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ईडी और आईटी की रेड कारोबारी अब तक सकते में, बाहर से आकर रायगढ़ को बिजनेस हब बनाने वाले क्या अब करेंगे पलायन, या फिर ईडी और आईटी की कार्रवाई को भूलकर फिर से …..पढ़े पूरी खबर

 

रायगढ़ । रायगढ़ में लगातार आईटी,ईडी और फिर आईटी की चपेट में आने के बाद कारोबारी सकते में हैं और अपने कारोबार को लेकर संशय की स्थिति में हैं।पहली बार है कि रायगढ़ में ईडी और आईटी की इतनी बड़ी दबिश हुई है।लेकिन जो अपनी निजी पूंजी लगाकर रायगढ़ में एक बड़ा कारोबार स्थापित किया वे अब तक सदमे में हैं।


ऐसे कारोबारी जो बाहर से आकर रायगढ़ में बड़ा पूंजी निवेश किया और रायगढ़ को एक बड़ा बिजनेस हब बनाने में अपना योगदान दिया वे इस तरह की कारवाई से सकते में और अब तक सदमे में हैं क्या उन्हें अब रायगढ़ से अपने व्यापार का बोरिया-बिस्तर समेट कर कहीं और रुख करना पड़ेगा? अपनी कर्म स्थली बनाने वाले कारोबारी अपने आप क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं?
बीते 20-22 सालों में रायगढ़ का व्यापार खूब फला फूला और राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्री स्तर पर रायगढ़ का नाम तारांकित हुआ,इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं की रायगढ़ ने हर तरह के यानी विभिन्न प्रकार के कारोबार को एक नया आयाम दिया। इसके कारण निश्चित ही रायगढ़ जिले में “”व्यापार वस्ते लक्ष्मी”” के शब्दों को परिपूर्ण करते हुए पूरे प्रदेश देश के लोग रायगढ़ जिले में पूंजी निवेश कर इस क्षेत्र को एक नए कीर्तिमान प्राप्त करने के लिए अग्रेसित किया था। मजदूर से लेकर आम वर्ग या यूं कह लीजिए की हर वर्ग के लोगों के लिए यहां की भौतिक संपदाओं ने रोजी रोटी और भविष्य के लिए जुगाड बनाए जाने की परिस्थितियां निर्मित किया। और हर वर्ग ने इसे मिलकर संस्कारिक रूप से स्वीकार भी किया।
परंतु विगत दिनों आईटी, फिर ईडी और फिर आईटी की कार्रवाई क्यों हुई वे इस पर जाना नहीं चाहते पर यह भी सत्य है की हमारे इस रायगढ़ जिले की मातृभूमि पर किसकी नजर लग जो यहां की शांत कारोबारी फिंजा पर जलजला पैदा कर दिया। शहर में अब तक ईडी और आईटी की रेड के चर्चे आम बने हुए हुए हैं। यह सर्व सत्य है की डरे सहमे व्यापार जगत में जब छेड़छाड़ चालू हो जाती है तो निश्चित ही व्यापार जगत पलायन की स्थितियों में आ जाता है। इसका उदाहरण कालांतर में आपको याद होगा की सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र हावड़ा(पश्चिम बंगाल) से पलायन कर गए और फिर बाद में यही परिस्थितियां महाराष्ट्र में भी निर्मित हुई। और अब कहीं यही स्थितियां सर्वाधिक निजी पूंजी निवेश वाले क्षेत्र रायगढ़ में जिसका व्यापार लोहा,कोयला और बिजली उत्पादन में ही है जो की रायगढ़ जिले की स्वर्णिम कीर्तिमान के रूप में रहा है।
फिलहाल यह तो भविष्य के गर्भ में क्या है यह तो नहीं जानते पर उम्मीद है की जिस प्रकार जापान देश निरंतर परमाणु संयंत्रों के कारण जलजला को झेलता है और फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है वैसे ही रायगढ़ जिला विभिन्न प्रकार के कार्रवाइयों से बचकर फिर से एक बार हस्ट-पुष्ट होकर अपना व्यापारिक कारोबार को खड़ा कर पाएगा और अपना वही रायगढ़ कहलाएगा …
अंत में यही कहना चाहूंगा कि -…..
गम की उलझी हुई लकीरों अपनी तकदीर देख लेता हूं,
और तू भी देख जिंदगी मैं कैसे बाजी मार लेता हूं।

✒️शमशाद अहमद
पत्रकार

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