
इस युवा कांग्रेसी नेता ने ऐसा कर मचा दी है राजनीतिक खलबली ….. इनके अलावा ये चेहरे जो बदल सकते हैं राजनीति फिजा …कांग्रेस में प्रत्याशी चयन के साथ कोलता और अघरिया आबादी ….शहरी और ग्रामीण परिवेश ….
रायगढ़ । चूंकि अब विधान सभा चुनाव की तारीख धीरे धीरे अपने अंजाम की ओर बढ़ रही है ऐसे में रायगढ़ विधान सभा से दावेदार भी अपनी अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी में एक युवा नेता अनिल अग्रवाल चीकू भी अपनी राजनीतिक पासे फेंकना शुरू कर दिया है। और वह भी अपने दादा जन नायक रामकुमार अग्रवाल की तर्ज पर आम लोगों के बीच उनकी समस्याओं से रूबरू होते हुए मतदाताओं के बीच पहुंचने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। और कुछ संवाद के सहारे अपनी राजनीतिक पैठ बनाना शुरू कर दिया है।
जिस तरह से बीते दिवस तहसील कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों से मिलकर चर्चा किया और उनसे उनके काम बात पर चर्चा कर “कुछ संवाद” अभियान की शुरुवात कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दिया है। अनिल अग्रवाल के द्वारा तहसील कार्यालय परिसर में ग्रामीण अंचल से पहुंचे और उन लोगों के बीच संवाद किया जो किसी न किसी समस्याओं और अपने काम को लेकर सरकारी दफ्तर के चक्कर काट रहे लोगों से सीधे मुलाकात किया। इतना ही नहीं उन्हें शासन की उन योजनाओं पर भी चर्चा किया जो सीधे उनसे जुड़ी हुई है। किस तरह से ग्रामीण चल रही योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते है। राजस्व से संबंधित मामले का निराकरण के लिए सरकार ने उन्हें क्या सहूलियतें दी गई है शिकायत पर उसका निराकरण कैसे और कितने दिनों में हो जाना चाहिए आदि विषय पर चर्चा किया। ग्रामीणों को अनिल अग्रवाल की यह नीति बेहद पसंद भी आई। उनकी इस रणनीति की अब गुपचुप तरीके से चर्चा भी शुरू हो गई है। कुछ ये भी कहने से नहीं चूक रहे की वे अपने दादा जन नायक रामकुमार अग्रवाल की तर्ज पर राजनीत की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
रायगढ़ विधान सभा से कांग्रेस के यूं तो कई दावेदार हैं जिसमे नगर निगम के सभापति जयंत ठेठवार, वासुदेव यादव से लेकर रामचंद्र शर्मा सहित और भी कई भावी प्रत्याशी मैदान में भाग्य आजमाने को उतारू हैं। कांग्रेस में घमासान तब तक है जब तक वर्तमान विधायक प्रकाश नायक की टिकट पक्की होती है या नहीं सारा समीकरण इसी दारोमदार पर टिका है। इन तमाम कवायद के बीच वर्तमान विधायक प्रकाश नायक भी अपनी टिकट पक्की करने वो हर राजनीति गुणाभाग और उठापटक करने से नहीं चूकेंगे जिसे राजनीति के गलियारे में चाणक्य नीति कहा जाता है। अनिल अग्रवाल शहरी क्षेत्र के इतर पुसौर क्षेत्र के लिए एक जाना पहचाना नाम है। इस क्षेत्र में उनकी भूमिका एनटीपीएसी लारा के स्थापना काल से लेकर अब तक प्रभावित ग्रामीणों के साथ पूरी तटस्थता के साथ खड़े रहने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। रही बात पुरे रायगढ़ विधान सभा की तो उन्हें जन नायक रामकुमार अग्रवाल के पौत्र होने का भी बेहतर प्रतिसाद मिल सकता है। और इसे वे भली भांति समझते भी हैं।
हालांकि वासुदेव यादव भी अब अपने पत्ते धीरे धीरे खोलना शुरू कर दिया है उनकी पकड़ भी क्षेत्र में कोई बहुत खराब नहीं है। भले ही जिला पंचायत चुनाव में उनकी हार हुई हो लेकिन कांग्रेसी युवा नेता के रूप में उनकी छवि भी अच्छी खासी है। दावेदारों में जयंत ठेठवार भी हैं लेकिन उन्होंने भी अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। रामचंद्र शर्मा का नाम भी अचानक से उभर कर सामने आया है लेकिन वे अब तक कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता नहीं लिया है ऐसे में उनकी आगे की राजनीतिक समीकरण क्या होगी आने वाला समय बताएगा। परंतु इन सबमें अनिल चीकू ने अपने राजनीति में तुरूप के इक्के कहलाने वाली नीति के पत्ते धीरे धीरे खोलना शुरू कर दिया है और यही वजह है की राजनीतिक गलियारों में जब भावी दावेदारों की बात चलनी शुरू होती है तो अनिल अग्रवाल चीकू की बातें जरूर होती है। राजनीतिक गलियारों में अनिल अग्रवाल को जन नायक रामकुमार अग्रवाल के उत्तराधिकारी के तौर पर देखती है।
यहां पर जन नायक रामकुमार अग्रवाल के सुपुत्र डॉ राजू अग्रवाल को भी उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है लेकिन वे इन दिनों राजनीतिक हलचल से दूर होने की वजह से अनिल चीकू का पलड़ा भारी प्रतीत होता है। फिलहाल रायगढ़ विधान सभा सीट के लिए भावी प्रत्याशियों में कोलता समाज और अघरिया समाज की अनदेखी नहीं की जा सकती है। शहरी वोटर और ग्रामीण मतदाता राजनीति के सिक्के के दो पहलू हैं। फिलहाल तो प्रत्याशी को लेकर बन रही हवा पर ही चर्चा मुख्य है। वर्तमान राजनीतिक परिवेश में दावेदारों की फेहरिस्त पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ रही है।