
इन्होंने कहा कुरान की नजर में सबसे पहले इल्म हासिल करना, इल्म ही तुम्हे जानवरो से अलग करती है, रुदौली शरीफ अयोध्या से आए महशूर मुकर्रीर अमजद अली चिश्ती मिस्बाही ….. इल्म सिर्फ दूसरों को नसीहत देना नहीं खुद पर भी …..पढिये पूरी खबर
रायगढ़।
शहर के मधुबनपारा गरीब नवाज मस्जिद परिसर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी का आयोजन किया जा रहा है। पैग़म्बरे आलम हजरत मोहम्मद साहब स. अलैहे वसल्लम के विलादत का महीना चल रहा है और इस महीने में मुस्लिम समाज अपने पैगम्बर हजरत मोहम्मद स.अ.व. के जन्म दिवस को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस मौके पर मधुबनपारा में हर वर्ष 12 दिनों का खिताबी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिससे देश के जाने माने मशहूर आलिमों को बुलाया जाता है। इस वर्ष खास मुकर्रीर उस्ताद जामिया चिश्तिया रुदौली शरीफ अयोध्या से आये हाफ़िज़ व कारी अमजद अली वारसी मिस्बाही हैं।
आयोजित कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में उनका खास फ़ोकस शिक्षा को बढ़ावा देना है। पढ़ाई को लेकर उनका संदेश बेहद साफ है सबसे पहले तालीम पर अपना ध्यान फ़ोकस करने की विशेष हिदायत दी जा रही है उन्होंने कुरान व हदीस के मुताबिक सबसे पहला काम इल्म हासिल करना बताया और वह इल्म सिर्फ दीनी ही नहीं दुनियाबी इल्म को भी बहुत जरूरी बताया है। वे कहते हैं इल्म हासिल करो और अपने समाज अपने शहर व देश को आगे बढ़ाने का काम करें। आज कल देखा जा रहा है कि बड़े बड़े इल्मवाले समाज को सही दिशा व दशा देने के बजाय नफरत वाले बोल बोलते है ऐसे इल्म का कोई फायदा नहीं। इल्म ऐसा होना चाहिए जिसमें मोहब्बत व एखलाक झलकता हो घमंड व गुरूर नहीं होना चाहिए। इंसान को घमंड व गुरुर इंसान नहीं बनाता घमंड व गुरुर वाला हमेशा गर्त में ही जाता है। खुद तो गर्त में जाता है और अपने अपने समाज को भी गर्त में ले जाता है। और अल्लाह तआला भी ऐसे लोगों के लिए अलग जगह बना रखा है।
इल्म आदमी को इंसान बनाता है उन्होंने कहा कि कुरान में पढ़ने व इल्म हासिल करने की बात कई आयतों में कही गई है इसलिए हमेशा पढ़ते ही रहने की समझाइश दी गई। उन्होंने इस बात पर पुरजोर तरीके से जोर देते हुए कहा कि आज मुसलमान पढ़ाई से दूर होते जा रहा है। चंद कक्षा तक पढ़ने के बाद अपने आप को बड़ा पढ़ा लिखा समझने लगता है और जहां खड़ा है वही रहना चाहता है। आगे बढ़ने व समाज को आगे के जाने की न चाहत है और न ही खुद आगे बढ़ना चाहता है। खिताबे मुकर्रीर अमजद अली वारसी मिस्बाही ने यह भी कहा कि कुछ इल्मवाले दूसरों को नसीहत देते नजर आते हैं लेकिन वे खुद इस पर अमल नहीं करते हैं तो ऐसी इल्म कुरान की नजर में इंसान नहीं है। इंसान को सबसे पहले इंसान बनना होगा और इसके लिए पढ़ाई को जरूरी बताया।
अपने खिताब में वे कहते हैं कि हमारे पैग़म्बरे दो जहां के दुनिया मे आने के वक्त पूरी दुनिया मे तमाम तरह की बुराइयां फैली हुई थी। उस वक्त भी उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर इल्म हासिल करने को तवज्जो दिया था। आखरी पैगम्बर को अल्लाह तआला ने जाहिर व ग़ैब हर तरह की इल्म से नवाज दिया था। और एक निष्पक्ष किताब कुरान को उतारा और उसे पढ़ने व लिखने की निस्बत दी गई।
उन्होंने लोगो से पढ़ने व इल्म हासिल करने पर जोर दिया और अपने बच्चों को इसके लिए नसीहत करने की बात कही गई। उन्होंने इस बात पर साफ तौर पर कहा कि इल्म हासिल करने तुम्हें लाख परेशानी उठानी पड़े उठाव लेकिन इल्म हासिल करो, क्योंकि इल्म ही तुम्हे जानवरो से अलग करता है।