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पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे के जन्मदिन पर विशेष..

पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे के जन्मदिन पर विशेष

  

अनूप बड़ेरिया

कोरिया जिले के राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र में शैलेष शिवहरे उर्फ शैलू भैया एक जाना माना चेहरा है। शैलेष शिवहरे उस शख्सियत का नाम है। जिसने मात्र लोगों की सेवा के उद्देश्य के लिए ही अपनी 50 हजार ₹ से अधिक प्रतिमाह वेतन वाली कालरी की नौकरी तक त्याग दी। भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष ,झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष ,भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष जैसे अनेक पदों को सुशोभित करने वाले शैलेष शिवहरे ने बचपन से ही संघर्ष किया ।

कभी बाजार में फ़ट्टा लगाकर चावल बेचने से नगरपालिका अध्यक्ष बनने तक का सफर उनका वाकई संघर्षमय रहा। बेहद मिलनसार लोगों की मदद करने वाले सभी के सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा खड़े रहने वाले शैलेष शिवहरे पूरे बैकुंठपुर नगरपालिका क्षेत्र के अलावा आसपास के क्षेत्र में अपनी सहृदयता के लिए काफी लोकप्रिय हैं।

   अगर उनके पास भी दुखियारा आया है और उससे किसी भी प्रकार के मदद चाहे वो आर्थिक ही क्यो न शैलेष कभी भी मदद करने से हिचकिचाते नहीं है। उनके लिए कहा जा सकता है कि..

दुख दर्द आए हम को, तो दुखिया बना लिया।

सुख अपना बांट करके, सुखिया बना लिया।।

 शैलेष शिवहरे के पास कितने कार्यकर्ता और समर्थक हैं । जितने इस क्षेत्र में किसी भी पार्टी के बड़े नेता के पास नहीं है। यह उनकी खासियत है कि उनके व्यवहार मे जो उनसे मिला , वह शैलू शिवहरे का मुरीद हो गया। पिछले पंचवर्षीय के पहले चुनावों में जब उनकी लोकप्रियता काफी उफान पर थी और टिकट का दावेदार होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने जनता की आवाज पर अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और भारी भरकम मतों से चुनाव जीतकर एक इतिहास बनाया । उनके कार्यकाल को हम इस रुप में कर सकते हैं कि..

जहां सच है वहां पर हम खड़े हैं।
इसी खातिर आंखों में गड़े हैं।।

 उनके कार्यकाल की उपलब्धियां भी किसी से छुपी नहीं है चाहे वह मुक्तिधाम में शिव जी का विशाल प्रतिमा जो लोगों को बरबस आकर्षित करती है । एक शानदार बड़ा पार्क, प्रेमा बाग में भव्य मंदिरों का निर्माण जैसे अनेक ऐसे कार्य हैं जो शैलेष शिवहरे के कार्यकाल का मील का पत्थर कहा जा सकता है। शैलेष शिवहरे ने बैकुंठपुर को हिंदुस्तान का मिनी हरिद्वार बना दिया है। पहले शहर की धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियां नगण्य सी थी। लेकिन शैलेष शिवहरे ने यहां लगातार धार्मिक आयोजन ,सांस्कृतिक व खेलकूद जैसे अनेक आयोजनों की शुरुआत कर शहर को संस्कारधानी बना दिया । आज प्रेमा बाग व बालमंदिर में हमेशा कुछ न कुछ धार्मिक आयोजन होते रहते हैं । जिनका पूरा श्रेय शैलेष शिवहरे को ही जाता है । प्रेमाबाग में लगभग लगभग सारे मंदिरों का निर्माण हो चुका है या निर्माणाधीन है। शहर में कौमी एकता की मिसाल प्रस्तुत करने में शैलेष शिवहरे का बहुत बड़ा योगदान रहा है । हर किसी आयोजन में हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय को एक कर आयोजन की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले शैलेष शिवहरे के लिए कहा जा सकता है कि..

