♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

आज बेटी दिवस, बेटियां हर किसी की लाडली, बेटी तू कितनी प्यारी है…. न्यारी है …. बेटी तू है तो कल है …… मेरी बेटी मेरी जान है … आज बेटी दिवस पर विशेष लेख ….पढ़िए 

 

आज के दौर में हर एक का दिन बन गया है इसी तरह 25 सितंबर को बेटी माना जाता है आज 25 सिताम्बर को डे के क्रम में बेटी दिवस है बेटी को।लेकर शहर के जाने माने ट्रेड यूनियनिस्ट, चिंतक, लेखनी कर्मठ सिपाही गणेश कछवाहा की कलम से …. पढ़िए पूरी आलेख मौजूदा परिवेश में बेटियों को लेकर क्या धारणा है,  कैसी नजर है, कैसी सोच है बखूबी तरीके से कमल बध्द किया गया है …

पढ़िए …

बिटिया, मेरी लाडली बिटिया !
कितना सुकून मिलता है ,जब मै थकहार कर घर आता हूं तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा देखता हूं। सारी थकान मिट जाती है,रोजी रोटी की चिंता, जीवन के रोजमर्रा के सवाल जैसे तू अपने मुस्कुराहट निश्छल हंसी में छुपा लेती है। पता ही नहीं चलता सारे गम कहां गुम हो जाते हैं।उस क्षण मैं स्वर्ग से भी ज्यादा सुख व आंनद में डूब जाता हूं।तू एक जीवंत हंसती खेलती जीती जागती गुड़िया सी अनुभूत होती है। लगता है पूरा जीवन तुम्हारी मुस्कुराहट में सिमट गया है।कब मै तुम्हारा घोड़ा बन जाता हूं।कभी कंधों पर बैठाकर हाट बाजार मेले ठेले की सैर कराता , कभी दोनों हाथो से ऊपर उछाल कर खुले आसमान में उड़ना सिखाता, दोनों बाहें पकड़ कर गोल चक्री की तरह घूमता और घूमाता की तुम पूरी दुनिया का निर्द्वन्द चक्कर लगा सको। कभी खुद छोटा बच्चा बनकर घुटनों के बल चलता । कभी परियों की कहानी सुनाता और तुम सुनते सुनते सो जाती।

जब तुम थोड़ी बड़ी हुई तो डर व भय से कभी मर्यादा व संस्कार की दुहाई देकर डांटता तो दिन भर मन अंदर ही अंदर दुखी हो जाता । मैं खुद पर गुस्सा करता ।उस दिन गुड़िया अर्थात बिटिया को मनाने के लिए कुछ सामान जरूर लाता।पर बिटिया तो बिटिया है। शायद वह मेरे घर आने का इंतजार कर रही थी। झटपट पास आकर एक गिलास पानी देती मानों मेरे मन को शांत करना चाहती हो।तब मुझे लगता कि शायद मुझमें ही, मेरे ही संस्कार में कुछ गलती या कमी है, अभी मुझे खुद बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।बिटिया मुझे जीवन में अपने व्यवहार और आचरण से हर पल कुछ न कुछ नया सिखाती।तब मुझे अहसास होता कि बिटिया तू तो हम दोनों (पति पत्नी) को मां के बाद, हमें सीखने सिखाने और समझाने वाली कोई घर की सयानी है। बिटिया,इतनी शक्ति इतनी समझ पिता बनकर भी हममें नहीं आया। इतनी समझ तुममें कहां से आई ? बिटिया मेरी लाडली बिटिया वास्तव में तुम ही जीवन शक्ति हो।

बिटिया तू ही तो शक्ति और सृष्टि का आधार है।तू ही दुर्गा,काली, चंडी, सरस्वती और लक्ष्मी का अवतार है। वेदों ,उपनिषदों, पुराणों, ऋषि मुनियों , हिंदू संस्कार और धर्मों की मान्यता अनुसार नवरात्रि अनुष्ठान नौ कन्या पूजन के बगैर पूर्ण ,सफल, सम्पन्न व सिद्ध नहीं माना जाता ।कन्या साक्षात् शक्ति है,देवी स्वरूपा है। यही भारतीय संस्कृति और सभ्यता की मान्यता है। तुम्हें इससे प्रेरणा लेकर हमेशा निडर,निर्भय और शक्तिवान होकर संसार में स्वच्छंद अपनी ही शर्तो और इच्छाओं से जीना सीखना होगा। अपनी ममता और स्नेह से सृष्टि को खूबसूरत बनाना होगा ।
परन्तु यह ध्यान रखना, तुम्हें हमेशा जुमलों , आकर्षक नारों व साज़िश पूर्ण अलंकरणों से सावधान रहना होगा।तुम्हे यह भी याद रखना होगा कि महा बलशाली रावण ने भी साधु का भेष बनाकर तुम्हे अर्थात सीता का हरण किया था। बिटिया तुम्हें यह भी याद रखना होगा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम के राज्य में भी तुम्हें ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। इन साज़िशों को, इन जंजीरों को तोड़ना होगा।

