
सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 पेश .. बजट के साथ ही शेयर मार्केट में उछाल आना शुरू .. वास्तव में इस बजट से अमीर और गरीबों के बीच खाई,आर्थिक विषमता बहुत अधिक बढ़ेगी …किसान,छात्रों,बेरोजगारों, आम गरीब जनता को धोखा देने वाला दिशाहीन बजट है
*बजट पर प्रतिक्रिया*
केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने चौथा केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया है। बजट पेश करते ही शेयर मार्केट में उछाल आना शुरू हो गया। वास्तव में इस बजट से अमीर और गरीबों के बीच खाई,आर्थिक विषमता बहुत अधिक बढ़ेगी। किसान,छात्रों,बेरोजगारों, आम गरीब जनता को धोखा देने वाला दिशाहीन बजट है। यह देश की अर्थव्यवस्था को कॉरपोरेट्स घरानों के हाथों सौंपने वाला ,भावनात्मक और लच्छेदार आकर्षक शब्दोंकी कलाबाजियों से भरा हुआ बजट है।
बजट में प्रमुख तौर पर चार पांच बिंदु प्रमुख होते है।
जिसमें कृषक के लिए कृषि व्यवस्था एवं संसाधन, युवाओं के लिए रोजगार,गरीब आम जनता के लिए सामाजिक कल्याण की नीतियां और मंहगाई में कमी,रोजगार सुदा कर्मचारी वर्ग के लिए आयकर में राहत और बचत विनिवेश योजनाओं में वृद्धि, लघु एवं मझौले उद्योगों को समृद्ध करने की योजनाएं,इंफ्रास्ट्रक्चर शिक्षा, स्वास्थ चिकित्सा,रक्षा, रेल सड़क यातायात के संसाधनों राष्ट्रीयकृत वित्तीय संस्थाओं की सुरक्षा,बिजली सड़क , स्वच्छ जल और शुद्ध वायुतथा सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अर्थव्यवस्था की मजबूती। इसी नजरिए से बजट की समीक्षा भी जाती है।
विशेष तौर पर इस वर्ष के बजट में रोजगार के अवसर को बढ़ाने,कृषि व्यवस्था को मजबूत और समृद्ध करने, महंगाई कम करने,तथा आम गरीब जनता के क्रय शक्ति को बढ़ाने उनकी आर्थिक समृद्धि की योजनाएं बनाने तथा कर्मचारियों को आयकर में छूट के लिए बचत/ विनिवेश की सीमा को बढ़ाने तथा आयकर स्लैब में परिवर्तन किए जाने की अपेक्षा थी जिस पर इस बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया। वहीं राष्ट्रीय विकास के लिए बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर शिक्षा, स्वास्थ चिकित्सा,रक्षा, यातायात के संसाधनों राष्ट्रीयकृत वित्तीय संस्थाओं की सुरक्षा,बिजली सड़क , स्वच्छ जल और शुद्ध वायु को सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है।
जहां सरकार प्रतिवर्ष 02 करोड़ रोजगार देने का ढिंढोरा पिटती थी वहीं वित्त मंत्री ने इस बजट में कुल 60 लाख रोजगार की बात कह रही है जिसका भी कोई स्पष्ट नीतिगत मैप नहीं है। कर्मचारियों एवं मध्यम वर्ग को आयकर में कोई राहत नहीं दी गई है परन्तु कॉरपोरेट्स टैक्स को 18% से घटाकर 15% किया गया है और कॉर्पोरेट्स सरचार्ज को 12% से घटाकर 7% कर उन्हें लाभ पहुंचाने की घोषणा की गई है। किसानो की आय की कोई गारंटी सुनिश्चित नहीं की गई है।एम एस पी पर बजट मौन है। रेल्वे में पीपीपी मॉडल लाकर रेलवे के निजीकरण का रास्ता साफ कर दिया गया है। वहीं कड़े विरोध के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने वाली सबसे विश्वसनीय राष्ट्रीयकृत वित्तीय संस्थान भारतीय जीवन बीमा निगम के आई पी ओ जारी करने की घोषणा की गई है। जो काफी चिंताजनक है।इससे देश की अर्थव्यवस्था और अधिक कमज़ोर होने का खतरा बढ़ेगा। क्रीपटो करेंसी में 30% आय कर की घोषणा की है।क्या सरकार ने क्रीपटो करेंसी को मान्यता दे दी है।यह अर्थशास्त्रियों के लिए काफी चिंता का विषय है। क्रीपटो करेंसी को लेकर पूरे विश्व में विचार विमर्श जारी है। इसकी सुरक्षा और नियंत्रण को लेकर काफी शंका आशंकाएं है सरकार बिना संसद में चर्चा किए ,बिना विधेयक लाए इस बजट के माध्यम से देश में लागू कर रही है। क्या यह उचित है? यह अहम सवाल भी खड़ा हो रहा है। कोरोना काल में लघु , छोटे और मंझौले उद्योगों की हालत बहुत खराब हुई है ।उनकी रीढ़ ही टूट सी गई है । परंतु सरकार ने इस बजट में इनके लिए भी कोई विशेष घोषणा नहीं की है।
गरीब वंचितों एवं आमजनता की क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए कोई नीतिगत प्रावधान नहीं किया गया है। सामाजिक कल्याण की योजनाओं के बजट में निरंतर कमी की जा रही है। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को कॉर्पोरेट्स घरानों के हाथों गिरवी रखने वाला बजट है। जो देश के आर्थिक भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
सबसे बड़ी चिंता और अहम सवाल यह है कि भ्रष्टाचार और कलाधन को रोकने के लिए ठोस योजनाएं क्यों नहीं बना पा रही है।लॉक डाउन के समय सरकार ने 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा की थी।उसका क्या हुआ? 20 लाख करोड़ पैकेज का पूरा लेखा जोखा भी सरकार को जनता के सामने रखना चाहिए।
गणेश कछवाहा
अध्यक्ष
ट्रेड यूनियन कौंसिल रायगढ़ एवं
सदस्य जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़ छत्तीसगढ़
gp.kachhwaha@gmail.com
9425572284