
इप्टा कार्यालय में स्व राजू पांडे के आकस्मिक निधन पर शोक सभा, उनके लेखन और विचारधारात्मक आलेखों और उनके व्यक्तित्व पर विस्तार से हुई बातचीत, उनके अंतिम लेख ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक को लेकर लिखा था
रायगढ़ ।
इप्टा कार्यालय में आयोजित स्वर्गीय राजू पांडे के आकस्मिक निधन पर शोक सभा में राजू के लेखन,और विचारधारात्मक आलेखों और उनके व्यक्तित्व पर विस्तार से बातचीत हुई।
डा राजू पांडे जो जिले के लिए राजू थे उनका इतने कम समय में चले जाना किसी आघात से कम नहीं,,। उनके अंतिम लेख जो उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सनक पर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बनने पर लिखा था उसका पाठ करते हुए रविन्द्र चौबे ने उनकी विचारधारा की धार को रेखांकित किया।।
लगातार लेखन और अध्धयन से उनका रचना संसार व्यापक होता चला गया और वो राष्ट्रीय समाचार पत्रों में अपने लेखों के द्वारा वैचारिक स्पष्टता को प्रगट किया।।वो सच्चे अर्थों में लोकतंत्र की स्थापना,,, न्यायपूर्ण समाज बनने की तरफ और प्रतिगामी शक्तियों से लगातार सचेत कराते रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवराज सिंह आजाद ने बताया कि राजू वैश्विक घटनाओं के साथ राष्ट्रीय और प्रादेशिक विषयो पर भी बेबाक राय रखते थे,,। उनके साथ बिताए क्षणों को मुकेश जैन,मनोज श्रीवास्तव ने याद किया,, उनके वैचारिक पक्ष पर मुमताज भारती,गणेश कछवाहा, हर्ष सिंह, श्रीमती सरला शाहा, लक्ष्मीनारायण सिंह, विवेक तिवारी , उनके मित्र दयानंद अवस्थी ने अपनी बात रखा,।शोक सभा में उनके भाई हेमचंद पांडेय की वो बात सब को छू गई जिसमें दोनों भाई के बीच बातचीत से पता चला कि खराब स्वास्थ्य होने के बावजूद राजू निरंतर लेखन कार्य करते रहे। सचमुच राजू पांडेय का असमय चले जाना एक ईमानदार ,और विद्वान लेखक का चले जाना है,। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर समांतर बात करते हुए आनन्द केडिया, प्रताप सिंह खोडियार ने उन्हें लेखक के साथ सबका शुभचिंतक भी बताया। राजू पांडे का व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि वो सबके निजी जीवन की बेहतरी पर भी सोचा करते थे।इप्टा के साथी भरत निषाद,संदीप स्वर्णकार,आलोक बेरिया,की उपस्थिति के बीच शोक सभा में राजू की स्मरण के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई ।