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गणेश कछवाहा: ढेरों उपलब्धियां, ढेरों आशाएं- जनवादी और जनपक्षधर साहित्य के प्रचार प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण योगदान– डॉ. राजू पांडेय ….जनवरी 2022 में सेवानिवृत्त…

रायगढ़।

जिले का एक जाना पहचाना नाम है गणेश कछवाहा भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत ट्रेड यूनियन कॉउंसिल के पदाधिकारी विभिन्न जन संगठनों के माध्यम से जन समस्या आधारित से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले के तौर पर पहचाने जाते हैं। आज 25 जनवरी को वे 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे है और इसी माह भारतीय जीवन बीमा से सेवानिवृत्त होने वाले है।

इन्हें लेकर डॉ राजू पांडे उनके जीवन के सार को अपने शब्दों में पिरोया हैं पढ़े पूरी आलेख …..

 

सेवानिवृत्ति के उपरांत प्रायः भावी जीवन के स्वरूप को लेकर अनेक संशय एवं प्रश्न मन में उठते रहते हैं। नौकरी की व्यस्त दिनचर्या के बाद घर का एकांत काटने को दौड़ता है। समस्या होती है कि अब अपने जीवन को किस प्रकार आगे ले जाएं। अग्रज गणेश कछवाहा भी जनवरी 2022 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। समस्याएं और दुविधाएं उनके सम्मुख भी हैं किंतु एकदम अलग प्रकार की।
रायगढ़ नगर गणेश भाई जैसे व्यक्तित्व की लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा है। रायगढ़ के सांस्कृतिक जगत को उन जैसे दूरदर्शी संगठक की आवश्यकता है। यदि आजकल सरकारी बन कर अपना असर खो देने वाले चक्रधर समारोह का इतिहास खंगाला जाए तो गणेश भाई और उनके अग्रजों-मित्रों की एक समर्पित टीम के जुनून के दर्शन होते हैं जिसने चक्रधर समारोह की न केवल परिकल्पना की बल्कि उसे साकार भी किया।


बतौर साहित्यकार गणेश भाई ने छत्तीसगढ़ की अनेक विभूतियों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अन्वेषणपरक आलेखों की रचना एवं प्रकाशन द्वारा यह सुनिश्चित किया है कि युवा पीढ़ी इनके अवदान से परिचित हो तथा अपनी गौरवशाली विरासत का ज्ञान प्राप्त कर कुछ बेहतर करने को कृतसंकल्पित हो।


रायगढ़ नगर के बौद्धिक जीवन में व्याप्त सन्नाटा मानो गणेश भाई की ही राह देख रहा है। यह साहित्य के क्षेत्र में उनकी सक्रियता ही थी जिसने आज से लगभग दो दशक पहले रायगढ़ के साहित्यिक परिदृश्य को काव्य गोष्ठियों और वैचारिक बहसों के माध्यम से जीवंतता प्रदान की थी। अब जब वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो नगर के संस्कृति कर्मी और साहित्यकार यह आशा कर रहे हैं कि सुचिंतित और सुव्यवस्थित सांस्कृतिक-साहित्यिक आयोजनों का सफल सिलसिला फिर प्रारंभ होगा।
लेकिन गणेश भाई के लिए आतुर प्रतीक्षा करने वाले केवल इतने ही नहीं हैं। औद्योगिक विकास के कारण बढ़ते प्रदूषण और जल-जंगल-जमीन से जुड़े सवालों को लेकर निरंतर संघर्ष करने वाले सोशल एक्टिविस्ट्स भी यह चाहते हैं कि गणेश भाई सेवानिवृत्ति के बाद अपना पूरा समय तद्विषयक आंदोलनों को दें। जननायक स्वर्गीय रामकुमार अग्रवाल जी के आदर्शों को साकार करने के लिए निर्मित जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के सक्रिय सदस्य के रूप में और स्वतंत्र सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी गणेश भाई ने बहुत साहसपूर्वक सरकारों और उद्योगपतियों से कठिन सवाल पूछे हैं और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए चल रहे राष्ट्रव्यापी जनांदोलनों में उनकी सक्रिय सहभागिता रही है।

