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कोरिया में बन रहे हर्बल साबुन की मची धूम…16 प्रकार के साबुन तैयार कर कोरिया महिलाएं लिख रहीं हैं सफलता की नई इबारत…

प्राकृतिक संसाधनों से महिलाएँ बना रही हैं हर्बल साबुन, आजीविका की मिली नई राह

अनूप बड़ेरिया

कलेक्टर एसएन राठौर एवं सीईओ जिला पंचायत तूलिका प्रजापति के मार्गदर्शन में कोरिया जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ”बिहान” के अंतर्गत विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम सलका में गणेश स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों जैसे हल्दी, चन्दन, एलोवेरा, बादाम, गुलाब आदि से हर्बल साबुन बनाए जा रहे हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं को आजीविका प्राप्ति की नई राह मिली है। साथ ही बाजार में आम लोगों को भी केमिकल रहित हर्बल साबुन प्राप्त हो रहे हैं। साबुन की खरीदी में लोगों का भी खासा रूझान देखा जा रहा है।
कोविड-19 कोरोना वायरस से उत्पन्न इस महामारी के समय में मजदूरी का कार्य करने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने आजीविका का संकट गहरा गया। महिलाओं की आजीविका की इस समस्या के समाधान हेतु जिले में एनआरएलएम “बिहान” द्वारा महिलाओं का समूह बनाया गया। और फिर सामुहिक आजीविका का कार्य करने के लिये एनआरएलएम “बिहान” एवं केवीके-कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से हर्बल साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिलवाया गया। प्रशिक्षण के उपरान्त ग्रामीण महिलाओं ने बैंक से नया काम शुरू करने के लिए लोन पर राशि ली। बैंक से प्राप्त राशि का सदुपयोग करते हुए समूह की महिलाओं ने सबसे पहले हर्बल बेस साबुन बनाने के लिये आवश्यक सामग्री जैसे ऐसेन्शीयल ऑयल, सेन्ट, हल्दी चन्दन, गुलाब का अर्क, एलोवेरा आदि का क्रय किया और जुट गयी सफलता की नई इबारत लिखने में।
कोरिया जिला मिशन प्रबंधन इकाई के मिशन प्रबंधक ने बताया कि वर्तमान में समूह की महिलाओं द्वारा घर पर ही स्वच्छता मापदण्डों का पालन करते हुए हैण्डमेड 16 प्रकार का साबुन बनाया जा रहा है, जिसमें रोज, डव, पियर्स, लेमन ग्रास, चारकोल, चंदन, बेबी शॉप, हनी-बी ब्यूटी शॉप आदि बनाए जा रहे हैं। साबुन बनाने की ज्यादातर सामग्री ग्रामीण स्तर पर ही उपलब्ध संसाधनों से किया जा रही है। जिससे लोकल उत्पादनकर्ताओं को रोजगार प्राप्त हो। साबुन की गुणवत्ता और विशेषता को देखते हुए ही ग्राम स्तर के ही अन्य संगठनों की महिलाओं द्वारा अब तक 10,000 रू की राशि का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है एवं निरंतर बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। साबुन निर्माण आजीविका गतिविधि में संलग्न महिलाओं की आर्थिक उन्नति तो हुई ही है साथ ही साथ समाज में सम्मान से जीने का विश्वास भी बढ़ा है।

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