
संत मिलन को जाइये, तज माया अभिमान …. ज्यों ज्यों पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान… जब महान संत तुकाराम जी महाराज के जन्म और बैकुंठ गमन धाम में ..दर्शन स्पर्श करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ ….पढ़े कामरेड गणेश कच्छवाहा की यात्रा वृतांत
संत मिलन को जाइये, तज माया अभिमान । ज्यों ज्यों पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान।। जब महान महान संत तुकाराम जी महाराज के जन्म और बैकुंठ गमन धाम, स्थली देहू पुणे (महाराष्ट्र) में चरण पादुका प्रणाम और पालकी (डोली ) दर्शन स्पर्श करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ।*
*बहुत अद्भुत,अलौकिक, मनोहारी दृश्य था।
*बहुत अद्भुत,अलौकिक, मनोहारी दृश्य था।पूज्य गुरुदेव की आहुतिक कृपा हुई थी।अच्छे से छक कर दर्शन हुआ।*
मैं (गणेश कछवाहा)और धर्म पत्नी रचना कछवाहा बड़े सुपुत्र अंकित कछवाहा के पास ग्रीष्मअवकाश मनाने पुणे महाराष्ट्र में आए हुए हैं। आज शनिवार 10 जून को कहीं घूमने की सोच रहे थे अचानक गुरु कृपा से महान संत तुकाराम महाराज जी के दर्शन की अभिलाषा मन में जागृत हुई और हम गूगल से पता किए पता चला की परम पूज्य संत तुका राम महराज जी के जन्म और बैकुंठ गमन धाम स्थली, देहू पुणे घर से 15 किलो मीटर दूर है।तब हमने शाम को झट पट तैयार होकर महान संत तुका राम महराज जी के दर्शन लाभ हेतु जन्म और बैकुंठ गमन धाम, स्थली देहू पहुंचे।वहां पहुंचने पर लगभग दो किलोमीटर पहले बेरिकेटिंग कर वाहन को वहीं रोककर पैदल जाने की अनुमति थी। ब्रेन हेमरेज की वजह से मेरा सीधा पैर और सीधा हाथ पैरालिसिस है छड़ी पकड़ कर धीरे धीरे चलता हूं।बहुत भीड़ थी,सोचा की कैसे जाऊंगा पर अघोरेश्वर की वाणी याद आई “संत मिलन को जाइये,तज माया अभिमान। ज्यों ज्यों पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान।।” तब हमने संकल्प लिया कि जब यहां तक आएं हैं तो दर्शन किए बगैर नहीं जायेंगे।हम धीरे धीरे आगे बढ़ते गए।
देखा हजारों की संख्या में भक्त दूरदराज गांव कोने कोने से आ रहे हैं। वहां डेरा डाले हुए भजन कीर्तन के साथ आनंद और मस्ती में झूम रहे थे।हमने जानकारी ली की आज क्या उत्सव है।बताया गया की कल अर्थात 11 तारीख एकादशी को यहाँ जन्मस्थली बैकुंठ गमन धाम देहू पुणे से जगत गुरु संत तुकाराम महाराज जी की पालिका (डोली) भव्य शोभा यात्रा पंढरपुर धाम लगभग 300 किलोमीटर की लंबीदूरी के लिए जाएगी। भक्त की संख्या लाखो में होती है। पूरे एक माह की भव्य यात्रा होती है।तीन दिन तक पुणे स्कूल कालेज ऑफिस बंद रहती हैं।
हम जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार के पास पहुंचे , हजारों की संख्या में आनंद,उत्साह,भक्ति और मस्ती में झूमते भक्तों की भीड़ देखकर लगा कि इतनी भीड़ में जाना उचित नहीं होगा , यहीं से प्रणाम करके यहां की भूमि की रज माथे पे लगा लेते हैं। मैंने धर्म पत्नी से कहा इस भूमि की मिट्टी हाथ में लेकर मेरे और अपने माथे पे लगा दो बस आगे जाना संभव नहीं लग रहा है। धर्म पत्नी ने भूमि की रज माथे में लगाई बोली धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं जहां तक जाते बने चलते हैं ।मेरा हाथ थामे धीरे धीरे आगे बढ़ते लगे। गुरु कृपा हुई हम चल रहे थे वहां से भिड़ अपने आप छटते जा रही थी मानो गुरु स्वयं रास्ता सुगम बना रहे हों।