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तीन करोड़ की लागत से बन रही मुड़ा तालाब के जीर्णोद्धार में गुणवत्ता को दरकिनार कर  स्तरहीन निमार्ण … अंधेर नगरी चौपट अधिकारी का नारा बु़लंद है नगर पालिका में ……कमीशनखोरी की सुराख से रियासतकालीन तालाब का …..119 एकड़ से अधिक में फैला …..

 

 

रायगढ़,।

 

सारंगढ़ का प्रसिद्ध मुड़ा तालाब का जीणोद्धार मे कमीशनखोरी का सुराख हो गया है जिसके चलते यहा पर गुणवत्तापूर्ण निमार्ण के स्थान पर स्तरहीन निमार्ण किया जा रहा है। स्थिति ऐसी आ गई है कि वर्षाकाल मे कई स्थान के वाल ढ़ह सकते है। बिना बेस के मिट्टी को 2 फीट खोद कर उसमे पत्थर का वाल लगाने से पानी भरने के बाद वाल पर प्रेशर पड़ना और उसके कारण से पिचिंग का धंसना लगभग तय माना जा रहा है। वही निमार्ण स्थल पर नगर पालिका ने ना तो सूचना बोर्ड लगाया है और ना ही स्थल पर नगर पालिका के तकनिकी अधिकारी-कर्मचारी की कोई टीम उपस्थित थी। पूरा काम ठेकेदार प्रवीण अग्रवाल के चंद राजमिस्त्रीयो के भरोसे संपन्न हो रहा है। नगर पालिका के सीएमओ और उपयंत्री के संरक्षण में हो रहा इस स्तरहीन निमार्ण कार्य की सूक्ष्म जांच आवश्यक है ताकि करोड़ो रूपये के निमार्ण में धांधली को रोका जा सकें।

 


सारंगढ़ के प्रसिद्ध मुड़ा तालाब लगभग 119 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल मे फैला हुआ है जिसके जीर्णोद्धार के लिये नगरीय प्रशासन विभाग रायपुर के द्वारा 2.96 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान किया गया। जिसके निविदा मे प्रवीण अग्रवाल रायपुर को 5 प्रतिशत अधिक एसओआर दर पर काम मिली यानि लगभग 3 करोड़ 11 लाख रूपये मे यहा जीर्णोद्धार का कार्य संपन्न होगा। किन्तु निविदा जारी होने के बाद से ही सिंडीकेंट बनाकर लगभग 36 लाख रूपये का आपसी बंटवारा कर मुड़ा तालाब का टेंडर को हासिल करने की चर्चा पूरे शहर मे जमकर चल रही है जिसके कारण से ठेकेदार को नगर पालिका के अधिकारी खुले आम स्तरहीन निमार्ण कार्य करने की छूट प्रदान कर दिये है। मौके स्थल पर किया गया अवलोकन मे एक बात जो साफ तौर पर निकल कर सामने आई उसमें यह है कि सारंगढ़ की जीवनदायिनी मुड़ा तालाब में ठेकेदार मनमानी कार्य कर रहा है और नगर पालिका के अधिकारी-उपयंत्री उसको संरक्षण प्रदान किये हुए है। इस मामले में निमार्ण कार्य की ओर जब गुणवत्ता की बात देखी गई तो इस मामले मे मुड़ा तालाब का अभी बन रहा वाल बिल्कुल भी गुणवत्ता को साथ नही लिये हुए है। मुड़ा तालाब की कच्ची मिट्टी को दो फीट गहरा खोदकर उसमे बिना बेस के ही फेस पत्थर को जोड़ा जा रहा है। इस मामले में जब मौके पर निरीक्षण किया गया तो ज्ञात हुआ कि यहा पर 40 एमएम का 24 इंच का बेस होना था किन्तु 1:8 का मसाला बनाकर सिर्फ 2 इंच का बेस बिना गिट्टी का देकर फेस पत्थर का वाल खड़ा कर दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस वाल के सहारे ही मुड़ा तालाब के पार पर पिचिंग का वाल खड़ा होना है यानि अगर यह वाल धंस गया अथवा वाल को कुछ डैमेज हुआ तो डायरेक्ट प्रभाव पिचिंग पर पड़ेगा और मुड़ा तालाब के पार पर होने वाला पाथ वे का निमार्ण भी धंस जायेगा। ऐसे मे करोड़ो रूपये के लागत से हो रहे मुड़ा तालाब के जीर्णोद्धार मे ठेकेदार मुनाफावसूली के लिये स्तरहीन निमार्ण कार्य कर रहा है। इस मामले में फेस पत्थर का भी अवलोकन किया गया किन्तु खपरीड़ीह बिलाईगढ़ से आ रहा फेस पत्थर क्वालिटी मे काफी कमजोर है तथा पैसे बचाने के नाम पर एक तरफ का फेस पत्थर का उपयोग किया जा रहा है जबकि गुणवत्तापूर्ण फेस पत्थर को उपयोग नही किया जा रहा है।

