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जिला अधिवक्ता संघ चुनाव राजनीत के चश्मे से किसने डाला ओखली में सर तांक झांक तो होगी …ऐसे में वारंटी-गारंटी का कार्ड कांग्रेस के लिए …

 

रायगढ़।

जिला अधिवक्ता संघ का चुनाव की हार जीत के बहुत गंभीर मायने हैं। पूर्व में इस बात को स्पष्ट तरीके से लिखा गया था कि देश के ख्याति लब्ध प्रसिद्ध ओहदेदारों ने इसी जमात से निकलकर राजनीति औऱ देश की आजादी के आंदोलनों में भागलेकर बड़े बड़े पदों को शोभायमान किया और देश की पटरी में चलने वाली ट्रेन को अंग्रेजों से छीनकर प्रजातन्त्र रूपी ड्राइवर के हाथो में सौंपकर संविधान का निर्माण किया। इन्हें ललकारने का नतीजा अभी सबने देखा भले ही ये व्यवस्था में बदलाव के लिए तंबू और बम्बू लगा बैठे थे व्यवस्था में बदलाव लाएगा या नहीं यह तो आने वाले समय मे पता लग पायेगा किंतु व्यवस्था में बदलाव की बहुत उम्मीद नहीं है।
बात अधिवक्ता संघ को लेकर है तो सीधे मुद्दे पर आते हैं कलान्तर में तहसील कार्यालय विवाद क्या उत्पन्न हुआ कई राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया जिला अधिवक्ता संघ का चुनाव और उसके परिणाम का अगर बारीकी से अवलोकन किया जाए परिणाम की गहराईयां बहुत सारी बातों को फुसफुसा रही है। जब इसकी और गहराइ में कलम को डाला तो लिखने की आदत से फिर मजबूर हो गया,इस चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस जो पर्दे के पीछे से पूरी तरह से अपनी ताकत झोंक दि यहां तक कि साम-दाम, दंड-भेद,सुविधा-साधन आदि से परिपूर्ण प्रत्याशी भले ही चुनाव न जीत पाए पर बाहरी वोटरों को साधने में कायमयाब जरूर हो गए,परिणाम कांग्रेस के अनुरूप नहीं आ पाया पर इस बात की ताकझांक तो होगी कि विधान सभा चुनाव के पहले कांग्रेस के किस जनप्रतिनिधि ने अधिवक्ता संघ चुनाव की ओखली में अपने सिर को डाला था जो हार के परिणाम से चकनाचूर होकर बाहर निकला। हमेशा अविजित रहे राजेन्द्र यहाँ कांग्रेस का साथ लेने के कारण हार का सामना कर बैठे अन्यथा अविजित ही रहते। पूरे परिणाम में देखा गया कि इक्का-दुक्का पदाधिकारी अधिवक्ता संघ के जो कांग्रेसी हैं लटपट के जीत पाए फिर भी इस परिणाम की आंकलन कांग्रेस खुद कर ले तो बेहतर होगा।


2023 के विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जा रही है वैसे-वैसे रायगढ़ जिले के कांग्रेस की स्थिति दिन पर दिन कहां जा रही है इसे राजनीति के चश्मे से देखना होगा। सारंगढ जिले के मुद्दे को लेकर जिस प्रकार से कांग्रेसियों ने भूपेश बघेल से ऊपर उठकर आंदोलन चालू करवाया इसके कारण सारंगढ जिले का लाभ भी कांग्रेस को मिलने से रहा और शेष बचे रायगढ़ कांग्रेस में कोई बड़ा बुजुर्ग नामचीन संघर्षरत चेहरे नहीं रह गए हैं तो जनता भी कांग्रेस से अपने आप को दूर करने में लगी है ऐसे में वारंटी-गारंटी का कार्ड कांग्रेस का जिले में गिरते ग्राफ की ओर इशारा करता है क्योंकि अब जनता की नजर तीसरी तरफ की ओर रुझान से मुखातिब होने जा रही है।

 

 

(आगे राजनीति के चश्में में क्या है जानने के लिए …,)

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