
3 राज्यों में बची कांग्रेस की सरकार…11 माह में दूसरा राज्य भी गया पंजे से…झटकों की हैट्रिक…2014 के बाद भाजपा का पूरे देश मे दबदबा…होने वाले हैं 5 राज्यों के चुनाव…
अनूप बड़ेरिया
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को बीते 11 माह में पांडिचेरी के रूप में अपना दूसरा राज्य गंवाना पड़ा है। और बीते 2 साल के भीतर झटकों के रूप में यह कांग्रेस की यह हैट्रिक है। आपको बता दें कि कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार थी। जहां JDS और कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव में भाजपा ने कर्नाटक पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद सेम यही सिचुएशन मध्यप्रदेश में भी क्रिएट हुई। यहां कांग्रेस के कमलनाथ सरकार की विदाई हुई और भाजपा के शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने।
अब पांडिचेरी से भी कांग्रेस की विदाई हो गई है अल्पमत में आने के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री वी नारायण स्वामी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
कभी दक्षिण था कांग्रेस का गढ़- दक्षिण भारत कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था। लेकिन अब भाजपा ने यहां भी सेंध लगा दी है। कर्नाटक के बाद पांडिचेरी ही कांग्रेस का आखिरी किला बचा था, लेकिन अब वह भी ध्वस्त हो गया।
केवल 3 राज्यों में बची कांग्रेस की सरकार- नेहरू इंदिरा के जमाने में पूरे देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी। लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से जहां पूरे देश में भाजपा का परचम लहराने लगा वही कांग्रेस धीरे-धीरे सिमटकर केवल तीन राज्यों में ही पूर्ण रूप से सत्ता में है। जिसमें छत्तीसगढ़ राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार खुद चला रही है। वहीं अन्य 2 राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका अदा कर रही है।
5 राज्यों में है चुनाव उम्मीद कहीं नही- आगामी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, पांडिचेरी और असम राज्य शामिल है। इन पांचों राज्यों में कांग्रेस किसी भी राज्य में सरकार बनाने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।थोड़ी बहुत आशा असम से की जा सकती हैं।
बड़े राज्यो बिहार-यूपी में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से भी कमजोर- कभी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेश के ही मुख्यमंत्री हुआ करते थे लेकिन सत्ता पाने के बाद संगठन को महत्व नहीं देने की आदत की वजह से बड़े इन बड़े राज्यों में कांग्रेसी अब क्षेत्रीय दलों सपा, बसपा, जनता दल यू, आरजेडी से भी छोटी पार्टी के रूप में सिमट कर रह गई है।
न चिंतन, न मनन, न संगठन को मजबूत करने की कोशिश– कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ही लेकर मनन और चिंतन करने में लगी रहती है। यही वजह है कि पार्टी का संगठन काफी कमजोर हो गया है और जो पार्टी के संगठन की चिंता कर जो बड़े नेता मुखर होते हैं उन्हें चुप करा दिया जाता है।
भाजपा में संगठन को महत्व– भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रहे या विपक्ष में सदैव ही संगठन को काफी महत्व दिया जाता है। रोटेशन पद्धति पर अध्यक्षों की नियुक्ति की जाती है। जिससे युवा और ऊर्जावान लोगों को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलती है और उसका परिणाम भी निखर कर सामने आ रहा है। जबकि कांग्रेस में एक बार जो अध्यक्ष बन गया वह उस पद को छोड़ना नहीं चाहता है। और संगठन भी उसे दोबारा तिबारा रिपीट करता जाता है। जिससे नए लोगों को मौका नहीं मिल पाता है।