मंदिर अंदर जाने हेतु श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी थी तब हम फिर सोच ही रहे थे अब कैसे जायेंगे?धर्म पत्नी हाथ का इशारा करते बोली धोरे धीरे बगल से जायेंगे उतने में एक माता जी आई उन्होंने कहा मंदिर जाना है चलो चलो तुम्हें कोई नहीं रोकेगा और उन्होंने मंदिर के द्वार तक पहुंचा दिया।एक ओर फूल दुकान में जूता चप्पल उतारने कहा और बोली तुम यहां से अंदर चले जाओ कहकर माताजी चली गईं।हमने फूल लिया उन्होंने मात्र दस रुपए लिए एक महिला पुलिस ने हाथ पकड़कर मंदिर की सीढ़ी चढ़वाया लगभग पांच -छः सीढ़ी थी। मंदिर के अंदर भी अच्छी भीड़ थी पर हम चलते गए रास्ता मिलता गया।जैसे ही पालकी के पास पहुंचे हम दूर से ही प्रणाम कर रहे थे पर एक पुलिस वाले ने हाथ पकड़कर पालकी के पास ले गए बोले अच्छे से प्रणाम कर लीजिए यहां संत तुकाराम महाराज जी की चरणपादुका भी है।मैने पालिकी को स्पर्श किया चरण पादुका में शीश नवाया और छक कर दर्शन हुआ।लग रहा था मानो गुरु जी साथ है। हृदय से पूज्य गुरुदेव अघोरेश्वर का स्मरण कर मन ही मन आभार व्यक्त किया।हम मंदिर की सीढ़ी से 5- 6 कदम बाहर एक पेड़ के सहारे खड़े होकर गुरु पादुका पंचकम का मौन पाठ किया।फिर हम बाहर निकले ।
भक्तों की भीड़ दुगुनी तिगुनी हो चुकी थी।क्याअद्भुत ,अलौकिक,मनोहारी और आल्लाहादित कर देने वाला दृश्य था।लोग टोली बना बना कर हाथों में ध्वज,सर में दीप,तुलसी लिए झांझ मंजीरा,ढोलक तानपुरा बजाते भजन कीर्तन गाते,नाचते,झूमते,कुछ कला बाजियां,लोक संस्कृति के साथ लगातार आने का क्रम जारी था।हम मुख्य बेरिकेटिंग के बाहर आ गए अब चिंता होने लगी की इतनी भीड़ हो गई है हमें जाने का कोई साधन मिलेगा या नहीं।कुछ ऑटो दिखे लेकिन जाने की तैयार नहीं थे तब हमने सोचा उबर कैब को बुक करके देखते हैं तत्काल उबर कैब ने15 मिनट में आने के लिए कन्फर्म किया। उबर ने फोन किया मैं आ गया हूं अमुक जगह में खड़ा हूं। पुलिस ने बेरिकेटिंग कर दिया है।बहुत भीड़ थी मुझे लोकेशन समझ में नहीं आ रहा था आवाज और भाषा भी समझ नहीं आ रही थी। मैने एक स्थानीय सज्जन को रोककर पूछा भाई साहब उबर वाला कहां खड़ा है मुझे समझ नहीं आ रहा है कृपया पूछकर बता दीजिए उसने उबर वाले से बात की और बताया की एक किलोमीटर पहले बेरिकेटिंग कर रोक दिया है वहां जाना होगा ,मैंने कहा मेरे लिए तो तकलीफ हो जायेगी लगभग 20 ,25 मिनट लगेगा और भीड़ भी बहुत है। उस सज्जन ने कहा मैं आपको छोड़ देता हूं आप दोनो स्कूटी में बैठिए उसने अपने पिता जी से कहा आप यहीं रुके मैं इनको छोड़कर आता हूं।मानो गुरु ने कृपा की हो वह हमें उबर कार में बैठाकर चला गया।हमने गुरु को नमन कर उनका आभार व्यक्त किया।
*महान संत तुकाराम जी महाराज की चरण पादुका प्रणाम और पालकी (डोली ) दर्शन स्पर्श करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ।बहुत अद्भुत,अलौकिक, मनोहारी दृश्य था।पूज्य गुरुदेव की आहुतिक कृपा हुई थी।*
*तीन किलोमीटर पहले रास्ता ब्लॉक कर दिया गया था। हमे पैदल चलना पड़ा गुरुदेव की कृपा से कोई ज्यादा अवरोध नहीं हुआ अच्छे से छक कर दर्शन हुआ।*
*मां गुरु त्वं पाहिमाम शरणा गतम।*
गणेश कछवाहा
प्रवास – पुणे महाराष्ट्र
रायगढ़ छत्तीसगढ़।
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