
सीएम के सलाहकार ने यह कहकर खलबली मचा दी है …रायगढ़ जशपुर और सारंगढ़ की बदल सकती है सियासी समीकरण …..युवा कांग्रेस विधान सभा में प्रतिनिधित्व करने मांग सकता है 5 से 10 सीट …. युवाओं को मिल सकती है जिम्मेदारी …
रायगढ़ ।
किसकी टिकट कटेगी किसकी नहीं कटेगी इस पर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। परफोर्मेंस के आधार पर टिकट बंटवारे और कटने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। धमतरी में मुख्य मंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने यह कहकर कांग्रेस में और हलचल तेज कर दिया है की खराब परफोर्मेंस वालों की टिकट कटनी तय है। खराब परफोर्मेंस में जिले के किस विधायक को माना जाए और किसे नहीं, लेकिन इस खबर के बाद रायगढ़ ही नहीं प्रदेश में हलचल तेज हो गई है।
जशपुर, रायगढ़ सारंगढ़ जिले के कितने विधायकों की टिकट कटेगी किनकी नहीं कटेगी यह उनके परफोर्मेंस के सर्वे पर टिका है। रायगढ़ जिले के खरसिया रायगढ़ धरमजयगढ़ लैलूंगा के सिटिंग एमएलए है। खरसिया को लेकर कोई संशय नहीं है। रायगढ़ विधान सभा को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही है। धरमजयगढ़ विधायक लालजीत राठिया दो टर्म के विधायक हैं उन्हें लेकर भी कोई संशय नहीं है। धरमजयगढ़ में लालजीत राठिया के विकल्प में कोई दूसरा फ्रंट लाईन में चेहरा नहीं है। लैलूंगा विधायक भले ही फ्रेश चेहरा है पहला टर्म है लेकिन उनके परफोर्मेंस को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। लैलूंगा विधायक चक्रधर सिदार को लेकर भी खराब परफोर्मेंस की बात कही जा रही है। लैलूंगा विधान सभा को लेकर कही अनकही अटकलों के अनुसार यहां भी टिकट बदल सकती है।
जशपुर जिले के पत्थलगांव, जशपुर और कुनकुरी विधान सभा सीट है। जिसमे कुनकुरी और जशपुर में लंबे समय के बाद भाजपा को पछाड़ कर कांग्रेस ने इन दोनो सीटों को अपने कब्जे में ले लिया है। जिसमें से अगर किसी की टिकट कट सकती है तो वो हैं पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह, लेकिन इतना भी तय है की उनकी टिकट कटेगी तो रामपूकार सिंह कांग्रेस के पुराने लीडर है पत्थलगांव से उनकी जगह किसी और टिकट देने के पूर्व उनकी सहमति अनिवार्य होगी और जहां तक संभव है पत्थलगांव से उनकी पुत्री आरती सिंह को टिकट मिले। जशपुर जिले के जशपुर और कुनकुरी विधान सभा सीट को भाजपा से छीनकर कांग्रेस की झोली में डालने वाले सीटिंग एमएलए की पोजिशन मजबूत है और उनकी टिकट कटने की बात बेमानी मानी जा सकती है।
जशपुर विधायक विनय भगत को लेकर फ्रंट लाइन के कांग्रेसी जिनकी बदौलत यहां भाजपा के गढ़ को भेदने में कामयाब हुए थे उनकी अनदेखी भारी पड़ सकती है। विनय भगत का परफोर्मेंस स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेसियों की अनदेखी ही है जो इन पर भारी पड़ सकती है अन्यथा उनकी टिकट कटने जैसी कोई बात नहीं है। वही कुनकुरी विधायक यूडी मिंज औसत है उनके बारे में कहा जाता है की वे अनाप शनाप बयानबाजी कर खुद की पोजिशन खराब किया है। इसके अलावा एसी कोई बात नहीं जिससे उनकी टिकट कटे।
सारंगढ़ जिले के बिलाईगढ, सारंगढ़ विधायक में से किसी की टिकट नहीं कटने वाली है। खासकर सारंगढ़ विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े की टिकट पक्की मानी जा रही है क्योंकि उत्तरी गणपत जांगड़े अब तक की सबसे सशक्त कैंडिडेट हैं और उनकी उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त हैं। खासतौर पर उनके द्वारा कराए गए कार्य मिल का पत्थर साबित होगा। भले ही आज सारंगढ़ जिला बनने के बाद अब तक विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है परंतु भविष्य में आगे चलकर यह विकास के लिए मील का पत्थर साबित होने वाला है। कन्या महाविद्यालय हो सौ बिस्तर अस्पताल की स्वीकृति हो यह सब क्षेत्रवासियों को लंबे समय से बहुप्रतीक्षित उम्मीदों में शुमार था। सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बिलाईगढ़ विधायक के प्रति भी क्षेत्र की जनता की नाराजगी मुख्यालय और दफ्तर को लेकर है इससे चंद्रदेव राय की थोड़ी मुश्किलें बढ़ सकती है। इनका परफोर्मेंस होने वाली सर्वे से तय होगी। सारंगढ़ से जिला पंचायत सदस्य विलास तिहारू सारथी भी मैदान में कूदने आतुर हैं वे लगातार सारंगढ़ से दावेदारी के लिए अपने पासे फेंक रही हैं लेकिन इस चुनावी वर्ष में उत्तरी जांगड़े के आगे कोई टिकने से रहा।