पानी भरते ही छुप जायेगा स्तरहीन निमार्ण?

मुड़ा तालाब के ठेकेदार प्रवीण अग्रवाल के केयर टेकर के द्वारा कराया जा रहा इस गुणवत्ताविहीन निमार्ण कार्य में सबसे बड़ी समस्या कमजोर निमार्ण है। यहा पर बिना बेस के वाल का निमार्ण करा दिया जा रहा है उसके बीच मे जो दो फीट का गिट्टी मिक्सर डाला जा रहा है उसमे भी रेत की मात्रा ज्यादा है तथा सीमेंट की मात्रा काफी कम है। इस काम को 20 एमएम के गिट्टी से करना था किन्तु ठेकेदार के द्वारा 10 एमएम और 6 एमएम के मिक्सर के साथ स्तरहीन निमार्ण किया जा रहा है। लेकिन इसको देखने वाला वहा पर कोई नही है। सीमेंट का रेट बढ़ने के बाद ठेकेदार के द्वारा निमार्ण कार्य मे सीमेट की मात्रा और भी कम कर दिया गया है जिसके कारण से अभी जो निमार्ण हो रहा है वह बह सकता है। वही पानी की तराई भी सही ढंग से नही किया जा रहा है। इस मामले मे नगर पालिका के उपयंत्री तारकेश्वर नायक से मोबाईल पर हमारे प्रतिनिधि ने संपर्क करने का प्रयास किया किन्तु उनसे संपर्क नही हो पाया।

पहली बारिश मे धंस सकता है मुड़ा तालाब का दीवाल?
जिस स्तरहीनता के साथ मुड़ा तालाब का निमार्ण कार्य ठेकेदार प्रवीण अग्रवाल करा रहे है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहली बारिश मे ही मुड़ा तालाब मे बन रहे दीवाल उखड़कर बह मत जाये। इस तालाब का कैटिच एरिया इतना अच्छा है कि यहा पर पहली की बारिश में पानी का फ्लो काफी अच्छा आता है तथा जिस स्थान पर दीवाल और पिचिंग का कार्य हो रहा है वहा पर हमेशा पानी भरा रहता है। दूसरे शब्दो मे कहा जाये तो हमेशा इस एरिया मे पानी का प्रेशर रहता है तथा यह एरिया ढ़लान एरिया मे आता है। ऐसे मे यहा पर खड़ा किया गया दीवाल पहली ही बारिश मे अगर डैमेज हो जाता है तो इसका डायरेक्ट प्रभाव तालाब के पार मे हुआ पिचिंग पर जायेगा और उससे पार मे बनाया जाने वाला पाथ-वे उखड़ जायेगा। अर्थात मुड़ा तालाब के जीर्णोद्धार मे इस दीवाल का बड़ा महत्व है तथा पूरा निमार्ण इस दीवाल पर निर्भर है। वही इस दीवाल को खड़े करने में बेस को मजबूत नही दिया जा रहा है जिसके कारण से दीवाल धंस सकती है। किन्तु ठेकेदार के मनमानी कार्य को रोकने में असफल रहे नगर पालिका के सीएमओ और उपयंत्री को यह लापरवाही नही दिख रहा है।

5 प्रतिशत अधिक दर पर टेंडर के लिये सिडिंकेंट की चर्चा?

