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कोरिया के माटीपुत्र व वरिष्ठ पत्रकार सोमेश पटेल को मिला सम्मान.. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज..कोरोना काल में जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग के साथ बचाई थी अनेकों जिंदगियां..

 

रायपुर .अगर आप किसी कार्य को निस्वार्थ करते हैं तो उसका फल आपकी आशा से कहीं ज्यादा ही मिलता है। जिसकी कल्पना नहीं होती है।  कुछ ऐसा ही वाक्या प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सोमेश पटेल के साथ हुआ। कोरोना काल में जान की बाजी लगाकर जमीनी कार्य करने को लेकर सोमेश पटेल का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ है।  पत्रकार सोमेश पटेल का नाम इंडिया बुक रिकार्ड्स में दर्ज होना, किसी सम्मान से कम नहीं है। कोरोना के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना सोमेश पटेल लगातार दिन रात रिपोर्टिंग कर रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने सैकड़ों जिंदगी को भी बचाया। यहां तक की कई ऐसे मरीज थे, जिनके परिजन पास आने से डरते थे, ऐसे में सोमेश पटेल ने ना सिर्फ उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया । बल्कि जान भी बचाई। सोमेश पटेल ने अपनी जेब से मजदूरों को खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध कराई। ऐसे तमाम सेवा कार्यों को लेकर उन्हें यह अवार्ड मिला है। और सोमेश पटेल का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है।

अपनी इस उपलब्धि पर  सोमेश  पटेल ने बताया कि यह सम्मान कोरोना काल में ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग को लेकर मिला है। जब देश में सबसे ज्यादा कोरोना  वायरस के मामले आ रहे थे। तब छत्तीसगढ़ में पलायन कर रहे मजदूरों की रिपोर्टिंग किया। तब मुझे सिर्फ इतना ही पता था कि एक पत्रकार होने के नाते लोगों के दुख-दर्द को सरकार व समाज के बीच पहुंचाना है। अपने स्तर पर लोगों के दुख दर्द को बांटना है। साथ ही मानव मन होने के कारण इसी दौरान लोगों को सेवा करने का मौका मिला। सच कहूं तो हमने प्रभु का कार्य किया है।  छोटी उम्र से ही कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले सोमेश पटेल छत्तीसगढ़ के  कोरिया जिले के रहने वाले है. इनका जन्म बैकुंठपुर जिले में हुआ। और वह 13 साल से राष्ट्रीय अलग-अलग चैनलों में कार्य कर चुके हैं। सोमेश पटेल को भारत सरकार के डिफेंस मिनिस्ट्री का भी अवार्ड मिल चुका है। 2021 में भगत सिंह अवॉर्ड मिला है। 2022 में दिल्ली में मीडिया एक्सिलेंट अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। अब 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी इनका का नाम दर्ज हो चुका है।

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