
इंदिरानगर में वरिष्ठ पार्षद सलीम के नेतृत्व में पार्षदगणों ने इंदिरा प्रतिमा पर किया पुष्प अर्पित* *क्षेत्रवासियों ने आदमकद इंदिरागांधी प्रतिमा स्थापित करने पार्षदो से की मांग*
रायगढ़ -/-वरिष्ठ पार्षद सलीम नियारिया के नेतृत्व में निगम के पार्षदगणों ने इंदिरानगर प्रतिमा पर जाकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई,जहाँ स्थानीय निवासियों ने अपने आदर्शमयी माता इंदिरागांधी के प्रतिमा को आदमकद प्रतिमा स्थापित करने मांग की है।
देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि एवं
सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस एवं एकता संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाता है उसी तारतम्य में रायगढ़ नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद सलीम नियारिया और पार्षदगणों ने
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति और सम्मान में इंदिरानगर प्रतिमा पर जाकर पुष्प अर्पित किया साथ ही देश के लिये किये गए उनके कार्यो को स्मरण कर श्रधांजलि दी गई।पार्षदगणों में
प्रभात साहू,लक्ष्मीनारायण साहू,लखेश्वर मिरी,शौकी बुटान,आरिफ हुसैन,राकेश तालुकदार,विनोद महेश,गौतम महापात्रे,विमल यादव,एल्डरमेन दयाराम धुर्वे,विजय टंडन सोरभ अग्रवाल,नंदू गौड, रेखा और कांग्रेस के पदाधिकारी,कार्यकर्ता एवं स्थानीय निवासी मौजूद रहे,
कार्यक्रम दौरान इंदिरा नगर निवासियों ने निगम के एम आई सी सदस्य और पार्षदगणों से अपने आदर्शमयी माता इंदिरागांधी के सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र को बसाने वाली हमारी प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरागांधी जी ही है हमारी इच्छा है की उनकी प्रतिमा को आदमकद प्रतिमा के रूप में स्थापित करवाये ।स्थानीय निवासियों के विशेष मांग पर वरिष्ठ पार्षद सलीम नियरिया ने कहा कि इस मांग को हम पार्षदगण पूरी प्राथमिकता से नगर निगम की महापौर जानकी काट्जू एवं निगम प्रशासन से मांग करके स्थापित कराएंगे कहते हुए आश्वासन दिया।
सलीम नियारिया ने इंदिरागांधी एवं वल्लभभाई पटेल के जीवनी पर उद्बोधन देते हुए एवं उनके योगदानों को बताते हुए उन्हें अपना आदर्श भी बताया और उनके नारो को याद करते हुए पुष्प अर्पित कर नमन किया।देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल (31 अक्टूबर, 1875-15 दिसंबर, 1950) ने आजादी के तुरंत बाद 600 से ज्यादा देसी रियासतों का जिस बुद्धिमत्ता और दृढ़ता से भारत में विलय कराया, वह अपने आप में बड़ी मिसाल है। बेहद चुनौतीपूर्ण माने जाने के कारण ही इस दुष्कर कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी, जिसे उन्होंने वीपी मेनन के साथ मिलकर संभाला। इस बड़ी उपलब्धि के कारण उन्हें लौहपुरुष कहा गया। दृढ़ता के अलावा, नेतृत्व क्षमता, वाकपटुता, बुद्धि-चातुर्य, इच्छाशक्ति, कुशल व्यवस्थापक, विनम्रता, व्यावहारिकता आदि उनके ऐसे गुण रहे, जो आज भी हम सभी के लिए बड़ी सीख हैं।