प्रदेश में नगरीय प्रशासन के अधिकांश कार्यो में फेस पत्थर का काम को एसओआर के कम दर पर लिया जा रहा है किन्तु नगर पालिका सारंगढ़ मे अधिकारियो के संरक्षण मे 3 करोड़ रूपये के निमार्ण कार्य मे प्रतिस्पर्धा का साफ अभाव दिख रहा है और आपसी सिडीकेंट बनाकर इस कार्य को जहा पर 10 प्रतिशत से अधिक कम दर पर जाना चाहिये वहा पर 5 प्रतिशत अधिक दर पर लिया गया है। जिससे साफ प्रतीत हो रहा है कि तीन करोड़ के इस काम में जमकर कमीशनखोरी और चढ़ावा का कार्य दिख रहा है। इस मामले में नगरीय प्रशासन के अन्य स्थानो में सरोवर धरोहर योजना के तहत हो रहे निमार्ण का स्वीकृत दर और सारंगढ़ नगर पालिका का स्वीकृत दर का अवलोकन करने से ही ज्ञात हो जायेगा कि यहा पर ठेकेदारो का आपसी सिडिंकेट बनाया गया है और इस निमार्ण का टेंडर को पूर्व कार्यक्रम अनुसार प्रदान किया गया है। बताया जा रहा है कि इस निमार्ण कार्य को प्राप्त करने के लिये ठेकेदार के नजदीकी लोगो के द्वारा लगभग 36 लाख रूपये का चढ़ावा और बंटवारा किया गया है इस कारण से तीन करोड़ रूपये के लागत से हो रहे इस निमार्ण कार्य मे मनमानी कार्य करने की आजादी मिल गई है।

वर्षो से जमे सीएमओ और उपयंत्री है मुख्य खिलाड़ी?
इस संबंध मे सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ नगर पालिका मे तीन वर्षो से अधिक से समय से जमे प्रभारी नगर पालिका अधिकारी संजय सिंह और 7 वर्षो से पदस्थ उपयंत्री तारकेश्वर नायक का संरक्षण ठेकेदार प्रवीण अग्रवाल को मिला हुआ है। 3 करोड़ रूपये के बड़ी राशी का निमार्ण कार्य और शहर के जीवनदायिनी तालाब मुड़ा तालाब का जीर्णोद्धार जैसे कार्य को कमीशनखोरी की भेंट चढ़ाने मे दोनो अधिकारियो की भूमिका साफ तौर पर दिख रही है। अपने विकास करने के लिये शहर विकास के लिये आया करोड़ रूपये के फंड को भ्रष्टाचार के दलदल में डूबाने मे दोनो अधिकारियो की भूमिका संदिग्ध है। दोनो अधिकारियो के संरक्षण मे एक भी दिन नगर पालिका सारंगढ़ से कोई निमार्ण कार्य को झांकनें भी नही गया है और हर दिन निमार्ण कार्य में हो रही भर्राशाही को नगर पालिका गुणवत्तापूर्ण निमार्ण का प्रमाण पत्र प्रदान कर अपनी पीठ थपथपा रहा है।

सारंगढ़ के इस प्रसिद्ध मु़ड़ा तालाब के जीर्णोद्धार के लिये नगरीय प्रशासन मंत्री डां. शिव डहरिया ने विशेष रूचि लेते हुए 3 करोड़ रूपये की भारी-भरकम राशी की स्वीकृति प्रदान किया था किन्तु नगर पालिका के अधिकारी-उपयंत्री और ठेकदार के बीच चल रहे नूरा-कुश्ती रूपी हनीमून से पूरा निमार्ण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। इस कारण से नगरवासी और कई संगठन पूरे मामले मे नगरीय प्रशासन मंत्री डां.शिव डहरिया के पास निमार्ण कार्य के गुणवत्ता और कमीशनखोरी को लेकर शिकायत करने वाले है। वही पूरे मामले मे सारंगढ़ विधायक श्रीमती उत्तरी जांगड़े और अजा आयोग के उपाध्यक्ष श्रीमती पद्मा मनहर से भी शिकायत कर निमार्ण कार्य मे गुणवत्ता का ख्याल रखने तथा अभी तक के निमार्ण कार्य की गुणवत्ता की जांच के लिये विशेष जांच दल बनाने की मांग करने वाले है।

 

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