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सोमवार 15 नवम्बर जिलेवासियों को अमर कर गया सर्किट हाउस मुक्तिधाम इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों में अंकित …. ऐसा जन सैलाब न देखा ….शहीद विप्लव परिवार अमर रहे ….गमगीन हुआ शहर …

 

रायगढ़। एक वह शनिवार का मनहूस दिन जब जब शहर के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी के बड़े बेटे व उसके पूरे परिवार के एक चरमपंथी संगठन के हमले में शहीद होने की खबर आई। और आज सोमवार 15 नवम्बर 2021 का दिन जब एक परिवार के शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी और लगभग 7 वर्षीय मासूम अबीर का पार्थिव देह शहर पहुंचा। समूचा शहर गमगीन हो गया। हर किसी की आंखे नम हो गई।


जिंदल एयर पोर्ट से लेकर घर पहुंचने तक पूरे रास्ते भर शहीद परिवार को नमन कर अंतिम विदाई देने पूरे सड़क में हुजूम उमड़ पड़ा था। पूरे रास्ते मे शहीद लाडले परिवार पर फूलों की बरसात होती रही। वही दूसरी ओर शहर का रामलीला मैदान जहां सुबह से ही शहरवासियों को पार्थिव देह आने का बड़ा बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। रामलीला मैदान शहीद कर्नल विप्लव के परिवार को अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित करने पहुंचा था अंतिम दर्शन के लिए होड़ सी मच गई। मैदान पूरी तरह खचाखच भरा हुआ था। रामलीला मैदान से जब शहर जब सर्किट हाउस मुक्ति धाम के लिए निकला तब पूरे रास्ते भर जयकारे व अमर रहे नारे गूंजते रहे । सत्तीगुड़ी चौक पहुंचते ही यहाँ भी अंतिम विदाई देने लोग सड़क के किनारे इंतजार में खड़े रहे शहरवासियों ने फूलों की बरसात कर नमन किया और विदाई दी। पूरे रास्ते भर शहरवासी सड़क किनारे मौजूद रहे घरों की छतों पर लोग खड़े रहे और जिधर से शव यात्रा गुजरी लोग नम आंखों से फूलों की बौछार कर विदा किया।


जगह जगह शहीद परिवार के बैनर लगाए गए थे एक तरफ जहां शव यात्रा का स्वागत फूलों की बारिश कर अपनी अपनी श्रद्धाजंली अर्पित कर रहे थे साथ ही जयकारे और शहीद विप्लव परिवार अमर रहे के जयकारों से गूंजती रही।

खास बात यह है कि लोगों में सबसे ज्यादा दुख इस बात को लेकर रहा कि घटना कारित करने वाले चरमपंथी की कायराना हरकत जिसमे शहीद की पत्नी और मासूम के शहीद होने का गम साफ झलक रहा था।

शनिवार 15 नवम्बर का दिन शहरवासियों के लिए एक बड़ा काला दिन रहा जो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नो पर दर्ज होकर अमर हो गया। सर्किट हाउस स्थित मुक्तिधाम का नाम भी शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी पत्नी व बच्चे तीनों का एक साथ एक पूरे परिवार का अंतिम संस्कार की गवाही देता रहेगा।


इतिहास के पन्नो में सर्किट हाउस मुक्तिधाम का नाम दर्ज हो गया जहां शहीद विप्लव त्रिपाठी के परिवार को अंतिम विदाई देने पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था। जहां न सिर्फ पुरुषों का हुजूम था बल्कि महिलाएँ बच्चे बुजुर्ग जवान हर वर्ग के लोगों से खचाखच भरा हुआ था। जब सेना के बिगुल के साथ तीन अर्थी सजी तब हर किसी की आंखे नम हो गई थी। शहरवासी बोझिल मन व भीगी पलकों से विदाई दिया और स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज पल की गवाह बने।

 

 

 

 

 

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