अखबार में दिया मजदूरों को खाना…क्वारेंटीन सेंटरों में बदइंतजामी आलम…जेल से बदतर हालत..सेन्टर क्वारेंटीन से अब लोगो को लग रहा डर…
अनूप बड़ेरिया
छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना आपदा से निपटने व्यवस्था के लिए सभी जिलों को 25-25 लाख व विकासखण्डों को 10-10 लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से दिए गए हैं। बावजूद इसके राज्य के विभिन्न जिलों से क्वारेंटीन सेंटरों में बदइंतजामी की सूचनाएं लगातार प्राप्त हो रहीं हैं। अभी सरगुजा अंचल में ही दिल्ली स्व आए एक युवक ने क्वारेंटीन सेंटर की घटिया व्यवस्था पर सोशल मीडिया के माध्यम से सीएम को जानकारी देने का प्रयास किया तो जनपद सीईओ और तहसीलदार ने उसे बेल्ट से बुरी कदर मारा। किसी को सांप ने काटा तो किसी ने फांसी लगाई, किसी की तबीयत खराब हुई तो सेंटर में न डाक्टर आया और न एम्बुलेंस आयी…जब तक उसे ऑटो से हॉस्पिटल ले जाया गया तो उसकी मौत रास्ते मे ही हो गयी। इसी प्रकार कोरोना योद्धाओं को कोरिया के लालपुर में क्वारेंटीन किया गया तो उन्हें इल्ली और कीड़ा वाला भात परोसा गया। गर्मी में हालत क्वारेंटीन सेंटरों के और भी बुरे हैं…चिरमिरी में एक युवती ने कहा कि कोरोना से नही लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे।
कुल मिला कर जेल से भी बदत्तर इंतजाम की शिकायतें लगातार सोशल मीडिया में आ रही हैं।
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अब बात करते हैं सोशल मीडिया में चल रही एक तस्वीर की…यह तस्वीर कबीर धाम के लोहरा स्थित बिरनपुर क्वारेंटीन सेंटर की है जहां मजदूरों को खाना अखबार में परोसा गया है। जिसमे देख सकते हैं कि दाल अखबार से बह कर जमीन पर आ गयी है.. अखबार गीला होने से अपने आप गल जाता है जो भोजन के अंतिम चरण में फर्श को छू लेता है। थोड़े से पैसे लगते तो पत्तल आ ही सकती थी।
भूमकाल के पत्रकार लिखते हैं चावल और सब्जी तो अखबार में ठहर गयी..लेकिन दाल बदचलन निकली वह बह गई…
क्वारेंटीन सेंटरों में व्यवस्था इतनी बुरी है कि जेल में उसके सामने हथियार डाल रहे…यही वजह है कि लोग सेंटर क्वारेंटीन किए जाने के नाम से ही भयभीत हो रहें हैं..यही वजह है कि अब लोग क्वारेंटीन सेंटरों से भाग भी रहे हैं…!
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