
शिक्षा सचिव का शर्मनाक बयान, मुख्यमंत्री से दुर्भावना ग्रसित अधिकारी को हटाने, कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने की मांग ….बेशर्मी भरे बयान देते हुए कहा निकम्मा ….
शिक्षा सचिव का शर्मनाक बयान, मुख्यमंत्री से दुर्भावना ग्रसित अधिकारी को हटाने, कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने की मांग ….बेशर्मी भरे बयान देते हुए कहा निकम्मा ….
रायगढ़. छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन जिला शाखा रायगढ़ ने शिक्षकों के वेबीनार में जिसमें 20000 शिक्षकों की भागीदारी थी जिसमें छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग के सेवावृद्धि प्राप्त संविदा कर्मी आलोक शुक्ला प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग, नान घोटाले में चार्जशीटेड द्वारा बेशर्मी भरे बयान देते हुए शिक्षकों को निकम्मा कहा गया। इस अधिकारी के वक्तव्य का कर्मचारी फेडरेशन के जिला शाखा रायगढ़ के संयोजक शेख कलीमुल्लाह सचिव अनिल यादव ने विरोध किया है।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा है कि शिक्षक की गरिमामय पद को निकम्मा कह अपने को ही निकम्मा साबित किया है। यह बयान बेशर्मी से भरा हुआ है। उनका पूरा सेवाकाल भ्रष्टाचार के संदिग्ध आरोपों से भरी पड़ी है । नान घोटाले में वह स्वयं चार्जशीटेड है, और जमानत पर हैं। जुगाड़ लेकर शिक्षा सचिव जैसे पद में बार-बार वह स्वयं सेवा वृद्धि लेकर शिक्षा विभाग के मुखिया बने हुए हैं। उनके सेवा वृद्धि का मामला भी न्यायालय में लंबित है। इनके द्वारा शाला संबंधी खरीदी में इनके एनजीओ द्वारा फर्जी सामानों की सप्लाई की गई और उनके द्वारा उन्हें छाया प्रदान की गई। उनके साये में ही स्थानांतरण पदोन्नति व नई भर्ती के पदाकंन में लाखों का खेल चल रहा है।
आज छत्तीसगढ़ के शिक्षा की जो दुर्दशा है उसके लिए मुखिया होने के नाते वह स्वयं जिम्मेदार है। उनकी कौन सी ऐसी योजना है जो शिक्षा को बर्बाद कर रही है वे स्वयं विचार करें।
शिक्षक तीन चरणों में चयनित होकर उस पद पर पदस्थ होते हैं। शिक्षक योग्यता पास करने व शिक्षक ट्रेनिंग पास करने के बाद व्यापम परीक्षा में वरीष्ठता होने के बाद शिक्षकों की पदस्थापना होती है । उसे दोष देना बिल्कुल गलत है।
कई वर्षों से पदोन्नति नहीं हो रही है। योग्य एवम सक्षम व्यक्ति के होते हुए निचले स्तर के व्यक्ति को विकास खंड शिक्षा अधिकारी एवम जिला शिक्षा अधिकारी जैसे पद पर बिठाया जाता है। यदि राज्य की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है तो सचिव से लेकर संचालक, संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी पर पहले कार्यवाही हो। उसके बाद शिक्षकों पर कार्यवाही हो। जिला शिक्षा अधिकारी व विकास खंड अधिकारी का पद प्रभारियों के भरोसे चल रही है। इन पदों पर पूर्णकालिक अधिकारी नहीं है । वरिष्ठ के होते हुए कनिष्ठ को प्रभारी बनाया गया है। जो इन्हीं अधिकारियों को लाखों देकर उस पद पर विराजमान होते हैं, और ऐसे ही अधिकारियों के साये में रहकर उस लाखों को करोड़ों में शिक्षकों व शिक्षा मद से वसूल करते हैं। जबकि यही अधिकारी शिक्षा के मूल आधार स्तंभ है। जो भ्रष्टाचार के साये में फलते फूलते हैं वे कैसे शिक्षा के ऊपर ध्यान देंगे।
हाई स्कूलों में हजारों पद प्राचार्य व व्याख्याता के खाली हैं। माध्यमिक शाला में प्रधान पाठक व उच्च श्रेणी शिक्षक के पद रिक्त हैं। प्राथमिक शालाओं में प्रधान पाठक नहीं है । शाला में शिक्षक की कमी व कई शालाएं शिक्षक विहीन है। इसके लिए कौन दोषी है। मुखिया विहीन व शिक्षक विहीन शालाओं के लिए कौन दोषी है। जब संस्था में मुखिया व शिक्षक ही नहीं तो अच्छी पढ़ाई कैसे संभव है । भर्ती पदोन्नति तो उन्हें स्वयं करनी है जो वर्षों से लंबित है। स्थानांतरण व पदोन्नति पदस्थापना में लाखों रुपए का कारोबार चल रहा है और यही अधिकारी चला रहे हैं। सरकारी स्कूल आज भी जर्जर अवस्था