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ठंड के मौसम में हार्ट के मरीज रहे सचेत..रखे अपना ख्याल- डॉ रामेश्वर शर्मा.. एक्सरसाइज करें..नमक-पानी कम लें..

प्रख्यात चिकित्सक व कोरिया सीएमएचओ डॉ. रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सर्दियों में अस्पताल में भर्ती होने और हृदय गति रुकने से मौत होने के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। जीवनशैली में कुछ बदलाव किये जाने से इससे बचा जा सकता है। ठंड के मौसम में तापमान कम हो जाता हैजिससे ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं| ऐसे में शरीर में खून का संचार अवरोधित होता है जिससेहृदय तक ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।जिसका अर्थ है हृदय को शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है| इसी वजह से ठंड के मौसम में हार्ट फेलियर के मरीजों की संख्या अस्पताल में बढ़ जातीहै।
 डॉ रामेश्वर शर्मा का कहना है डाक्टर से सलाह लेकर घर के अंदर दिल को सेहतमंद रखने वाली एक्सरसाइज करें, नमक और पानी की मात्रा कम कर दें क्योंकि पसीने न आने के कारण में यह शरीर से नहीं निकलता है| ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहें, ठंड की परेशानियों जैसे-कफ, कोल्ड, फ्लू आदि से खुद को बचाए रखें और घर पर हों तो धूप लेकर या फिर गर्म पानी की बोतल से खुद को गर्म रखें
ठंड का मौसम हार्ट के मरीजों को प्रभावित करता है|हार्ट फेलियर वाली स्थिति तब होती हैजब हृदय शरीर की आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त खून पंप नहीं कर पाता है| इसकी वजह से ह्दय कमजोर हो जाता है या समय के साथ हृदय की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं।
हार्ट फेलियर के प्रमुख कारण :
उच्च रक्तचाप– ठंड के मौसम में शरीर की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है जैसे सिम्पैथिक नर्वस सिस्टम (जो तनाव के समय शारीरिक प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है) सक्रिय हो सकता है और कैटीकोलामाइन हॉर्मेन का स्राव हो सकता है जिसकीवजह से हृदय गति के बढ़ने के साथ हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है और रक्त वाहिकाओं की प्रतिक्रिया कम हो सकती हैजिससे ह्दय को अतिरिक्त काम करना पड़ सकता है|
वायु प्रदूषण- ठंडे मौसम में धुंध और प्रदूषक जमीन के और करीब आकर बैठ जाते हैंजिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और सांस लेने में परेशानी हो जाती है| आमतौर पर दिल का दौरा पढ़ते वक़्त मरीज सांस लेने में तकलीफ का अनुभव करते हैं और प्रदूषक उन लक्षणों को और भी गंभीर बना सकते हैं|
कम पसीना निकलना- सर्दी में कम तापमान की वजह से पसीना निकलना कम हो जाता है जिसकेपरिणामस्वरूप शरीर अतिरिक्त पानी को नहीं निकाल पाता है और इसकी वजह से फेफड़ों में पानी जमा हो सकता है| इससे मरीजों में ह्दय की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
विटामिन-डी की कमी- सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन-डी, हृदय में स्कार टिशूज को बनने से रोकता हैजिससे हार्ट अटैक के बादहार्ट फेल में बचाव होता है. सर्दियों के मौसम में सही मात्रा में धूप नहीं मिलने से, विटामिन-डी के स्तर को कम कर देता है, जिससे हार्ट फेल का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चे, वृद्ध, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से स्मॉग के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसलिए खुद को बचाने के लिए इन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
हृदय रोग से बचने के लिए ब्लड प्रेशर, शुगर व कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराएं। बादाम और पिस्ते का सेवन हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। ग्रीन टी का सेवन भी उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।  फिर भी कोई असुविधा महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के लिए उत्तम हैलेकिन हृदय रोगियों के लिए सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

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