इसमें यदि किसी को नुकसान होने की संभावना है तो वो है रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक को होने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि एक बड़ा धड़ा जो सारंगढ़ में नहीं जाना चाहता था और इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन आंदोलन तक किया गया था। यहां पर प्रकाश नायक के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी हो सकती है। ऐसे में देखना होगा कि यहां पर ऐसे मतदाताओं की वजह से कांग्रेस को कितना नुकसान होगा। पार्टी के खिलाफ एंटी इनकम होना अलग बात और चेहरे को लेकर एंटी इनकमबेंसी होना अलग बात है। प्रकाश नायक के लिए यह एक बड़ी मुसीबत बन सकती है। प्रकाश नायक को टिकट देते हैं तो हो सकता है चेहरा एंटी इनकमबेंसी की वजह से कांग्रेस को नुकसान हो इसलिए जरूरी हो गया है कि प्रकाश नायक इसे समय रहते सुधार लें। मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने परफोर्मेंस के आधार पर टिकट की बात कहकर एक बार फिर से माहौल को गर्म कर दिया है।
रायगढ़ में फ्रंट लाइन के कांग्रेसी दावेदारों में डॉ राजू अग्रवाल की संभावना टी एस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद जरा बढ़ गई है हालाकि डॉ राजू अग्रवाल मुख्यधारा में नहीं हैं और वे सिर्फ टिकट मिलने के बाद ही राजनीति में कदम रखने वालों में है। यदि इन्हें छोड़ दिया जाए तो छात्र जीवन से राजनीत की मुख्यधारा में चलने वाले इन्ही के भतीजे अनिल अग्रवाल चीकू प्रबल दावेदार है। अनिल चीकू अविभाजित मध्य प्रदेश के समय एनएसयूआई के संयुक्त सचिव, अविभाजित रायगढ़ जशपुर के एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे हैं। छत्तीसगढ़ युथ कांग्रेस के महामंत्री सहित युथ कांग्रेस के रायपुर शहर प्रभारी, भारतीय युवक कांग्रेस के पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी , 16 साल से पीसीसी डेलीगेट में रहना, प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 8 से सचिव रहना, नागरिक सहकारी बैंक के निर्वाचित मेंबर के अलावा विभिन्न पदों की जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुके हैं। कई आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैं चुनावी संचालन का बखूबी ज्ञान है। ऐसे में इनकी दावेदारी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
इसके बाद सभापति जयंत ठेठवार नाम आता है इनका भी रायगढ़ की राजनीति में एक बड़ा नाम है कई बार के पार्षद है जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस के विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके है कई चुनावों का सफल संचालन कर चुके है इन्हे चुनाव संचालन का चाणक्य कहा जाता है। इसलिए यदि परफोर्मेंस में कमजोर बताकर प्रकाश नायक की टिकट कटती है तो जयंत ठेठवार एक बड़ा नाम सामने आ सकता है।
अंदरखाने के सूत्रों की माने तो इस वर्ष युवक कांग्रेस प्रदेश में कुछ सीटों की मांग कर सकता है। कहा जा रहा है की युवक कांग्रेस और एनएसयूआई क्या सिर्फ जिंदाबाद मुर्दाबाद और झंडा ही पकड़ कर आंदोलनों में पुलिस का डंडा खायेगा। कांग्रेस के आंदोलनों में युवक कांग्रेस और एनएसयूआई का बड़ा अहम रोल होता है यही वजह है की इस बार प्रदेश नेतृत्व कम से कम 5 से 10 सीट मांग सकता है। यदि ऐसा हुआ तो रायगढ़ से राकेश पांडेय की दावेदारी बिना बोले पूर्ण होगी क्योंकि युवक कांग्रेस में राकेश पांडेय एक ऐसा नाम है जिसकी गूंज रायगढ़ तक ही सीमित नहीं है बल्कि रायपुर से देश की राजधानी दिल्ली तक है। जिसके पास हर स्तर पर युवाओं की बड़ी फौज है और मतदाताओं में युवाओं की बड़ी तादात है।
