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बंगाल में हड़ताल / 5 दिन में 300 डॉक्टरों के इस्तीफे के बाद ममता ने सभी मांगें मानी, कहा- कोई कार्रवाई भी नहीं होगी

  • जूनियर डॉक्टरों से मारपीट के बाद बंगाल में 11 जून से डॉक्टर हड़ताल पर
  • मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को वार्ता का प्रस्ताव दिया, लेकिन डॉक्टरों ने ठुकरा दिया
  • ममता ने पहले डॉक्टरों को काम पर नहीं लौटने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मारपीट को लेकर पांच दिन से हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों की सभी मांगें स्वीकार कर लीं। शनिवार को उन्होंने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की। उन्होंने 10 जून को हुई मारपीट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार है। निजी अस्पतालों में भर्ती जूनियर डॉक्टरों के इलाज का खर्च भी उठाएंगे। किसी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे।

साथियों से मारपीट के विरोध में डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर बैठे और 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। ममता ने शुक्रवार को बातचीत का प्रस्ताव दिया था, जिसे डॉक्टरों ने शनिवार को ठुकरा दिया। गुरुवार को ममता ने कहा था कि डॉक्टर अपनी हड़ताल खत्म कर काम पर लौटें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई होगी। इसी बयान को लेकर बंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम नाराज है। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बंगाल में डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना को देखते हुए सभी राज्यों को पत्र लिखा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि डॉक्टरों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

भाजपा का आरोप- ममता आरोपियों को बचा रहीं
बंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम के प्रवक्ता अरिंदम दत्ता ने कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री के न्योते पर सचिवालय में बैठक के लिए नहीं जाएंगे। वे खुद एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आएं। यहां वे अपने उस बयान के लिए मांफी मांगें, जो उन्होंने एसएसकेएम अस्पताल में गुरुवार को दिया था।’’ वहीं, बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों पर हमला करने वाले आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं।

17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 14 जून से तीन दिनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने के साथ 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। आईएमए ने अस्पतालों में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा की जांच के लिए कानून बनाने की मांग की। संगठन का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों को कम से कम 7 साल जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए।

डॉक्टरों की छह शर्तें

  1. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डॉक्टरों को लेकर दिए गए बयान पर बिना शर्त माफी मांगें।
  2. डॉक्टरों पर हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए।
  3. पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो।
  4. डॉक्टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
  5. जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर लगाए गए झूठे आरोपों को वापस लिए जाएं।
  6. अस्पतालों में सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए।

अब तक 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके
बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में 11 जून को जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट हुई थी। इसके बाद से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। अब तक कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 95, दार्जिलिंग में नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के 119 और सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज के 18 डॉक्टरों समेत कई अस्पतालों के 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। उनका कहना है कि वे हिंसा और धमकियों के माहौल में काम नहीं कर सकते।

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