सदियों से तुम्हें बहुत से अलंकरणों से सजाकर तुम्हारी कोमल भावनाओ और संवेदनाओं को उकेर कर , साज़ , श्रंगार और सौंदर्य का प्रतीक बनाकर केवल शोषण का जरिया ही बनाया गया। तुम्हें कभी यह नहीं बताया गया कि 50 डिग्री सेल्सियस के बराबर ताप में ,पसीने से तरबतर होते हुए रोटी बनाकर परिवार को गर्म गर्म रोटी खिलाने वाली संयमी और साहसी बिटिया तुम ही हो,कभी यह नहीं बताया गया कि खेतों में हल चलाने,कभी कभी बैल की जगह खुद जुट कर खेतों की जोताई करने वाली ,जंगलों से ईंधन के लिए लकड़ियां काटकर लाने वाली ,खतरनाक जंगली जानवरों के खतरों को उठाकर वनोपज तोड़कर,तथा इंट पत्थर तोड़कर परिवार की जीविका चलाने वाली,खुद झोपड़ी में रहकर इंटो को ढो ढो कर दूसरों के लिए हवेली बनाने वाली,और रिक्शा,ऑटो रिक्शा,रेल गाड़ी ,हवाई जहाज औरअब तो अंतरिक्ष तक पहुंचने वाली शक्तिशाली बिटिया तुम ही हो। इस शक्ति को अब तुम्हे खुद पहचानने और समझने की जरूरत है। तुम्हें किसी जुमलों ,नारों,और खोखली योजनाओं की जरूरत नहीं है। सही में महिषासुर मर्दनी हो। तुम सृष्टि की जननी हो।तुम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारों से बहुत ऊंची हो।

पूंजी और सत्ता की हवस इंसान को हैवान बना देती है। ऐसे दरिंदे और महिष बुद्धि वाले अर्थात महिषासुर जैसे लोग तुम्हे ऊंच नीच जाति,धर्म,भाषा, संप्रदाय, क्षेत्र और रंग रूप में ही नहीं पार्टियों में भी बांटने की खतरनाक साजिश रचेंगे। पर बिटिया , तुम केवल बिटिया हो। लाडली बिटिया। बिटिया, तुम्हें संयमी और साहसी होना है । तुम्हें संकल्प लेना होगा, तुम्हे समझना होगा, तुम्हें बहुत सावधान होना होगा तथा एकजुट करना होगा दुनिया के तमाम बेटियों को और तोड़ना होगा उन तथाकथित सामाजिक ,राजनैतिक और पैशाचिक कुरीतियों भरे मठा धीशों के मठ,प्रपंच व माया जाल को । और मुक्त करना होगा आकाश को। खुले आसमान में स्वच्छंद ऊंची उड़ान के लिए

बिटिया, मेरी प्यारी बिटिया ! जब ऐसी पवित्र धरती पर हाथरस,बलरामपुर,उन्नाव,और दिल्ली निर्भया जैसी अमानवीय ,दरिंदगी पूर्ण कृत्यों की बार बार पुनरावृति होती है?तब सत्ता और राजनैतिक व्यवस्था का चरित्र, आचरणऔर व्यवहार, दरिंदगी पूर्ण घटनाओं से ज्यादा डरावना,घिनौना और खतरनाक दिखाई देने लगता है। जो काफी चिंताजनक है।और लोग सत्ता के मद में चूर हो कर अपनी ही बिटिया और मानवता का गला घोंटने में जरा भी संकोच नहीं करते।राजनैतिक दलों से जुड़ी महिलाएं भी इतना साहस नहीं जुटा पाती की खुलकर विरोध करें बल्कि दरिंदो का कवच बनने के लिए बाध्य होती हैं।जो सबसे ज्यादा अमानवीय,दुखद , शर्मनाक और निंदा जनक है। लेकिन बिटिया तुम्हे सच बोलने का साहस और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लेना ही होगा और मुट्ठियां कसकर आंखों में आंख डालकर बोलना ही होगा कि तुम सत्ता और सियासत के योग्य नहीं हो सत्ता छोड़ो।उड़ने दो हमें स्वछंद खुले आसमाँ में और बनाने दो एकनया इंद्र्धनुष। ।

गणेश कछवाहा,रायगढ़ छत्तीसगढ़।
94255 72284
gp.kachhwah@gmail.com

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close