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संजना तुम बहुत याद आओगी …….क्या महज एक समाचार की वजह से लगाया मौत को गले ….

 

रायगढ़।
महज समाचार लिखना मेर आशय नही है जिस संजना को में जानता था वह हर किसी को भाई कह कर बुलाती थी जिसने धर्म-जाती से परे हट कर बात की और हर पहलू को बेख़ौफ़ हो कर बताती रही।
संजना शर्मा की आत्महत्या को लेकर कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है इतनी मजबूत लड़की जो हर कठिनाइयों को मजबूती से सामना करते चली आई जिसे लोगों ने देखा भी है। उसका यूं ही मौत को गले लगाना लोगो को हजम नहीं हो रहा है। यह बात अलग है कि पुलिस के नाम पर लिखी एक चिट्ठी को आधार मानते हुए पुलिस ने पत्रकार के खिलाफ मामला पंजीबद्ध तो कर लिया है लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या संजना वाकई में पत्रकार द्वारा लिखे जाने वाले समाचारों से इतनी छुब्ध हो गई थी कि उसे आत्म हत्या करना पड़ गया और एक प्रार्थना पत्र के तौर पर सुसाइड नोट छोड़ गई। एक ऐसी मजबूत दृढ़ता से लड़ने वाली लड़की ऐसे समाचारों से विचलित हो सकती है या समाचार एक बहाना था असल वजह कुछ और तो नहीं। आज कांग्रेसी जिस मजबूती के साथ मृतक संजना को न्याय दिलाने मुखर नजर आ रहे हैं अगर वो समय रहते इस पर गंभीरता दिखाया होता तो शायद संजना आज हमारे बीच होती। क्या संजना को इंसाफ मिल पायेगा।
पिछले दिनों की यादें तरो-ताजा हो जाती है जब एक विषय पर संजना ने आरोप-प्रत्यारोप को मुखर होकर झेला जिसकी जानकारी प्रदेश कांग्रेस को दी गई तो जांच कमेटी का गठन किया गया जिसके सदस्य शुरू से ही संजना से पूर्वाग्रह किये पड़े थे और सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट भी सत्यता के विपरीत ही बनी थी। जिसके बाद कांग्रेस के दो स्वयंभू महाबलियों के गुटबाजी भरे निर्णय से सार्वजनिक रूप से जनता के मध्य खुले आम कांग्रेस की किरकिरी हुई पर हाइकमान ने सुना ही नही जिसको लेकर रायगढ़ के एक होटल से 15 से ज्यादा पार्षदों ने ललकार कर हकीकत बताई जब जाकर हुकूमत जागी पर इतनी देर से निर्णय होना संभवतः कही न कही संजना के दिल को दहला ही दिया होगा,अब बेचारी संजना क्या जाने की कांग्रेस में भी बाहुबलियों के गिरोह की सुनवाई पहले होती है फिर पीड़ितों की देर सबेर न्याय के चार शब्द लिखे गए पर जिस संजना ने कांग्रेस के लिये अपना सर्वस्व त्याग दिया उसे अब हम श्रद्धांजलि देने निकल पड़े। संजना तो मौत के आगोश में समा गई वास्तविकता उसके साथ दफन हो गई पर संजना की आत्मा को शांती जब मिलेगी जब न्याय होगा।


जीवित पार्षद संजना को गलत ठहराने वाला कांग्रेस का विरोधी गुट यदि समय रहते समझ जाता कि भविष्य में इस संजना के साथ अंजाम यह होगा । संजना के पीछे एक बड़ी फौज थी जो अब व्याकुल है कि बिना संजना के क्या करें जिनकी उम्मीदें संजना थी वे भले ही रुआंसे है पर समय के इंतजार में है कि संजना के मौत के जिम्मेदार लोग जो पर्दे के पीछे छुपे बैठे है कब तक बेनकाब नही होंगे,शोषकों को कब तक सह मिलेगी और कब तक पहचान नही होगी पर एक दिन संजना निडर-बेखोफ होकर न्याय पाएगी। फ़िल्हाल पुलिस को संजना सुसाइड केस को लेकर गम्भीर है और इस मामले में पुलिस सीडीआर और मोबाइल के माध्यम से कई पहलुओं पर जांच कर रही है।

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