताल के स्पर्श क्लिनिक में निशुल्क उपलब्ध है| मितानिन को भी मानसिक रोगियों की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया गया है| सबसे अच्छी बात यह है कि मानसिक रोगियों की पहचान गुप्त रखी जाती है क्योंकि इस रोग से बहुत सी गलत भ्रांतियाँ जुड़ी हुई है”।

*इन लक्षणों की पहचान कर हो सकती है आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्तियों की पहचान*
ऐसे व्यक्ति जो आत्महत्या से सम्बंधित लेख पढ़ते हों, लिखते हों या ऐसे विडियो देखने वाले लोग आत्महत्या का प्रयास कर सकते हैं| साथ ही ऐसे लोग जो आत्महत्या से सम्बंधित सामिग्री जैसे ब्लेड, चाकू इत्यादि अपने पास रखते हों, आत्महत्या कर सकते है। इसके अतिरिक्त अकेलापन महसूस करना, अकेले में समय बिताना, दिनचर्या एवं खान-पान में परिवर्तन, सही गलत की पहचान न होना, अत्यधिक मदिरा सेवन एवं अपने आप को निम्न कोटि का समझने वाले लोगों में भी आत्महत्या के विचार आ सकते हैं इसलिए ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर उनका विशेषज्ञों परामर्श अत्यधिक आवश्यक है।

*इन कारणों से लोगों के अन्दर आ सकते हैं आत्महत्या के विचार*
बेरोजगारी, गरीबी, मादक पदार्थों का सेवन, जुए की लत, पारिवारिक समस्या, मानसिक विकार, असफलता, प्रेम प्रसंग में असफलता, अवसादग्रस्त होना, अपने प्रियजनों की आकस्मिक मृत्यु, सामाजिक निरादर एवं उपेक्षा, घातक रोग एवं यौन शोषण इत्यादि कारणों से लोगों के अंदर आत्महत्या के विचार के विचार आ सकते हैं अतः ऐसे लोगों पर परिवार के लोगों एवं समाज को भी विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि समय पर मानसिक रोग विशेषज्ञों से इलाज करा कर ऐसे व्यक्तियों की जिन्दगी बचायी जा सके।

*मानसिक अवसाद या मानसिक तनाव का पूर्ण रूप से उपचार किया जा सकता है इसके लिए अपने परिवार, मित्र एवं मनोरोग विशेषज्ञ की मदद लेकर इन उपायों को अपनाकर मानसिक तनाव से बचा जा सकता है –*

-अपनी किसी भी परेशानी को दबाकर या छिपाकर न रखें अपने परिवार या दोस्तों के साथ इसको शेयर करें। परेशानी समझने के बाद परिवारवालों एवं दोस्तों का यह कर्त्तव्य है कि उस परेशानी का निराकरण करने का प्रयास करें। अगर व्यक्ति के अन्दर आत्महत्या के विचार आ रहें हैं तो उसको ऐसे विचार त्यागने को कहें ऐसे व्यक्ति के साथ रहें और उसके साथ समय बिताएं। ऐसे व्यक्ति को समझाएं कि आप हमेशा उसके साथ हैं और ऐसे विचार अपने मन में न लायें।

-ऐसे व्यक्ति का हमेशा ध्यान रखें वह क्या करता है, कहाँ जाता है, किससे बात करता है, क्या बात करता है उसकी बातों को सुनें एवं जो भी आवश्यक उसके लिए करें।

-जीवन के बारे में ऐसे व्यक्ति को कुछ अच्छी बातें बताएं, उसको जीवन का मूल्य समझाएं हर परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत दें एवं इसके लिए उसको प्रोत्साहित करें।

-बच्चों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए माता पिता को अपने बच्चों के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

-मानसिक एवं अन्य परेशानियों के लक्षण पाए जाने पर तुरंत पर मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

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