जिले के तमनार में 11 वां कोयला सत्याग्रह पेलमा में …..गांधी जयंती के मौके पर आयोजित होता है कोयला सत्याग्रह ….नमक कानून तोड़ने की तर्ज है कोयला सत्याग्रह ……ये है मांग सत्याग्रहियों की …
रायगढ़।
जिले के तमनार ब्लॉक के पेलमा में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गांधी जयंती के मौके पर कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया गया जिसमें आस पास के 25 से अधिक गांव के ग्रामीणों प्रतिनिधियों सहित विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में शुरू हुआ।
कोयला सत्याग्रह में ग्रामीण, समाजिक कार्यकर्ता सरकार की नीति पर जमकर बरसे और कहा प्रशासन अनुसूची 5 क्षेत्र होने की वजह से ग्राम सभा एनओसी के बिना कोई निर्णय न ले ग्रामीण इसके लिए कमर कसकर बैठ गए है।
कोयला सत्याग्रह गांधी जी के नमक कानून तोड़ने की तर्ज पर कोयला कानून को लेकर आयोजित किया जाता है। यह कोयला सत्याग्रह पिछले 11 सालों से आयोजित की जा रही है। इसकी शुरुआत जन चेनता मंच और कोयला प्रभावित गांव के किसान मज़दूर एकता संगठन के तत्वाधान में शुरू किया गया था जो आज पर्यंत जारी है।
कोयला सत्याग्रह को लेकर प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि भू सम्पदा उसकी जिसकी जमीन हो, कोयला निकालने की अनुमति सरकार प्रभावित ग्रामीणों को दे वे कोयला निकाल कर बाजार में बेचेंगे और बकायदा इसके टेक्स रॉयल्टी का भी भुगतान करेंगे। जिसकी जमीन उसकी सम्पदा की मांग करते हुए इस वर्ष भी बड़ी संख्या में सत्याग्रही तमनार के पेलमा में एकत्रित हुए हैं।
2 अक्टूबर 2021 को ग्राम पेलमा मे कोयला सत्याग्रह मनाया गया। जिसमें पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल, पूर्व विधायक ह्रदय राम राठिया, कोयला सत्याग्रह के प्रमुख हरिहर पटेल, सविता रथ, बंसी पटेल, राजेश गुप्ता, राजेश त्रिपाठी, शिव पटेल, भोजमती राठिया, तनमय बनर्जी, कृष्णा साव आदि सहित कोयला सत्याग्रह में उड़ीसा के राजेंद्र डेमे उराव, अंबिकापुर सामाजिक कार्यकर्ता एवं आसपास 25 गांव से अधिक ग्रामीण ने हिस्सेदारी किया गया।
दरअसल ग्रामीण बद से बदत्तर हो चुकी प्रदूषण कि स्थिति को देखते हुए क्षेत्र में और नए कोल ब्लॉक खोलने की अनुमति नहीं देना चाहती है यही वजह है कि कई कोल ब्लॉक की एनओसी भी इसी वजह से अटकी हुई है। आज गांधी जयंती के मौके पर ग्रामीण क्षेत्र में नए कोल ब्लॉक खुलने नहीं देने की बात रखी और अगर सरकार को देश विकास के लिए कोयला चाहिए तो ग्रामीणों की बनाई समिति को दी जाए और ये समिति के माध्यम से कोयला उत्पादन करेंगे।