राजनीति से जुड़े मेरे बहुत सारे मित्र मुझसे कहते रहे हैं कि रायगढ़ के विकास और रायगढ़ की अस्मिता की रक्षा से जुड़े सवालों पर तथ्यपूर्ण, तार्किक और बेबाक हस्तक्षेप करने वाले गणेश भाई यदि स्थानीय राजनीति में आ जाएं तो निश्चित ही रायगढ़ के विकास को मानव केंद्रित एवं वैज्ञानिक बनाया जा सकेगा।

साहित्य,संस्कृति,पर्यावरण और राजनीति से जुड़े अपने मित्रों के आग्रह पर गणेश भाई तब ही विचार कर पाएंगे जब रायगढ़ का ट्रेड यूनियन आंदोलन स्वयं को इतना समर्थ बना लेगा कि गणेश भाई की अनुपस्थिति में भी वह उन ऊंचाइयों पर खुद को बरकरार रख सके जिन पर गणेश भाई ने उसे पहुंचाया है। ट्रेड यूनियन आंदोलन से गणेश भाई का जुड़ाव अत्यंत चुनौतीपूर्ण और कठिन समय में हुआ। यदि स्थानीय स्तर की बात करें तो कॉमरेड कपिल देव और कॉमरेड अम्बा प्रसाद दुबे जैसे कद्दावर नेताओं के अवसान के बाद किसी सर्वस्वीकार्य, सहज उपलब्ध जमीनी संगठनकर्ता की कमी ट्रेड यूनियन आंदोलन बुरी तरह महसूस कर रहा था। यदि राष्ट्रीय परिदृश्य को देखें तो नब्बे के दशक की शुरुआत से ही एलपीजी (लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन) का बोलबाला होने लगा था। सरकारें, उद्योगपति तथा राजनीतिक दल सभी के सभी ट्रेड यूनियन आंदोलन को कमजोर करने में लगे थे। अलग राजनीतिक प्रतिबद्धता वाली ट्रेड यूनियंस अस्तित्व में आ रही थीं। अधिकारियों और कर्मचारियों की अलग अलग यूनियनें तो थीं हीं अब कर्मचारी यूनियनों में भी कई धड़े बन गए। तृतीय वर्ग- चतुर्थ वर्ग, स्थायी-अस्थायी आदि आदि अनेक विभाजनकारी उपभेद ट्रेड यूनियनों के बीच निर्मित हुए। अनेक यूनियनें वेतन-भत्तों और कुछ सुविधाओं की प्राप्ति को ही उपलब्धि समझने लगीं। निजी क्षेत्र का हाल और बुरा था, यहां ठेका पद्धति आदि का सहारा लेकर ट्रेड यूनियन बनने ही नहीं दी गई। श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों के मौलिक अधिकारों को ही छीना जाने लगा। सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने की कवायद होने लगी। मजदूरों की छंटनी और वेतन भत्तों में कटौती आम बात हो गई।
ऐसी विषम परिस्थितियों में गणेश भाई ने न केवल ट्रेड यूनियन आंदोलन को जीवित रखा बल्कि एलआईसी की रायगढ़ यूनियन को एक आदर्श ट्रेड यूनियन का स्वरूप दिया। आज यदि एलआईसी की रायगढ़ यूनियन का कोई सामान्य सदस्य भी देश और समाज से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखता है तो इसके लिए गणेश भाई के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण को ही श्रेय दिया जाना चाहिए। गणेश भाई ने अनेक युवा सहकर्मियों को सुदृढ वैचारिक पकड़ युक्त जुझारू कर्मचारी नेता के रूप में तैयार कर यह सुनिश्चित किया है कि ट्रेड यूनियन आंदोलन का भविष्य सुरक्षित हाथों में हो।


गणेश भाई ने जनवादी और जनपक्षधर साहित्य के प्रचार प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिसकी ओर कम ही लोगों का ध्यान गया है। दिमाग की खिड़कियां खोलने वाली और तर्क बुद्धि को विकसित करने वाली ढेरों पुस्तकें और पत्रिकाएं उन्होंने सैकड़ों पाठकों तक नियमित रूप से वर्षों तक पहुंचाई हैं। केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ट्रेड यूनियनों को एक सूत्र में पिरोकर गणेश भाई ने राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर आम सहमति बनाते हुए संयुक्त प्रतिरोध दर्ज करने की रणनीति पर काम किया और सफलता भी अर्जित की।