में हैं, कक्षाओं का अभाव है फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है, शौचालय की कमी है, अधोसंरचना की कमी हैं। क्या उसके लिए भी शिक्षक ही दोषी है। विगत 3 वर्षों में कोविड काल में अध्यापन बुरी तरह से प्रभावित हुई । शिक्षा के क्षेत्र में नित नए प्रयोग, नई योजनाएं, वित्त पोषित एनजीओ की घुसपैठ जिसमें शिक्षा माफिया के लोगों की भूमिका है । शिक्षा माफिया वही जो उच्च पदों पर बैठे हैं। एन जी ओ से कमीशन लेकर उन्हें विद्यालय में हस्तक्षेप करने की खुली छूट देना भी लचर शिक्षा के लिए जिम्मेदार है। शिक्षा को बर्बाद कर रही है। सेटअप एवम बच्चों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की व्यवस्था नहीं है। गैर शैक्षिक एवम गैर विभागीय कार्य की अधिकता भी शिक्षा क्षरण के कारण है।
राजनीतिक सत्ता के संरक्षण में जी रहे और उन्हें वित्त पोषित कर रहे। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा शिक्षा के बारे में चिंता करना हास्यास्पद है। यह किसी सेवा के नहीं केवल धन लोलुपता के लिए उस पद पर विराजमान हैं, और पूरे विभाग के अधिकारियों को अपने ही श्रेणी में रखे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ में जो शत-प्रतिशत शिक्षा की दिशा दशा है और जो देश में सबसे नीचे पायदान में है।उसके 100% जिम्मेदारी स्वयं हैं। डॉक्टर डीआर प्रधान अध्यक्ष एवं डॉ अनिल पटेल सचिव छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ रायगढ़,अनिल यादव अध्यक्ष मनोज राय सचिव छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ रायगढ़, शेख कलीमुल्लाह अध्यक्ष, संजीव सेठी सचिव
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ रायगढ़,धर्मेंद्र बैस प्रांतीय महामंत्री रति दास महंत अध्यक्ष छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ रायगढ़, ,मनोज पांडे वरिष्ठ उप प्रांत अध्यक्ष,साथी गोविंद परधान अध्यक्ष छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ, रायगढ़,अर्जुन जयसवाल अध्यक्ष प्रदेश लिपिक वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ रायगढ़, विष्णु यादव उपप्रांतअध्यक्ष,रवि गुप्ता अध्यक्ष छत्तीसगढ़ लघु वेतन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ रायगढ़, भागवत कश्यप प्रांत अध्यक्ष, सुधीर पंडा अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजस्व पटवारी संघ रायगढ़, डॉ नरेंद्र पर्वत अध्यक्ष छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ रायगढ़, कार्यकारी अध्यक्ष भुनेश्वर पटेल छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक कल्याण संघ रायगढ़,अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पटेल छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ रायगढ़,राज कमल पटेल छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ रायगढ़, राम कुमार चौहान उपप्रांत अध्यक्ष श्याम सिदार अध्यक्ष छत्तीसगढ़ वाहन चालक संघ रायगढ़, पीसी साहू अध्यक्ष छत्तीसगढ़ पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ रायगढ़, रोहित कुमार डनसेना अध्यक्ष छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य संयोजक संघ रायगढ़,आई सी मालाकार
छत्तीसगढ़ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संघ रायगढ़,भोजराम पटेल छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ रायगढ़, सीपी डनसेना अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन संघ रायगढ़, दाताराम नायक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय अधिकारी संघ लक्ष्मी बघेल अध्यक्ष क्रांतिकारी शिक्षक संघ ने आलोक शुक्ला प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग के बयान की निंदा करते हुए, अपने कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाले संविदा कर्मी को तत्काल हटाने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की है।