
महानदी बचाओ जीविका बचाओ अभियान का विश्व नदी दिवस राष्ट्रीय सम्मेलन…. एक रिपोर्ट….वक्ताओं ने जलस्रोतों नदियों के विलुप्त होने और प्रदूषित होने…..उपभोक्तावाद और बाजारवाद को प्रमुख
महानदी बचाओ जीविका बचाओ अभियान द्वारा विश्व नदी दिवस के अवसर पर 25 सितंबर 2022 को बुधमंदिर भुवनेश्वर में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।जिसमे मुख्य सचिव बिजय कुमार पटनायक, तीन पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ श्रीरमेश चंद्र त्रिपाठी, श्री बिपिन ढाल सामंत, श्री सुधाकर पात्री,श्री बासुदेव शर्मा एडवोकेट सचिव जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ रायगढ़, और संयोजक सुदर्शन छोटेराय ने सभा को संबोधित किया। अध्यक्षता प्रख्यात विद्वान आर्य कुमार ज्ञानेन्द्र ने की।
सभी वक्ताओं ने जलस्रोतों नदियों के विलुप्त होने और प्रदूषित होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।विशेष तौर पर आधुनिक विकास के मॉडल जिसमे उपभोक्तावाद और बाजारवाद को प्रमुख मानकर अंधाधुंध औद्योगिक करण पर जोर दिया गया और जीवजगत व मानव जीवन को खतरे में डाल दिया गया है। । नदियों पर हमारा जीवन निर्भर है।मानव सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। जीविका का बहुत बड़ा संशाधन है। यदि नदियां समाप्त हो गई तो सम्पूर्ण जीवजगत ही खतरे में पड़ जायेगा। अतः नदियों को बचाना उसे सुरक्षित व संरक्षित करना सरकार व जनता की प्राथमिक जरूरत है।
वक्ताओं ने इस पर भी जोर दिया कि – ओडिसा व छत्तीसगढ़ राज्य की कोई जलनीति नहीं है दोनों सरकारों को अपने अपने राज्य की जल नीति घोषित करनी चाहिए। हीराकुंड बांध की क्षमता घटती जा रही है सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
महानदी विवाद को दोनो राज्य सामाजिक दृष्टिकोण विकसित करते हुए इसके समाधान की कोशिश करना चाहिए।
अंत में सभी ने विश्व नदी दिवस पर नदी बचाओ जीविका बचाओ का संकल्प लिया।और जनचेतना के प्रचार प्रसार का आव्हान किया।आयोजकों ने 2 अक्टूबर गांधी जयंती से 10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस, रायगढ़ से कटक और पारादीप तक एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की।
श्री वासुदेव शर्मा एवं भुवनेश्वर यादव 26 सितंबर को सुबह भुवनेश्वर से रायगढ़ पहुंचेंगे।
गणेश कछवाहा
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा
रायगढ़ छत्तीसगढ़