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वेदांता, मनसा और सारडा एनर्जी ये आंखो में झोंक रहे धूल ….. जारी दस्तावेजों में गोलमोल उल्लेख …. कहीं कह रहे प्रपोज कहीं कह रहे विस्तार …स्थापना और विस्तार दो है अलग कहानियां … and/or (और /या) का क्या फंडा….पढ़े पूरी खबर

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शमशाद अहमद/-

रायगढ़ । यूं तो जिले में औद्योगिक विस्तार लगातार हो रहा है विरोध करने वाले लगातार विरोध कर रहे हैं किंतु जिम्मेदार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। जिले में औद्योगिक प्रदूषण का जो हाल है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। यही वजह है की जिले में उद्योग स्थापना और विस्तार के लिए होने वाली पर्यावरणीय लोक सुनवाई के रास्ते को आसान किया जा सके। दस्तावेज में स्थापना/विस्तार and/or जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जो जानकारों के भी समझ से परे है।

इसमें सर्वाधिक संदेहास्पद वेदांता को कुनकुनी , सारडा एनर्जी तमनार और मां मनसा इस्पात एंड पावर के दस्तावेज संदेहास्पद प्रतीत हो रही है अब तक कंपनियां आईआईए रिपोर्ट में झोलझाल करते चली आ रहीं थी अब तो दूसरे दस्तावेजों में गोलमोल उल्लेख कर उद्योगपति के रास्ते आसान किया जा रहा है। और उद्योगपति उद्योग स्थापित कर सकें या विस्तार कर सकें आम जनता की समस्याओं को कौन इतनी बारीकी से देखता है।

जिले में स्थित जिन उद्योगों का विस्तार हो रहा है वह अब क्षमता कई गुना बढ़ रहा है विस्तार की क्षमता के अनुसार भूजल दोहन प्रदूषण और बर्बादी को और बढ़ावा दे रहा है। कोई भी कारखाने नियमानुसार पानी नहीं ले रही हैं ये अब तक जिनकी जन सुनवाई हुई है या होने वाली है सभी अंधाधुंध तरीके से भू जल का दोहन कर रही हैं। जहां तक एनजीटी के आदेश का सवाल है तो नए उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती और न ही विस्तार की अनुमति दी जा सकती है। किंतु दोनों आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। आने वाले दिनों में होने वाली जन सुनवाई में मां मनसा, वेदांता कोल वाशरी और साराडा एनर्जी इन तीनों की कहानी बड़ी दिलचस्प है। इनके जन सुनवाई के लिए जारी दस्तावेज गोलमोल तरीके से तैयार किए गए हैं। जिसमे ऐसा प्रतीत होता है कि उच्चाधिकारी इन उद्योगपतियों की गोद में बैठकर आम जनता को धोखा देने की मंशा से इस तरह दस्तावेज तैयार किया गया है जिसके जन सुनवाई में विरोध के स्वर दब जाए और आसानी से जन सुनवाई संपन्न हो जाए। उद्योगपतियों और अधिकारियों की मंशा सिर्फ अपनी कमाई से है वे आज यहां कल कहीं और चले जायेंगे। जहां तक बात विरोध की है तो विरोध तो होते रहते है और विरोध के बीच जन सुनवाई तमाम कवायद के बाद भी आसानी से जन सुनवाई सफल भी हो जाती है। इसी जन सुनवाई के रास्ते को आसान बनाना भी उन्हीं अधिकारियों के हाथों में है और यही वजह है कि नए स्थापना को भी विस्तार बता दिया गया है। उद्योग स्थापना का प्रपोजल है उसे भी विस्तार की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया गया है ताकि उद्योगपतियों की राह आसान हो सके।