फिर शान इस शहर को नई आप से मिली।
मुस्कान इस शहर की नई आपसे मिली।।
पाकर के साथ आपका, किस्मत बदल गई।
पहचान इस शहर को नई आप से मिली।।

 नगरपालिका अध्यक्ष बनने के बाद शैलेष शिवहरे ने लगातार अनुकरणीय कार्य किए। उसके बाद जब अगला पंचवर्षीय चुनाव आया । तब वह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख दावेदार बने। लेकिन इस बार वह पार्टी में आ चुके थे। इसलिए जितनी चुनौती उनके लिए पार्टी के बाहर थी । उससे कहीं ज्यादा चुनौती उनके लिए पार्टी के अंदर निपटने के लिए थी । पार्टी के अंदर रहकर लोगों ने शैलेष शिवहरे के विरुद्ध जमकर कार्य किया और नतीजा जो आया वह चौकाने वाला था। इसलिए शैलेष के लिए कहा जा सकता है..

युद्धों में कभी नहीं हारे, हम डरते हैं छल छंदों से।
जब भी पराजय पाई है, अपने घर के जयचंदों से।।

 शैलेष शिवहरे उस शख्सियत का नाम है जिसने चुनाव हारने के बाद फौरन जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अशोक जायसवाल को गले मिलकर बधाई दी । यही नहीं ,उनकी बधाई वाला एक बैैंनर भी शहर के बीच चौराहे में लगाया गया। इतना बड़ा दिल यदि किसी का हो सकता तो वह सिर्फ शैलू भैया का ही हो सकता है। जी हां शैलू भैया बड़े बुजुर्ग महिलाएं एवं बच्चे सभी उन्हें इसी नाम से संबोधित करते हैं। चुनाव हारने के बाद भी शैलेष शिवहरे लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे । उन्होंने हर गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चाहे वे राजनीतिक,सामाजिक और धार्मिक ही क्यों न हो। जिस पर उनके लिए कहा जा सकता है ..
ख्वाब टूटे है मगर हौसले अभी ज़िंदा है। 

मैं वो शख्स हूं जिससे मुश्किलें भी शर्मिंदा है।।

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विरोधियों की लाख कोशिश के बाद भी अपने समर्थकों और प्रशंसकों तथा कार्यकर्ताओं के दम पर शिवहरे की लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई और वह राजनीति के चौपाल पर काफी आगे निकलने लगे उनके विरोधियों के लिए कहा जा सकता है कि..

सवाल जहर का नहीं था वह तो मैं पी गया। तकलीफ लोगों को तब हुई जब मैं फिर भी जी गया।।

अपने कार्यकर्ताओं के लिए जी जान छिड़कने वाले और उन्हें भरपूर समय देने वाले शैलेष शिवहरे लगातार विरोधियों के निशाने पर रहते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जितने सामने उनके विरोधी नहीं है। उससे ज्यादा पार्टी के अंदर ही उनके विरोधी हैं । वह सब का सम्मान करते हैं और विरोधी से लेकर सभी उनका सम्मान करते हैं। स्थानीय विधायक भैयालाल राजवाड़े के काफी करीबी व उनके लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले उनके सबसे विश्वसनीय शैलेष शिवहरे को पीछे करने कि विरोधियों की हर चाल नाकाम हो जाती है। क्योंकि उनके लिए यह कहा जाता है कि..

खूब करो साहिब, कोशिश हमें मिट्टी में दबाने की।
शायद आपको नहीं मालूम कि हम बीज हैं, आदत है हमारी बार-बार उग आने की।।

क्षेत्र में लगातार सक्रियता और अंचल केें कद्दावर नेता श्री शिवहरे लगातार कामयाबी के शिखर पर चढ़ते जा रहे हैं । यह माना जा रहा है अगले पंचवर्षीय में इन को टिकट मिलना तय है । 15 अगस्त को आज उनके जन्मदिन पर पेेेज-११ व न्यूज-११ परिवार की ओर से ढेरों शुभकामनाएं ..!

उनके लिए बस इतना कहा जा सकता है कि..
लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि समंदर में रवानी नहीं है।
हम जब भी उठेंगे तूफान बन कर उठेंगे बस उठने की अभी ठानी नहीं है।।

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