
उद्योगों में माल परिवहन करने वाले स्थानीय वाहन मालिक के आंदोलन का शंखनाद ……यहां वाहन मालिक संघ ने जमकर भारी हुंकार ….बाहरी हो रहे मालामाल …स्थानीय हो रहे कर्जदार ….
स्थानीय वाहन मालिक संघ भाड़ा वृद्धि को लेकर शुरू किया आंदोलन
रायगढ़।
उद्योगों में माल परिवहन करने वाले स्थानीय वाहन मालिक संघ के मांगो को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता विफल होने के बाद आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर हो गए है। अब आर्थिक नाकेबंदी की ओर आगे बढ़ रहे है। भाड़ा वृध्दि की मांग को लेकर उर्दना तिराहा के पास वाहन संघ धरने पर बैठ गए हैं । आंदोलन को समर्थन देने आज पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया भी पहुंचे थे।
भाड़ा बृद्धि को लेकर स्थानीय वाहन मालिक संघ के आंदोलन का शंखनाद हो चुका है। औद्योगिक जिला रायगढ़ में उद्योगों से जो लाभ स्थानीयों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है। स्थानीय को छोड़कर इसका लाभ ज्यादातर बाहरी लोग बाहरी ट्रांसपोर्टरों को मिलता है। जबकि स्थानीय बेरोजगार उद्योगों के मुंह ताकते रह जाते हैं। ऐसा ही उद्योगों के सहारे जीवन यापन करने की मंशा से भारी भरकम कर्ज लेकर चलाने वाले वाहन मालिक संघ की स्थिति दिन पर गिरती जा रही है। जिसकी वजह से स्थानीय वाहन मालिक संघ आरपार की लड़ाई के मूड में आ गए है और उर्दना तिराहा के करीब धरने पर बैठ गए हैं।
जिले में स्थापित उद्योगों के सहारे के जीवन यापन करने की बात भू विस्थापितों की हो या कर्ज लेकर उद्योगों के लिए माल ढुलाई करने वाले वाहन मालिक संघ दोनों की स्थिति एक जैसी बनी हुई है। जिले में स्थापित उद्योगों में हर जगह बाहरी का बोलबाला है स्थानीयों को बाहर का रास्ता दिखाना और बाहरी लोगों को काम देना। फिलहाल स्थानीय ट्रेलर मालिक संघ ऐसे भाड़े की मांग कर रहे जितना से उनका काम चल सके लेकिन उसके लिए भी उद्योग प्रबन्धन तैयार नही है। यहां तक कि इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा मामले का पटाक्षेप करने के लिए एक त्रिपक्षीय वार्ता भी रखा लेकिन उद्योगों का अड़ियल रवैया यहां भी देखने को मिला।
त्रिपक्षीय वार्ता में समाधान नही निकलने पर मजबूर होकर वाहन मालिक संघ अब धरने पर बैठ गए हैं। स्थानीय ट्रेलर वाहन मालिक संघ अपने वाहनों को खड़ा कर लामबंद होकर हड़ताल पर बैठ गए हैं और आगे की रणनीति पर जुट गए आने वाले दिन में अगर इस पर गंभीरता से लेकर उद्योगों पर नकेल नही कसी गई तो स्थानीय बेरोजगार जो भारी भरकम कर्ज लेकर वाहन चला रहे है और जीवकोपार्जन कर रहे है इनके आक्रोश का भारी खामियाजा प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है।
जिला एक औद्योगिक जिला बन तो गया है लेकिन उद्योगों के सहारे जीवन यापन करने वाले स्थानीयों को हर बार छलावा ही मिलता है और बाहरी मालामाल होते रहे हैं। स्थानीय वाहन मालिकों की व्यवथा पर ध्यान नही दिया गया तो आगे चलकर यह विस्फोटक स्थिति उत्पन्न होने में देर नहीं लगेगी।