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सपनई बैराज अभी दूर की कौड़ी जांजगीर चाम्पा जिले की 60 हेक्टयर की वन भूमि का रोड़ा, अधिकारियों में रुचि कम …पढ़े पूरी ख़बर

सपनई बैराज निर्माण में 60 हेक्टयर वन भूमि का निराकरण करने अधिकारियों के पास नही समय

 

रायगढ़। जिले से करीब 17 किमी दूर सपनई में बनने वाली सपनई बैराज का सपना अभी दूर की कौड़ी ही दिख रही है। इसके निर्माण में जांजगीर चाम्पा जिले की करीब 60 हेक्टयर वन भूमि का मामला निर्माण कार्य की गति को धीमी कर दिया है। पूर्वांचल के किसानों के लिए वरदान साबित होने वाले सपनई बैराज का निर्माण कार्य कब तक पूरा होगा, यह कह पाना अभी थोड़ा मुश्किल है क्योंकि निर्माण के मार्ग में अभी भी कई ऐसी बाधायें जो कि दूर नहीं की जा सकी हैं और उसके बगैर बैराज का मूर्त रूप लेना संभव ही नहीं है। इसके पूरा हो जाने से जहां किसानों को पानी मिल सकेगा तो दूसरी ओर उद्योगों को पानी बेचकर विभाग कमाई भी कर सकेगा।

शासन द्वारा सपनई बैराज निर्माण के लिए इस वित्तीय वर्ष में 49 करोड़ का प्रावधान किया गया है साथ नए पुनर्वास नीति के तहत प्रभावितों को पुनर्वास के लिए 66 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह प्रोजेक्ट 3 चरणों मे पूरा होगा और तीनों चरणों को मिलाकर बैराज के निर्माण में कुल 87 करोड़ 96 लाख रुपए खर्च होंगे। जानकारी के मुताबिक सपनई बैराज से करीब 35 ग्रामीणों को नीजि कृषि भूमि इस बैराज में जाएगी इसके अलावा वन भूमि भी इस बैराज निर्माण में आ रही है। बीते पांच सालों से सपनई बैराज निर्माण में फारेस्ट क्लियरेंस का मामला लटका हुआ है। बताया जा रहा है कि इससे किसानों को करीब 32 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई हो सकेगी इसके अलावा उद्योगों को भी इस बैराज से पानी देने की मंशा से निर्माण किए जाने की योजना है।
पिछले 9 सालों से अधिक समय से सपनई बैराज के सपने को साकार नही किया जा सका है। भले ही बैराज का निर्माण कार्र्य प्रारंभ हो गया है और आधे से ज्यादा भी पूरा कर लिया गया है मगर आगे का काम कब तक पूरा होना, इसको लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो गई है और निर्माण कार्य के अधर पर लटकने से किसानों के चेहरों पर फिर से मायूसी की लकीरें उभरने लगी हैं। बैराज निर्माण का लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा भी कर लिया गया है मगर बैराज के डूबान में आने वाले फॉरेस्ट की भूमि को लेकर मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अधिकारी ने बताया कि सपनई बैराज के लिए जांजगीर-चांपा जिले की 60 हेक्टेयर भूमि चिन्हांकित की गई है जो कि डूबान क्षेत्र में आयेंगे। यह पूरी जमीन फॉरेस्ट की है और बिगड़े वनों के रिकार्ड में दर्ज है। पर मुश्किल ये है कि विभाग के अधिकारियों के पास इतना समय नही है कि वे जांजगीर चाम्पा जिले वन विभाग से समन्वय नही कर पाने की वजह से इसके निराकरण में लेट लतीफी हो रही है।
सपनई बैराज में कुल 7 रेडियल गेट लगेंगे। 57 मीटर लंबे बैराज की उंचाई 8 मीटर रखी गई है। बैराज बन जाने के बाद इसका कैचमेंट एरिया करीब 174 वर्ग किलोमीटर होगा और इसमें खरीफ में डेढ़ हजार तथा रबी में 200 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। नहरों के बन जाने से भगोरा, तिलगा, महापल्ली सहित आसपास के गांवों को इसका फायदा मिलेगा।

वर्सन-
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता आर धवनकर का कहना है कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण बैराज के निर्माण में देरी की वजह जांजगीर चाम्पा जिले की 60 हेक्टयर वन भूमि एनओसी का है। समय नही मिल पा रहा है स्टाफ की भी कमी है। इसका निराकरण जल्द किया जाएगा।

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