
कांग्रेस प्रवक्ता आशीष डबरे का बड़ा बयान.. 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज वाले गुब्बारे की हवा निकली…133 करोड़ जनता को गुमराह करने वाले धारावाहिक का अंत हुआ…कोई महत्वपूर्ण राहत नहीं सिर्फ कर्ज का कारोबार : जनता ठगी गयी !
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आज की पत्रवार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आशिष डबरे ने कहा है कि मोदी सरकार की नीति और नीयत का सच सामने आ गया! आपदा में फंसे मजबूर, संसाधन विहीन जनता को मोदी सरकार ने 20 लाख़ करोड़ का पैकेज बताकर केवल ठगने का काम ही किया है, प्रत्यक्ष मदद कुछ भी नहीं दी ! देश की जनता जानना चाहती है कि व्यवसायिक लोन को आपदा राहत कैसे कहा जा सकता है ? राहत और प्रत्यक्ष मदद की उम्मीद लगाए बैठी जनता को केवल कर्ज के कुचक्र में फसाने का प्रयास कर रही है मोदी सरकार! राज्य सरकारों को भी सहायता के नाम पर केवल कर्ज लेने की सीमा में छूट दी गई! राज्य सरकारों के हक का पैसा – जीएसटी में राज्यों का हिस्सा, माइनिंग फंड में राज्य के हक की राशि, मनरेगा जैसे मद की राशि भी आज तक केंद्र के द्वारा जारी नहीं की गई है! यही नहीं विपत्ति से हलाकान जनता का ध्यान भटकाकर पहले किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए 1955 से लागू आवश्यक वस्तु अधिनियम में निहित “स्टॉक लिमिट” को खत्म करके बिचौलियों और जमाखोरों को संरक्षण देने का फैसला मोदी सरकार ने लिया! एमएसएमई की परिभाषा बदल कर कुछ बड़े उद्योगपतियों को भी लाभ देने का षडयंत्र रचा गया! और अब लोन नहीं पटाने पर उद्योगपतियों को दिवालिया नहीं किए जाने के उद्देश्य से कानून में बदलाव! कंपनी अधिनियम में भी परिवर्तन, अपराधिक सूची से बाहर निकालने का प्रावधान भी बनाया गया है! इस मामले में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लोन माफ करने के अपने कौशल को ही फिर से दिखाया है! देश का किसान मोदी सरकार से यह जानना चाहता है कि लोन न पटाने पर जब पूंजीपतियों को दिवालिया होने से छूट दी गई जब कई प्रकार के आपराधिक प्रकरणों से उनको छूट दी जा रही है तो यह सुविधा मेहनतकश किसानों के लिए क्यों नहीं? क्यों किसानों की जमीन नीलाम करके उन्हें आत्महत्या पर मजबूर कर रही है मोदी सरकार?
जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कहा है कि कोरोना संकट की भयावहता से जूझ रहे देश की आम जनता को, किसानों को, पैदल जैसे तैसे घर पहुंच रहे मज़दूरों को, फूटकर व्यापारियों को बंद पड़े उद्योगों को राहत पहुंचाने में मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम रही है! मोदी सरकार करोना आपदा के समय गरीबों की मददगार की नहीं साहूकार की भूमिका में है। निरीह जनता को उम्मीद थी राहत की, पर मोदी जी ने तो जनता के लिए केवल कर्ज का कुचक्र ही रचा है!
प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 300 ट्रेनें रोज चलाने और 85% किराया केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने का झूठा दावा आज फिर से किया गया, जबकि वित्त मंत्री के प्रेसवार्ता के अंत में चारों दिन से संबंधित प्रस्तुत व्यय के विवरण में यह 85% खर्च दिखा ही नहीं! सच में खर्च किया होता तभी तो दिखाते..

 
					





