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सहारा निवेशकों की जद्दोजहद अब तक नहीं आ पाई कोई काम …..शहर के कुछ निवेशक आजीज आकर दिया एक दिवसीय धरना ….एकजुटता को ताकत बनाने की जरूरत ….क्या राजनीतिक दल राजनीतिक एजेंडे में करेगी शामिल …..गांधी प्रतिमा स्थल पर धरना

 

रायगढ़ ।

सहारा के निवेशकों के द्वारा आज एसपी दफ्तर सामने गांधी प्रतिमा स्थल पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। अपनी कमाई की पाई पाई जमा कर भविष्य के लिए रकम जमा कराया था। सहारा के निवेशक पिछले लंबे समय से अपनी जमा रकम को पाने दर-दर भटक रहे हैं।

पूरे देश भर में सहारा के निवेशक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं और रायगढ़ ही नहीं अपितु तमाम जगहों पर सहारा के निवेशक अपनी जमा रकम पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं । सहारा के निवेशकों में बड़ी तादाद में रोज कमाने खाने वाले वर्ग भी इसमें छोटी छोटी रकम निवेश किया था और इस उम्मीद से कि इस छोटी-छोटी रकम को जमा कर वह अपने लिए भविष्य में कुछ कर सकेंगे पर हुआ ठीक इसके विपरीत, समय तेजी से बदला और सहारा के निवेशकों को धीरे-धीरे रकम मिलना बंद होते गया।
मामला कोर्ट तक पहुंचा राजनीतिक दल इसे अपने तरीके से हथकंडे की तरह अपनाया। इसमें खास बात यह है कि देश की 2 बड़े राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस सहारा के निवेशकों के मुद्दे में बहुत ज्यादा कुछ बोलने से कतराते हैं। सहारा के निवेशकों को किसी सहारे की जरूरत है लेकिन इनका खेवनहार बनने अब तक कोई भी मसीहा बनकर सामने नहीं आया है।

यह अलग बात है कि सहारा के निवेशक देशभर में एकजुट हो तो चुके हैं लेकिन अब तक इनकी एकजुटता शक्ति के रूप में सामने नहीं आ पाई है। लोग अपनी जमा जमा रकम को पाने के लिए नौकरशाहों की दर पर भी लगातार मत्था टेकते चले आ रहे हैं लेकिन इसका अब तक कोई सार्थक नतीजा सामने निकलकर आता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि प्रशासन इस मामले में नोटिस नोटिस का खेल खेल कर f.i.r. तक करवाया लेकिन इस मामले में अब तक सिर्फ छोटी मछलियों पर ही एफ आई आर दर्ज हो रही हैं और उन पर एफ आई आर दर्ज होने से निवेशकों का कुछ नहीं होने वाला। इसी तरह रायगढ़ के कुछ सहारा निवेशकों के द्वारा गांधी प्रतिमा के स्थल पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर सुब्रत राय के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया और अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई। सहारा पीड़ितों की माने तो एसपी ने उन्हें आगे की कुछ ना कुछ कार्यवाही का आश्वासन दिया है। सहारा के निवेशक चाहते हैं कि कम से कम उनकी जमा रकम जो परिपक्व हो चुकी है, वह मिल जाए तो भविष्य के जो देखे गए कुछ सपने हैं कुछ तो उसमें मील का पत्थर साबित हो जाए। उन्हे क्या मालूम था कि उनकी पसीने की कमाई और जोड़ी गई पाई पाई की रकम जमा कराने के बाद सहारा उन्हें बेसहारा करके छोड़ देगा।
अब देखना है की सहारा के निवेशकों को लेकर ऊंट किस करवट बैठता है क्या कोई राजनीतिक दल आने वाले चुनाव में इसे राजनीतिक एजेंडा में लाती है या नहीं। जानकारों की माने तो जो भी राजनीतिक दल सहारा निवेशकों का खेवनहार बनेगा इसका फायदा उन्हें राजनीतिक रूप से भी मिलना तय है।

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