
फील कोल वाशरी के विस्तार के खिलाफ ग्रामीणों ने खोला मोर्चा कहा नहीं होने देंगे जनसुनवाई ….. ईआईए रिपोर्ट काल्पनिक और कपोल कल्पित …..पर्यावरण दफ्तर का घेराव कर कहा रद्द करो जनसुनवाई ……
रायगढ़।
फील कोल वाशरी के विस्तार के लिए होने वाली जनसुनवाई का ग्रामीणों ने पुरजोर तरीके से विरोध करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण दफ्तर का घेराव किया। इस दौरान जमकर नारेबाजी करते हुए इस जनसुनवाई का विरोध किया। ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर पहले से टीआरएन, महावीर और फील कोल वाशरी संचालित है। जिसके राख, धुंवा और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से जन जीवन जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। फ्लाई ऐश की वजह से चर्म रोग सहित अन्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रामीण ग्रसित होने लगे हैं। यहां स्थित तीनो कोल वाशरी में प्रतिदिन 8 सौ से अधिक भारी वाहन चलती है जिसकी वजह से उड़ती धूल गुबार से पर्यावरण प्रभावित हुआ है जिसका जैव विविधता सहित मानव जीवन और कृषि कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।
प्रभावित क्षेत्र नवापारा, भेंगारी, चारमार, कटंगगडीह जैसे गांव में पहले हरि मिर्च की बंपर पैदावार हुवा करता था और यहां की हरीमिर्च की क्वालिटी ऐसी होती थी जो दूसरे जगहों की अपेक्षा महंगी बिका करती थी इससे ग्रामीण जन अच्छी पैदावार कर अच्छी आय प्राप्त किया करते थे लेकिन बीते कुछ सालों में फ्लाई ऐश, धुंवा व अपशिष्ट पदार्थों की वजह से धान दलहन तिलहन की खेती के साथ हरि मिर्च की खेती पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है कृषि कार्य पहले की तुलना में आधी रह गई है। हरि मिर्च की खेती तो पूरी तरह खत्म ही हो गई है। वही जनजाती समुदाय की पारंपरिक आजीविका पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। यहां स्थित इन तीनो कोल वाशरी की वजह से मानव जीवन, सहित जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जंगलों का तेजी से विनाश हुवा है जिसका खामियाजा वन्य जीवों पर पड़ा है। क्षेत्र का भूजल स्तर तेजी से नीचे चला गया है। फ्लाईऐश की वजह से सांस रोग व चर्म रोग की बीमारी बढ़ रही है ग्रामीणों में नाना प्रकार की बीमारियां घर कर रही है।
ग्रामीणों द्वारा क्षेत्रीय पर्यावरण दफ्तर का घेराव करते हुए जन सुनवाई को गलत बताते हुए इस पर रोक लगाए जाने की बात कही है। ग्रामीणों का आरोप है की प्रस्तावित स्थल वन्य जीवन प्रभावित क्षेत्र है। यहां स्थित तीनों कोल वाशरी की वजह से दुर्लभ वन्य जीव हाथी सहित दुर्लभ वन्य जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसे लेकर प्रभावित गांव के ग्रामीणों द्वारा जन सुनवाई को नियम विरुद्ध बताते हुए कहा कि वन विभाग व पर्यावरण विभाग द्वारा आंखे बंद कर कोल वाशरी विस्तार के लिए जन सुनवाई कांविरोध करते हुए कहा कि ईआईए रिपोर्ट को पूरी तरह गलत व मनगढ़ंत बताया है।