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गुड़ेली में लाइम स्टोन की 3 नई खदान खुलने से चुना पत्थर के धूल करेंगे दूर तक सफर… इंफेक्शन व अन्य बीमारियों का बढ़ेगा दायरा, चुना पत्थर खदान में उत्खनन से भूजल स्तर में आएगी गिरावट व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भूजल प्रवाह की दिशा …., इन्होंने कहा पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग हो या खदान खुलने नहीं दिया जाएगा 

 

रायगढ़।
सारंगढ के गुडेली में होने वाली जनसुनवाई को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है। स्थानीय की माने तो यह क्षेत्र पहले ही क्रशर व अन्य संचालित डोलोमाइट पत्थर खदान की वजह से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो रखा है। अब तीन नई खदान के शुरू होने से मुश्किलें और बढ़ जाएगी।

लाइम स्टोन की खदान खुलने से स्थानीय स्तर पर प्रदूषण का व्यापक असर पड़ने वाला है। जानकारों की मानें तो लाइम स्टोन यानि चूना पत्थर के उत्खनन से भूजल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, जिससे तलछट और आकस्मिक रिसाव सीधे एक्वीफर्स में बढ़ जाते हैं। इन दूषित पदार्थों में खनन से भूजल में प्रदूषक अन्य प्रकार की चट्टानों की तुलना में चूना पत्थर के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ते हैं यही वजह है कि विशेषज्ञ कार्स्ट क्षेत्रों में खदान संचालन में विशेष रूप से सावधान रहने की बात कही जाती है। चुना पत्थर उत्खनन एक महत्वपूर्ण भूजल भंडारण क्षेत्र को भी हटा देता है। भूमिगत खदानों से पानी निकालने से भूजल प्रवाह दिशा और मात्रा में भी परिवर्तन होता है और भूजल की गुणवत्ता पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है और यह दीर्घकालिक प्रदूषण बना रह सकता है। इसकी चपेट में आने से कई तरह की गंभीर बीमारियां अपना पैर पसारने लगेगी। लंग्स इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगेगा।

चुना उत्खनन से सबसे अधिक दिखाई देने वाले प्रभावों में से एक धूल है। खदान स्थल की स्थितियाँ व ब्लास्टिंग व उत्खनन के दौरान निकलने वाली डस्ट उत्खनन के बाद परिवहन से उड़ने वाली धूल स्थानीय ग्रामीणों को और जीना मुहाल कर देगी। बताया जाता है कि चुना पत्थर की धूल खनन स्थल से दूर तक प्रभावित करती है यानि चुना पत्थर खदान के आसपास के गांव बुरी तरह प्रभावित होने वाले हैं। ऐसे गुडेली में जगदम्बा स्पंज के लाइम स्टोन की माइन शिव कुमार अग्रवाल के 2.926 हे में प्रतिवर्ष 1 लाख 10 हजार 829.38 टन का खनन होना है। दूसरा नितिन सिंघल का लाइम स्टोन खदान सबसे बड़ा होगा 3. 113 हे से हर साल 15506125 टन होगा। तीसरा नाम तुलसी बसन्त के लाइम स्टोन खदान का है जो क्षेत्र का एक चर्चित चेहरा है इसका खदान 2.836 हे. में हर साल 170038 टन का उत्खनन होगा। तब क्षेत्र में प्रदूषण का आलम क्या होगा इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।


क्षेत्र में पहले ही खनिज विभाग की अकर्मण्यता की वजह से कई बड़े बड़े खदान जिसमे से डोलोमाइट पत्थर निकलने के बाद आज जानलेवा बने हुए हैं। पत्थर उत्खनन के बाद क्षेत्र में कई बड़े बड़े गहरे जानलेवा खाई रुपी खदान है जिसमे फ्लाई ऐश से फिलिंग होना था जो आज तक नही हो सकी है।

सविता रथ ने कहा गुडेली क्षेत्र में चुना पत्थर खदान की होने वाली जनसुनवाई को लेकर कहा कि क्षेत्र के ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है यदि यहां चुना पत्थर खदान खोला जाता है तो क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ना तय है। राजेश त्रिपाठी ने कहा कि तीनों खदान के ईआईए रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा और इसके बाद जरूरत पड़ी तो एनजीटी में इसकी भी फाइल प्रस्तुत की जाएगी और खदान को बंद करवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में अब पर्यावण प्रदूषण बढ़ाने वाले खदान उद्योगों पर नरमी नहीं बरती जाएगी।

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