दस्तावेजों को गौर से देखा जाए तो सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स के दस्तावेजों में स्थापना दिखाया जा रहा है एक तरफ कहा जा रहा है की सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स बजरमुडा और ढोलनारा के द्वारा स्थापना हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति बाबत लोक सुनवाई हेतु आवेदन दिया गया है। दूसरी ओर यह भी उल्लेख किया गया है की क्षमता विस्तार हेतु आवेदन दिया गया है। ऐसा ही वेदांता वाशरी एंड लॉजिस्टिक कुनकुनी के दस्तावेज में भी इसी तरह का गोलमोल उल्लेख किया गया है। एक तरफ स्थापना हेतु आवेदन का उल्लेख है तो वहीं आगे विस्तार करने का उल्लेख किया गया।
ऐसा ही पाली में निर्मित मां मनसा आयरन एंड पावर के लिए जारी दस्तावेज में प्रपोज प्रोजेक्ट शब्द उल्लेख है तो वहीं विस्तार की बात का भी उल्लेख किया गया है। बता दें की मां मनसा आयरन एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पाली में नए उद्योग की स्थापना की जा रही है। इसके दस्तावेज में एक तरफ साफ उल्लेख है की प्रपोज्ड प्रोजेक्ट है। दूसरी तरफ दस्तावेज में इसके क्षमता विस्तार का उल्लेख कर आम जनता को गुमराह करने का काम किया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं इसमें उत्पादन होने वाले उत्पाद को लेकर भी गोलमोल तरीके से उल्लेख कर गुमराह करने की कोशिश की गई है। जिसमे डीआरआई बेस्ड स्टील प्लांट से 1 लाख 32 हजार टन प्रतिवर्ष उत्पादन और Ferro alloys Sin Mn 35000 टन प्रतिवर्ष and/or FeMn 44000 TPA, and/or Fe Si 19000 TPA, and/or pig iron 70,000 TPA from 9 MVA x 2 Nos SAF और कैप्टिव पावर 30 MW का उल्लेख किया गया है।
इसमें गौर करने वाली बात है कि and/or जिसका तालमेल नहीं बैठ रहा है। and और or शब्द में अंतर है गोलमोल शब्दो का उल्लेख कर जाहिर सी बात है की ऐसा कर आम जनता के आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है।
आपको बता दें की मां मनसा आयरन एंड पावर नए प्लांट की स्थापना की जा रही है जिसके दस्तावेजों में कई तरह की भ्रांतियां स्पष्ट दिखाई दे रही है। कुल मिलाकर मां मनसा, वेदांता और सारडा एनर्जी के दस्तावेजों में बड़ा झोलझाल किया गया है स्थापना और विस्तार दो अलग अलग विषय है, जानकार बताते हैं की ऐसा इसलिए ताकि जनसुनवाई को आसान बनाया जा सके।

इस मुद्दे को लेकर समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी से चर्चा किया तो उन्होंने कहा कि वेदांता वाशरी एंड लॉजिस्टिक सहित मनसा आयरन एंड पावर में बड़ी खामियां हैं ऐसा ही कुछ सारडा एनर्जी के डॉक्यूमेंट में देखा गया है। दरअसल पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को आसान बनाने सारा खेल खेला गया है। राजेश त्रिपाठी ने कहा कि जितनी भी उद्योगों की जन सुनवाई होनी है सभी में कई तरह की तकनीकी खामियां हैं इन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना ही लोक हित में होगा। दस्तावेजों में खामियों की वजह से सभी उद्योगों की जन सुनवाई रोक दी जानी चाहिए जिनकी हो गई है उसकी भी दस्तावेजों की जांच उपरांत विस्तार की अनुमति दी जानी चाहिए तब तक के लिए जन सुनवाई शून्य घोषित किया जाना ही जनहित में होगा।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का कहना है की अब तक देखा जाता रहा है कि आईआईए रिपोर्ट कॉपी पेस्ट हुआ करती थी लेकिन अब नए तरह की तकनीकी गोलमोल तरीके से दस्तावेज तैयार किया गया है जो नियमानुसार अवैध है और सभी जन सुनवाई को तत्काल प्रभाव से शून्य घोषित किया जाना चाहिए।
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले कई जन संगठनों के द्वारा भी लगातार पर्यावरण प्रदूषण को लेकर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का काम किया जा रहा है। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा सहित सहयोगी संगठन भी सभी जन सुनवाई को शून्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं। होने वाली सभी जनसुनवाई यों को तत्काल प्रभाव से रोकने की बात करते हैं। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा और सहयोगी संगठन जिले अब किसी तरह के विस्तार और स्थापना के पक्षधर में नहीं, क्योंकि जिस तरह से जिले में प्रदूषण घातक हो चुका है कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की नई तरह की बीमारियां घर कर रही है। जिले की जानी मानी समाजिक कार्यकर्ता को खनन और उद्योग प्रभावित क्षेत्र में लंबे समय से कार्य करने का अनुभव है। उन्होंने बताया कि उद्योग और खनन प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं में अलग तरह की समस्याएं पैदा हो रही महिलाओं ने गर्भाशय से संबंधित तेजी से बढ़ रही है। सविता रथ ने भी बताया की क्षेत्र में और उद्योगों की स्थापना और विस्तार की अब और गुंजाइश नहीं यदि उद्योगों की स्थापना और विस्तार की जाती है तो क्षेत्र में गंभीर कैंसर जनित बीमारियां बेतहाशा दर से फैलेगी। जनसुनवाई को तत्काल प्रभाव से स्थगित/ निरस्त किया जाना उचित प्रतीत होता है।

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