आदरणीय गणेश भाई मेरे गुरुभाई भी हैं। हम दोनों औघड़ संत परम पूज्य प्रियदर्शी बाबा जी के शिष्य हैं। माँ गुरु की असीम कृपा कछवाहा परिवार पर हमेशा से रही है। माँ गुरु हमेशा जीवन में संतुलन रखते हुए समाज कल्याण एवं राष्ट्र निर्माण के कार्यों में प्रवृत्त होने हेतु निर्देशित करते हैं। यह माँ गुरु की शिक्षाओं का प्रभाव ही है कि गणेश भाई सामाजिक समानता एवं सामाजिक समरसता की स्थापना हेतु प्रवृत्त हुए हैं। माँ गुरु की वाणी हमें शीलवान, शालीन,सहिष्णु एवं विनम्र बनने का निर्देश देती हैं। इन्हीं गुणों के कारण गणेश भाई का सम्मान उनके वैचारिक विरोधी भी करते हैं। परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु एवं माँ गुरु के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गणेश भाई की लेखनी सतत सक्रिय रहती है। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न अनेक व्यक्तियों को हम अपने आसपास देखते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सक्रियता दर्शाते हैं किंतु उनमें से बहुत कम गणेश भाई की भांति होते हैं जो हर क्षेत्र में प्रावीण्यता भी अर्जित करते हैं। यह आशा की जानी चाहिए कि माँ गुरु की कृपा से गणेश भाई निरंतर समाज और राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान देते रहेंगे।

कतिपय उपलब्धियां एवं उत्तरदायित्व

*सन 1984 में पद्मश्री मुकुट धर पांडेय जी की अध्यक्षता में गठित श्री चक्रधर ललित कला केंद्र के सहसचिव।
*सन 1985 में रियासत कालीन ऐतिहासिक गणेशमेला चक्रधर समारोह को जनसहयोग से पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका। दो दशकों तक चक्रधर समारोह का उद्घोषक के रूप में सफल संचालन।
* राष्ट्रीय जल नीति के निर्माण के संदर्भ में राष्ट्रीय पदयात्रा जन अभियान में विश्व प्रसिद्ध मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित वाटर मैन (जलपुरुष) श्री राजेंद्र सिंह के साथ ओडिसा की पदयात्रा।
* एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पी वी राजगोपाल(राजा जी) के साथ जल जंगल और जमीन के मुद्दे को लेकर अनेक जनसभाएं एवम् पदयात्राएं।
* एकता परिषद की जनादेश पदयात्रा (ग्वालियर से दिल्ली) के उद्घाटन कार्यक्रम एवम् राष्ट्रीय सम्मेलन ग्वालियर में जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल के साथ सक्रिय भागीदारी।
* राज्य कार्यकारिणी सदस्य मध्यप्रदेश विज्ञान सभा भोपाल।
* राज्य कार्यकारिणी सदस्य छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा।
* साक्षरता अभियान के साथ सक्रिय भागीदारी।
* महानदी बचाओ जीविका बचाओ अभियान (ओडिसा एवम् छत्तीसगढ़) में सक्रिय हिस्सेदारी।
• संयोजक ट्रेड यूनियन कौंसिल रायगढ़।
• प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (ऐपसो)
• राज्य कार्यकारिणी सदस्य जनवादी लेखक संघ छत्तीसगढ़।
• कार्यकारिणी सदस्य सेंट्रल जोन एम्प्लॉईज एसोसिएशन।
• सह सचिव ,बिलासपुर डिविजन इंश्योरेंस एम्प्लॉईज एसोसिएशन।
• सचिव, छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक केंद्र जिला रायगढ़,छत्तीसगढ़।

*साहित्य, पत्रकारिता, संगीत, नृत्य आदि से संबंधित स्थानीय विभूतियों के अतिरिक्त डॉ बशीर बद्र, गोपाल दास नीरज,निदा फ़ाज़ली, कुंवर बैचेन, राजेश जोशी, रामप्रकाश त्रिपाठी, संतोष चौबे,अंजुम बाराबंकवी, ललित सुरजन,उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, शोभना नारायण,पंडित बिरजू महाराज, तीजन बाई आदि स्वनामधन्य हस्तियों के साथ चर्चा-विमर्श के दौरान मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य।

डॉ राजू पाण्डेय
रायगढ़, छत्तीसगढ़

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