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रियासत कालीन जमाने की परंपराओं के अनुसार साप्ताहिक बाजारों का हो काया कल्प …..मुख्यमंत्री बघेल से हाट-बाजारों को सुव्यवस्थित करने की मांग…इस कांग्रेसी नेता ने रखा तर्क और दिया ये दलील ….पढ़े रियासत कालीन साप्ताहिक बाजार सियासत की कैसे चढ़ा भेंट …जिसे संवारने की मांग 

 

रियासतकालीन इतवारी बजार में पानी,बिजली,सफाई और छावं की सुविधा हो-अनिल चिकू

रायगढ़ जिले के ग्रामीण हाट-बाजारों को चिन्हित करें जिला प्रशासन-अनिल चिकू

रायगढ़।

रियासत कालीन जमाने की परंपराओं के अनुसार साप्ताहिक बाजारों का विभिन्न गांव में और रियासती मुख्यालय में लगाना वार के अनुसार निश्चित रहा है।यह सर्वविदित है कि इन बाजारों में ग्रामीणों की जरूरतों की सामग्री जैसे साग-सब्जी,खादय मसाले,काँसे, पीतल,लोहा एवं स्टील के बर्तन, बांस से बने सुपा,पर्रि,झोहा, टोकरी और पलंग,हस्तशिल्प से निर्मित जूते-चप्पल,केवटों के द्वारा निर्मित मुर्रा,चना,लाई,उखड़ा आदि स्थानीय छोटे-छोटे चूल्हे से उड़द का बडा,भजिया,गुड़ के गुलगुले,खजला-पापड को तलकर कर बेचना,महिलाओं के गृह उद्योग से देहाति आचार,बेर की पापड़ी,बड़ी-बिजोरी आचार,और गुड़ की फल्ली पपड़ी,महिला शिल्पकारों के द्वारा निर्मित चूड़ी-पाटले,ग्रामीण क्षेत्रों से शिल्पकारों के द्वारा निर्मित सोने-चांदी के जेवर और छत्तीसगढ़ी कुम्हारों के द्वारा निर्मित मटकी,दिया,बरवा और कुल्हाड़ आदि के लगभग 600 विभिन्न दुकानदार गांव-मोहल्ले से आकर छोटी-छोटी गुमटी लगाकर यहां दुकान लगाते हैं।


कांग्रेस नेता अनिल अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और किसान पुत्र भूपेश बघेल को पत्र भेजकर आग्रह किया कि रायगढ़ शहर रायगढ़ विधानसभा रायगढ़ जिला सहित प्रदेश के विभिन्न हाट-बाजारों को चिन्हित कर इन दुकानदारों और ग्राहकों को उपलब्ध हो जाए तो हाट बाजार रियासत कालीन परंपरा निरंतर बनी रहेगी जिसका उदाहरण रायगढ़ शहर स्थित इतवारी बाजार जो कि रियासत कालीन बाजार है जिसमें पीढ़ी दर पीढ़ी लोग दुकान लगाते भी हैं और आसपास के लोग यहां पर खरीदी करने भी आते हैं यह परंपरा 9 दशक से भी ज्यादा पुरानी है इस बाजार की खासियत यह भी है कि आसपास के ग्रामीणों के द्वारा आज भी अपने उत्पादित सामान जो कि ग्रामीण परिवेश से होती है जो ग्राहकों की पसंद की होती है।ग्रामीण शिल्पकारों के द्वारा मौजूदा इतवारी बाजार में उत्साहित होकर अपने सामान बेचने के लिये भी आते हैं।यह सर्वविदित है कि इन दुकानदारों के द्वारा शनिवार की संध्या को आकर जहां यह दुकान लगाते हैं कि पहले साफ सफाई करते हैं फिर छत जो कि सर ढकने के काम आए उसके चारों ओर बांस गाड़ कर चदरिया या प्लास्टिक की त्रिपाल डालकर अपनी छत तैयार कर इतवार की दुकान इतवारी बाजार में लगाते है। इस बाजार में 24 से 25 हजार ग्राहकों का प्रत्येक इतवार को आना होता है जो अपने पसंद का सामान खरीद कर ले जाते हैं।


कांग्रेस कार्यकर्ता अनिल अग्रवाल ने इस पत्र में यह भी बताया कि इस बाजार में रायगढ़ शहर सहित आसपास के अनेकों मोहल्ले में रहने वाले ग्रामीण जन और शहरी लोग यहां पर ग्राहक बतौर आते है परंतु इन दुकानदारों और ग्राहकों के लिए सुविधाओं के नाम पर पीने का पानी,शौचालय,साफ-सफाई, गर्मी-धूप,बरसाती पानी से बचाव और लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण स्थिति अव्यवस्थित रहती है इसलिए हाट बाजार के स्वरूप से परिपूर्ण इतवारी बाजार,रायगढ़ को विकसित करने के लिए विशेष योजना बने और साथ ही साथ पूरे प्रदेश के हाट बाजारों को चिन्हित कर इन्हें भी उपरोक्त सुविधाओं से सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता अनिल अग्रवाल ने इस पत्र की छाया-प्रति कलेक्टर, रायगढ़ और कलेक्टर सारंगढ़ को भी प्रेषित की है जिसमे निवेदित किया कि इन दोनों जिले के रियासतों के बाजारों को उपरोक्त सुविधाओं से परिपूर्ण किया जाए जिसमे छत्तीसगढ़ शासन के नरवा,घुरवा और बाड़ी का उत्पादन इस बाजार में बिकने के लिए आता है जोकि निश्चित ही ग्रामीण जनों और महिलाओं के लिए लाभदायक है और इसकी बिक्री से जो लाभ इन उत्पादन करने वालों को मिलता है उससे ग्रामीण उत्पादकों में उत्साह बना रहता है इसी कारण से छत्तीसगढ़ का महिला गृह उद्योग गृहिणियों के सम्पनता का कारण है।

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