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जानिए क्यों निरस्त हुई एमएसपी की जन सुनवाई …….. जब चौतरफा पड़ा दबाव ….. यहां के प्रतिनिधियों द्वारा ओडिशा के क्षेत्रीय पर्यावरण विभाग सहित मेम्बर ऑफ सेक्रेटरी को लिखा था शिकायती पत्र …..क्या है खामियां पढ़े पूरी खबर और देखें नक्शा

 

रायगढ़।
जिले एमएसपी की जनसुनवाई जो आज 15 सितम्बर को होनी थी निरस्त कर दी गई है। इसमें सबसे खास बात ये है कि छत्तीसगढ़ के प्रभाव और खामियों को लेकर जिले के दो समाजिक कार्यकर्ताओ ने मशाल तो थामा ही था। इसमें सबसे रोचक बात ये है कि इनके ईआईए रिपोर्ट में 10 किमी के रेडियस में कोई गांव नहीं होना बताया गया है जबकि ईआईए के पेज क्रमांक 17 और 23 में लगे नक्शे का अवलोकन करें तो 10 किमी के अध्ययन क्षेत्र के अंदर इब और ब्रम्हणी नदी, और छत्तीसगढ़ का सांफड़ नाम की एक छोटी नदी आते है। इतना ही नही संबलपुर जिले का हमीरपुर ब्लॉक के 4 ग्राम पंचायत एवं झारसुगड़ा जिले के लखनपुर ब्लॉक के 4 ग्राम पंचायतें इस अध्य्यन के दायरे में आते हैं।
जिसकी जानकारी एमएसपी ओडिशा सरकार को नही दी गई खास बात ये है कि प्रबन्धन द्वारा अपने ईआईए में नक्शा तो लगाया है लेकिन रिपोर्ट में इसका उल्लेख नही किया गया है। जन सुनवाई की भनक जब ओडिशा के उक्त प्रभावित पंचायतों के प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी मिली।

 

ईआईए में संलग्न नक्शा पेज क्रमांक 17 में

हमीरपुर ब्लॉक के राजेन्द्र नायक द्वारा अपने क्षेत्रीय पर्यावरण मंडल सुंदरगढ़ को लिखा गया इसी तरह से झारसुगड़ा जिले के कई जन प्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्रीय पर्यावरण मण्डल झारसुगड़ा को लिखित शिकायत किया इतना ही नहीं ओडिशा राज्य के पर्यावरण सरंक्षक मण्डल भुवनेश्वर के सदस्य सचिव के समक्ष भी शिकायत पहुंचीं थी। जहां एक तरफ प्रभावित गांव के ग्रामीण एवं समाजिक कार्यकर्ताओ ने इस जनसुनवाई का विरोध किया तो वही ओडिशा के प्रभावित गांव के ग्रामीण और जन संगठनों द्वारा विरोध दर्ज कराया गया था।

ईआईए रिपोर्ट में संलग्न नक्शा पेज 23 जिसमे प्रभावित गांब साफ नजर आ रहा है

 

इस सम्बंध में जन चेतना के राजेश त्रिपाठी और रायगढ़ पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने बताया कि ओडिशा के झारसुगड़ा और सम्बलपुर के प्रभावित गांव के ग्रामीणों द्वारा इस जन सुनवाई को लेकर जानकारी हुई तब वहां जबरदस्त आक्रोश व्यापत हो गया था यदि जन सुनवाई स्थगित नहीं होती तो रायगढ़ से ज्यादा ओडिशा के दो प्रभावित जिले के ग्रामीणों के भारी हंगामा होने के आसार थे यही वजह है कि आनन फानन में जन सुनवाई को निरस्त करना पड़ा और खासतौर पर जब ओडिशा का दबाव बना तब पर्यावरण संरक्षण मण्डल रायपुर द्वारा इसे निरस्त करने का आदेश जारी किया गया।

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