राकेश पांडेय का नाम यूं ही नहीं लिया जा रहा है रायगढ़ सहित प्रदेश की राजनीत का एक चमकता सितारा है जिसकी पकड़ नीचे से लेकर ऊपर तक है। राकेश पांडेय के नेतृत्व में भाजपा शासन काल में हुए आंदोलनों की लंबी फेहरिस्त है। वे एनएसयूआई से लेकर युवक कांग्रेस के हर पद पर निर्वाचित पदाधिकारी बने हैं। भाजपा शासन काल में एनएसयूआई के निर्वाचित प्रदेश सचिव रहते हुए राकेश पांडेय के नेतृत्व में शिक्षित बेरोजगारों के रोजगार और कालेजों में नए कोर्स और संसाधनों के लिए आंदोलन और आउट सोर्सिंग के खिलाफ उग्र आंदोलन हुए थे इन आंदोलनो से राकेश पांडेय खूब सुर्खियों में आए। इसके अलावा वे रायपुर से लेकर दिल्ली तक के विभिन्न आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं। युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिव का पद भी उन्होंने बड़े वोट के साथ जीत हासिल किया था और निर्वाचन पद्धति से वही भारी मतों से जीत हासिल कर सकता है जिसके पास चुनाव संचालन का अनुभव हो और राकेश पाण्डेय ने युवक कांग्रेस महासचिव के पद पर निर्वाचित होकर इसे साबित किया है। भले ही राकेश पांडेय को अभी दावेदारों की दौड़ में लोग माने या न माने लेकिन आने वाले समय में राकेश पांडेय एक प्रबल दावेदारों में से एक हैं। युवक कांग्रेस और एनएसयूआई का प्रदेश में आंदोलनों की एक लंबी फेहरिस्त रही है जितने भी आंदोलन होते रहे हैं उनमें एनएसयूआई और युवक कांग्रेस का अहम रोल होता है। ऐसे में प्रदेश युवक कांग्रेस संगठन स्तर पर विधान सभा में नेतृत्व के लिए सीटों की मांग करने से प्रदेश के कई सीटों पर युवा चेहरा सामने आ सकता है।
रही बात शंकरलाल अग्रवाल की जिनकी दावेदारी लगातार सामने आते रही है बीते चुनाव में भी उन्होंने अपनी दावेदारी पेश किया था और इस चुनाव के लिए भी वो दावेदारी करते चले आ रहे हैं और गांव गांव में विभिन्न धार्मिक आयोजन कर अपनी पैठ बनाने में लगे हुए हैं लेकिन सवाल उठता है कि क्या स्थानीय लोकल में दावेदारों और चर्चित चेहरों की कमी है ऐसा है नहीं। यदि शंकरलाल अग्रवाल टिकट के दौड़ में हैं तो उनसे कहीं ज्यादा लोकप्रिय डॉक्टर राजू अग्रवाल एक सशक्त कैंडिडेट हैं और वे शंकरलाल अग्रवाल से कहीं ज्यादा लोकप्रिय हैं। इनके अलावा कांग्रेस में महिला दावेदार भी हैं जिनकी रायगढ़ की राजनीत में लम्बी पारी खेली है।
रायगढ़ विधान सभा से पूर्व जिला पंचायत सदस्य वासुदेव यादव भी दावेदारी की दौड़ में शामिल है वे लगातार रायगढ़ विधान सभा से अपनी दावेदारी करते चले आ रहे हैं और इस वर्ष भी उनकी दावेदारी है।
इनके अलावा शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रामचंद्र शर्मा भी कांग्रेसी प्रत्याशी की दौड़ में शामिल है। रामचंद्र शर्मा अब तक पार्टी से बाहर रहकर ही दावेदारी कर रहे हैं। रामचंद्र शर्मा अगर पार्टी ज्वाइन कर दावेदारी करते तो इसका अलग प्रभाव पड़ता और पार्टी लाइन से जुड़कर दावेदारी करते तो राजनीतिक हलकों में शंकरलाल अग्रवाल पर भारी पड़ सकते हैं। रामचंद्र शर्मा जिले का एक जाना पहचाना नाम है शिक्षा के साथ खेल से जुड़कर युवाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक वे राजनीति से प्रत्यक्ष रूप से न जुड़कर दावेदारी कहां तक जाएगी यह आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।
जिस तरह से प्रदेश में परफोर्मेंस की बात आती है तो प्रदेश के कई सीटिंग एमएलए की टिकट कटने की बात का जिन्न यदा कदा बाहर आते रहा है। हाल ही में प्रदेश के 27 विधायकों की टिकट कटने की बात मीडिया में सुर्खियां बनी थी और गत दिवस मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार ने भी कमजोर परफोर्मेंस वालों की टिकट कटने की बात कहकर हलचल बढ़ा दिया है। ऐसे में इस बार प्रदेश में कई युवा नेतृत्व को जगह मिलने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।