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युवा चेहरा बदल सकता है सियासी समीकरण …… शांत स्वभाव दूरगामी सोच ….हर वर्ग में मजबूत पकड़ दावेदारों में नाम लेने पर युवा वर्ग उत्साहित ….सियासी शतरंज में उलझ कर न रह जाए ….इन दावेदारों के बीच गौतम की भूमिका

 

रायगढ़ । रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में यूं तो भाजपा से कई दावेदार सामने हैं। सबसे प्रबल दावेदार विजय अग्रवाल हैं। फिर गुरुपाल भल्ला, सक्ती विधानसभा के प्रभारी विकास केडिया, भाजपा जिला अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, महिला दावेदार पूनम दिबेेश सोलंकी, गोपिका गुप्ता सहित कई और भी दावेदारी की दौड़ में है, ये सभी अपने आप में एक बड़े दावेदारों में आते हैं। इन सबके बीच सुनील रामदास अग्रवाल की भी अपनी दावेदारी है। वहीं राजनीतिक गलियारों में इन सबके बीच शहर से लेकर गांव गांव तक एक नाम और लिया जाता है वह हैं गौतम अग्रवाल। आज हम युवा नेता गौतम अग्रवाल को लेकर आए हैं क्योंकि राजनीतिक गलियारे में कहीं न कहीं यह युवा नेता लोगों के दिलों में घर करता है।

 

हम बात कर रहे हैं रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र के एक ऐसे युवा भाजपा नेता की जिन्होंने अब तक स्वयं से तो खुलकर कभी दावेदारी नहीं किया लेकिन लोगों की जुबान पर यह चेहरा राज तो करता है। गौतम अग्रवाल एक युवा चेहरा जो किसी भी सियासी चाल को समझते हैं और हर सियासी चाल को भी बखूबी समझ बुझ कर उठाते हैं ऐसा हम नहीं बल्कि उनके चाहने वाले कहते हैं। और उनके चाहने वालों में शहर से लेकर गांव तक हैं। यूं तो भाजपा में इन दिनों तमाम राजनीतिक उठा पटक के बीच लगातार दावेदार सामने आ रहे हैं। दावेदारी करना अलग बात है खुद को प्रजेंट करना अलग सियासी समीकरण हैं और कुछ के द्वारा बिना बोले जनता की तरफ से मांग आधारित दावेदारी सामने आ जाती है उनमें से एक गौतम अग्रवाल हैं। उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा है जिसकी वजह से एक बड़े वर्ग में उनका नाम लिया जाता है और जिसकी राजनीतिक सुर्खियों में रहते हैं। इन तमाम राजनीतिक उठा पटक पर गौर करें तो हर दावेदार अपनी- अपनी कार्यशैली के तकाजे पर खड़े हैं उनमें एक नाम गौतम अग्रवाल का भी लिया जाता है।

उनमें युवा चेहरों पर अगर बात करें गौतम अग्रवाल एक वह शख्स है जिसके पास हर वर्ग समुदाय के बीच उनकी पैठ है, पकड़ है। उनकी सादगी और उनके सौम्य स्वभाव के सभी कायल हैं । उनके बारे में एक बात और कही जाती है कि वे किसी भी मुद्दे पर बिना सोचे समझे अपनी बात नहीं रखते हैं। और जो बात रखते हैं ठोस तरीके से रखते हैं। और किसी भी सियासी चाल को बदलने की कूवत रखता है शहर से गांव तक में इनकी पैठ है अगर इन्हें प्रत्याशी बनाया जाता है तो भारी संख्या में राजनीतिक गैर राजनीतिक समर्थक बाहर निकल कर आयेंगे और उन्हें जिताने पूरी एड़ी चोटी एक करेंगे। दावेदारों के नामो की गिनती करने पर लोग स्वयं से इनका नाम ले लेते हैं। ऐसे में पार्टी को इनकी नजर अंदाजी नहीं करना चाहिए।

 

भाजपा में यह भी एक बात बड़े जोर से कहा जाता है कि पार्टी में परिवार बाद नहीं चलता है । कई ऐसे भाजपा नेता हैं जिनके राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र आगे बढ़ाते हैं। लोग यह भी कहते हैं गौतम अग्रवाल पूर्व विधायक स्व रोशनलाल अग्रवाल के पुत्र हैं इसलिए टिकट नहीं मिलनी चाहिए बल्कि उन्हें टिकट उनकी लोकप्रियता उनकी राजनीतिक वाकपटुता जमीनी स्तर पर राजनीतिक पकड़ कार्यकर्ताओं के बीच उनकी लोकप्रियता के आधार पर प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए।

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