11 माह के मासूम बच्चे के हाथ के नस की बजाए स्किन में लगा दी नीडिल.. गम्भीरावस्था में आनन-फानन मासूम को बिलासपुर किया रेफर..तब बची जान..
11 माह के मासूम बच्चे के हाथ के नस की बजाए स्किन में लगा दी नीडिल..
गम्भीरावस्था में आनन-फानन मासूम को बिलासपुर किया रेफर..तब बची जान..
नही सुधर रही जिला हॉस्पिटल की व्यवस्था..
पहले भी डिलेवरी हुए नवजात की डस्टबीन में गिरने से हो चुकी है मौत..
अनूप बड़ेरिया
जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर लगता है हादसों से कोई सबक लेने के मूड में नहीं है। साल भर पहले प्रसूति महिला के नवजात बच्चे की मौत डस्टबिन में गिरने से जिला चिकित्सालय में हुई थी। बावजूद इसके हॉस्पिटल के स्टाफ मरीजों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

ताजा मामले में कोरिया जिला बैकुंठपुर के स्क्रैप व्यवसायी सद्दाम कुरैशी ने जिला चिकित्सालय प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि उनके बच्चे एहसान कुरैशी उम्र 11 माह को दस्त होने की वजह से 4 अगस्त की शाम को जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में भर्ती कराया गया जहां शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा बच्चे की जांच करने के बाद उपस्थित नर्स को बोतल चढ़ाने का निर्देश दिया।
चिकित्सक के जाने के बाद उपस्थित नर्स बच्चे की बांह में नीडिल लगाने के लिए नस नही खोज पायी। तब एक दूसरी नर्स उसने बुलाया और नर्स ने बच्चे की बाग में नस की बजाए चमड़ी में ही नीडिल लगा कर बोतल चढ़ा दी। थोड़ी देर बाद जब बच्चे का हाथ फूलन लगा, तब उसके पिता सद्दाम ने घबराकर नर्स को बुलाया। नर्स ने आकर नीडिल को अलग किया और इसकी सूचना डॉक्टर को दी। डॉक्टर ने अपनी किसी जूनियर को भेजकर मासूम बच्चे को इंजेक्शन लगवाया। इसके बाद बच्ची की हालत सुधारने की बजाय और बिगड़ती गई तथा उसे लगातार दस्त होने लगे।

बच्चे की हालत बिगड़ते देख घबराए उसके पिता सद्दाम ने आनन-फानन में बच्चे को रेफर कराया और सुबह लगभग 5:00 बजे वह बच्चों को लेकर बिलासपुर एक निजी चिकित्सालय में जा पहुंचा जहां 3 दिन उपचार के बाद उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
सद्दाम ने बताया कि जिला चिकित्सालय में अधिकांश स्टाफ पेशेंट की बजाय मोबाइल देखने में बिजी रहता है, कई बार बुलाने के बाद ही पेशेंट को देखने जाते हैं। उन्होंने इस पूरी घटना की शिकायत जिला कलेक्टर से करने की बात कही है।