
भगवान जगन्नाथ के दर्शन का पर्व देव स्नान …. भव्यता और पूरे धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार धूमधाम से मनाया गया …… पूर्वांचल क्षेत्र के ग्राम जुर्डा में भव्यता देव स्नान पर्व को लेकर अंचलवासी ….
जिले के पूर्वांचल क्षेत्र जूरडा में जगन्नाथ पुरी यात्रा के पूर्व देव स्नान की परंपरा है। इस पर्व को जिले सहित पूरे अंचल में बड़े ही उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है। ग्राम जुर्डा में भव्यता के साथ परंपरा धार्मिक रितिरिवाज के साथ देव स्नान पर्व मनाया गया।
ज्ञात हो भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार सर्व धर्म समभाव दिखाते हुए मंदिर से बाहर आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। देव स्नान पूर्णिमा को ‘स्नान यात्रा’ या सहस्त्रधारा स्नान के रूप में जाना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान् जगन्नाथ की स्नान यात्रा निकली जाती है। पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व देव स्नान पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की पूरी भक्ति और समर्पण के साथ पूजा की जाती है। यह समारोह पूरी भव्यता के साथ पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है और यह भगवान जगन्नाथ मंदिर के सबसे प्रत्याशित अनुष्ठानों में से एक है। कुछ लोग इस त्योहार को भगवान जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां आते हैं और इस अनोखे आयोजन के साक्षी बनते हैं।04 जून को आचार्य महेंद्र मिश्रा जी के सानिध्य में पूरी के तर्ज पर श्री जगन्नाथ सेवा समिती जुर्डा द्वारा आयोजन को भव्य रूप देने के लिए कलश यात्रा निकाली गई और भगवान को अनेक प्रकार के औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया गया फिर उड़िया पारंपरिक व्यंजन भोग लगाकर सम्पूर्ण ग्रामवाशीयों ने भगवान का प्रसाद सेवन किया,कार्यक्रम में टीकाराम पटेल जी, तोषराम नायक,प्रकाश प्रधान ,दिनेश पटेल ,महेश पटेल ,ललित राठिया सुरेंद्र पटेल ,महेशराम गुरुजी,नेत्रानंद प्रधान आदि का कड़ी मेहनत नजर आया कार्यक्रम की भव्यता तब और बढ़ गई जब प्रभु के दर्शन हेतु किन्नर समुदाय भी पहुंचकर भगवान जगन्नाथ का दर्शन किया।कार्यक्रम के अंतिम चरण में ग्राम की बेटियां मनीषा,चंद्रकांति, प्रभा,लिपि,दिव्या आदि ने भजनों के माध्यम से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया
*बुखार अपनी चपेट में सिर्फ हम इंसानों को ही नहीं लेता बल्कि भगवान को भी इसका कष्ट उठाना पड़ता है।* साल में एक बार ही लेकिन इसका शिकार तो भगवान भी होते हैं। हां आपको जानकर आश्चर्य हुआ होगा लेकिन आपको बता दें की जगन्नाथ स्वामी जो पूरी दुनिया को रोगों से मुक्ति दिलाते हैं वे स्वयं हर साल ज्येष्ठ मास की स्नान पूर्णिमा के दिन बीमार पड़ जाते हैं। वे भी अपने भक्तों की तरह बीमार होते हैं और उनका भी इलाज किया जाता है, उनको दवाई के रुप में काढ़ा देते हैं। भगवान जगन्नाथ पूर्णिमा के दिन से 15 दिनों तक आराम करते हैं और अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते। इसी कारण से भगवान जगन्नाथ के कपाट इन 15 दिनों तक बंद रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को फलों के रस, औषधि एवं दलिया का भोग लगाया जाता है। जब भगवान जगन्नाथ स्वस्थ्य हो जाते हैं तो वे अपने भक्तों से मिलने के लिए रथ पर सवार होकर आते हैं। जिसे जगप्रसिद्ध रथयात्रा कहा जाता है। यह रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है और इस वर्ष यह यात्रा 20जुन को निकलेगी।