
आखिर क्यों नही जुड़े…”बनारस-मुगलसराय से बिलासपुर वाया कोरिया” ?…
पद्मनाभ गौतम
मैं अक्सर सुनता हूं कि हमारे जनप्रतिनिधि नागपुर हाल्ट को चिरमिरी से मिलाने को बेचैन हैं। पर सोचता हूं कि इस से आखिर हासिल क्या होगा? दस-बीस रुपए में जनता टैक्सी से नागपुर से चिरमिरी पहुंच जाती है। फिर फायदा क्या? फायदा एक ही है कि नेतागिरी थोड़ा चटख हो जाएगी। इसके उलट टैक्सी वालों का धन्धा जाएगा और रेलवे का राजकोषीय घाटा निश्चित रूप से बढ़ जाएगा। लाभ बहुत कम है इसमे।
आज देखा जाए तो सबसे बड़ी आवश्यकता है इस पिछड़े अंचल को मुख्य संपर्क मार्गों से जोड़ने की। इस क्षेत्र का युवाजन आज पढ़-लिख कर बाहर निकल रहा है। कुछ यहां नौकरी व्यापार कर रहे तो कुछ परदेश- विदेश जा रहे। इन सबको अपने काम करने के स्थान से बैकुण्ठपुर-सोनहत-खड़गवां-पण्डोपारा तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लगता है। यकीन माने , मैं छ: घण्टे में भूटान की राजधानी थिम्फू से रायपुर पहुंच जाता था पर रायपुर से बैकुण्ठपुर टेढ़ी खीर था। इस लिए यदि हम मल्टीस्पैशियलिटी हस्पताल की बात करते हैं, उच्च शिक्षा के संस्थान खोलना चाहते हैं या कोई उद्योग लगाना चाहते हैं तो यहां कोई आना ही नही चाहता। साधारण सी बात है कि यह ‘हार्ड स्टेशन’ है। किसी अच्छे चिकित्सक या अधिकारी की जबरन पोस्टिंग कर दी, तो आधा महीना यहां रह कर, मेडिकल-ईएल वगैरह लगा कर किसी प्रकार पोस्टिंग काट लेता है, तब तक जब तक वापस अपने पसन्दीदा स्थान पर पहुंच न जाए। उसी प्रकार कोई उत्पादन से जुड़ा उद्योग लगे तो उसके लिये भी यह पिछड़ा स्थान है। कोई क्यों आना चाहेगा जब आप मुख्य नगरों से जुड़े ही न हों। इस लिए यह आवश्यक है कि इस अंचल को अच्छी रेल सुविधा से जोड़ने की मुहिम चलाई जाए।
इस हेतु बनारस और मुगल सराय को बिलासपुर से जोड़ने से बहुत ही लाभकारी परिणाम मिलेंगे।
1. सरकार की मुख्य रेलवे लाइन के प्रमुख हिस्सों (मुगलसराय इलाहाबाद कटनी इटारसी रूट और वाया हटिया) रूट पर लोड कम होगा।
2. बनारस से बिलासपुर की दूरी कई सौ किलोमीटर कम होगी।
3. कोरिया और उससे लगे पिछड़े अंचल मुख्यधारा में आएंगे।
4. उद्योग धंधे लगने पर पैदा किए गए माल की ढुलाई सहज होगी।
5. यहां से बाहर जीविकोपार्जन/अध्ययन के लिए जाने छात्रों, इलाज हेतु बाहर जाने वाले मरीजों का आवागमन सुगम होगा। यह क्षेत्र उत्तर तथा दक्षिण दोनों से से अच्छे से जुड़ जाएगा।
और भी बहुत से लाभ जो पाठक जोड़ना चाहें।
हमारे जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि “ओस-तोस” वोट लुभाऊ निरर्थक परियोजनाओं के स्थान पर सुदृढ़ आधार व दूरदृष्टि रखने वाली परियोजनाओं के लिए आवाज उठाएं।




