राष्ट्रीयकृत बैंकों में लगे ताले कर्मचारियों ने किया हड़ताल … हड़ताल को ट्रेड यूनियन काउंसिल का मिला साथ…बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल जनविरोधी … बिल का का कड़ा विरोध..
रायगढ़।
सरकार द्वारा बैंकों के निजी करण के लिए संसद में बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल लाया जा रहा है। इस जनविरोधी बिल का का कड़ा विरोध करते हुए यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस ने दिनांक 16 एवं 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। रायगढ़ में भी हड़ताल के फल स्वरूप सभी राष्ट्रीय की बैंकों में ताले लगे ।
संजय एक्का ,क्षेत्रीय सचिव भारतीय स्टेट बैंक का अधिकारी संघ और दीपक कुमार राम क्षेत्रीय सचिव, अवार्ड स्टाफ यूनियन ने बताया कि हड़ताल के प्रथम दिवस सभी बैंक कर्मचारी अधिकारी भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा केवड़ा बाड़ी रायगढ़ में एकत्र होकर केंद्र सरकार के बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल के खिलाफ धरना प्रदर्शन एवं सभा किएl
धरना प्रदर्शन एवं सभा में रायगढ़ ट्रेड यूनियन काउंसिल के अध्यक्ष गणेश कछवाहा उपाध्यक्ष शेख कलीमुल्लाह (कार्यकारी अध्यक्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ जिला रायगढ़) कोषाध्यक्ष सुनील मेघमाला( बिलासपुर नेशनल इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन) सह कोषाध्यक्ष विष्णु यादव( छत्तीसगढ़ लघु वेतन चतुर्थ वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ) बिलासपुर डिविजनल इंश्योरेंस एंपलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष अगस्तुस एक्का सचिव प्रवीण तंबोली, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के सचिव खगेश पटेल छत्तीसगढ़ लघु वेतन चतुर्थ वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रवि गुप्ता, महामंत्री वेद प्रकाश अजगल्ले शामिल हुएl सभा को आमंत्रित वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया ।
वक्ताओं ने कहा कि “बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल ” देश की अर्थव्यवस्था ,बैंकिंग सिस्टम,एवं आम जनता के हितों के खिलाफ है यह जन विरोधी और देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला बिल है। बैंकों का निजीकरण का मामला केवल 10 लाख बैंक कर्मी का मामला नहीं है बल्कि यह आम जनता का मामला है। केंद्र सरकार के गलत नीति से आम जनता की परेशानी बढ़ जाएगी। वर्ष 1969 के पूर्व देश में निजी बैंकिंग प्रणाली फलीभूत हो रही थी उसके दुष्परिणाम को देखते हुए तत्कालिक केंद्र सरकार ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण किया और राष्ट्रीय कृत बैंकों ने इस देश की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने देश के आम जनता को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ते हुए एक मजबूत अर्थव्यवस्था देश को दिया। इसके बावजूद निजीकरण करना समझ से परे हैl सरकार को चाहिए कि बैंकों का निजीकरण के बजाय बैंकों के बड़े चूक करता ग्राहक पर कड़ी कार्यवाही करें और एन, पी, ए ,घाटा को पूरा करें।
राष्ट्रीय कृत बैंक से आम आदमी जुड़ा हुआ है । यदि निजी करण होता है तो बैंकिंग का उद्देश्य केवल लाभ कमाना रह जाएगा और आम जनता पर अधिक अधिभार पड़ेगा । देश के समाजशास्त्रीय और अर्थशास्त्रियों प्रबुद्ध जनों ने भी प्रस्तावित बिल को देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला बताया है। इसलिए केंद्र सरकार से हमारी अपील है कि सरकार बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल ” पर पुनर्विचार कर प्रस्तावित बिल को वापस ले और देश की अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने तथा जन हित में राष्ट्रीय कृत बैंकों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक निर्णय ले।