जब हॉस्पिटल में वीआईपी के लिए वार्ड आरक्षित.. तो.. रेस्ट हाउस में परमानेंट वीआईपी कमरा आरक्षित क्यों नही..
बैकुंठपुर रेस्ट हाउस में वीआईपी रूम खाली न होने से विधानसभा अध्यक्ष को रुकना पड़ा होटल गंगा श्री में..
अनूप बड़ेरिया
जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में जब कोई सामान्य मरीज बीमार होकर भर्ती होने के लिए जाता है तो उसे प्रायवेट क्रमांक 2 और 4 यह कह कर नही दिया जाता कि यह वीआईपी जैसे मंत्री, कलेक्टर, जज या विधायक के लिए आरक्षित है। जब हॉस्पिटल जैसे अति संवेदनशील व महत्त्वपूर्ण जगह में वीआईपी कोटा चलता है तो बैकुंठपुर के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में वीआईपी सिस्टम लागू क्यों नही है यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब शायद कोरिया जिला प्रशासन के पास नही है।
दरअसल सोमवार को छग विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और उनकी पत्नी व कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत बैकुंठपुर प्रवास पर पहुंचे। महंत सपरिवार बच्चे सहित बैकुंठपुर आए हुए थे। विश्रामगृह जाने पर पता चला कि एक वीआईपी कक्ष में जज साहब रुके हुए हैं। अब चूंकि महंत सपरिवार थे, और साथ मे राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो भी साथ थे इसलिए उन्हें 2 से 3 वीआईपी रूम की आवश्यकता थी। लेकिन अंचल के कद्दावर नेताओ को केवल एक वीआईपी रूम व बाकी साधारण रूम ही मिल सका। जिसके बाद इन सभी नेताओं को होटल गंगा श्री में रुकना पड़ा। इन सभी नेताओं के साथ उनके पीएसओ भी हैं। अब प्रश्न यह भी है कि होटल में रुकने व भोजन के व्यय कौन वहन करेगा..?