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रायगढ़ की राजनीति में गद्दी …… मतलब साफ है आज भी कायम है धाक और साख ….केके गुप्ता के सामने आने पर रायगढ़ का सियासी पारा चढ़ा ….. सोसल मीडिया से लेकर बैनर पोस्टर पर छाया …दावेदारों की भीड़ में ये चेहरे और … क्या सीटिंग एमएलए पर पड़ेंगे भारी …. चर्चा में आलाकमान की है मौन सहमति

 

रायगढ़। शहर में गद्दी कह देने से दिग्गज कांग्रेसी नेता कृष्ण कुमार गुप्ता का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। लंबे समय के बाद अचानक से कृष्ण कुमार गुप्ता ने सामने आकर सबको चौंका दिया है। हर कोई इसके अपने अपने तरीके से अलग अलग सियासी मायने निकालने में लग गया है। उनके सामने प्रकट होने पर सियासी समीकरण बदलने लगी है। कद्दावर नेता जिनकी कांग्रेस में अलग पहचान और पकड़ है। अविभाजित मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं और आज भी उनकी एक आहट से ही सियासी हलचल तेज हो गई है।

डॉ शक्रजीत नायक ने जिस तरह से उनका राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिया था और अब उनकी बारी है यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह राजनीतिक चर्चा का विषय है। सोसल मीडिया में भी ये सुर्खियों में हैं। जिले के वरिष्ठ पत्रकार अनिल पांडेय के द्वारा केके गुप्ता के एकाएक प्रकट होने पर अपनी त्वरित टिप्पणी भी सोसल मीडिया में किया था। इन तमाम राजनीतिक उठा पटक के बाद कृष्ण कुमार गुप्ता के एकदम से प्रकट होने का मतलब भी साफ है बिना किसी ठोस आश्वासन के राजनीत का माहिर खिलाड़ी यूं ही ऐसे ही सामने नहीं आने वाला है। भले ही कृष्ण कुमार गुप्ता रायगढ़ की राजनीति से ओझल रहे हों लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं से संबंध कायम है। कहीं न कहीं कृष्ण कुमार गुप्ता को शीर्ष संगठनात्मक सहमति जरूर मिली होगी केके गुप्ता परिवार भले ही रायगढ़ की राजनीति से जरा ओझल हैं किंतु राजनीतिक धाक और साख दोनों कायम है। कृष्ण कुमार गुप्ता पर कहीं न कहीं राजनीतिक वरदहस्त प्राप्त हुआ है। राजनीति हरी झंडी मिले बिना इस तरह का कदम नहीं उठा सकते हैं।

केके गुप्ता और उनके पुत्र अरुण गुप्ता रायगढ़ की राजनीत में क्या गुल खिलाएंगे यह अभी धीरे धीरे परत दर परत खुलेगी। इतना ही नहीं और उनके पुत्र अरुण गुप्ता की भी कांग्रेस से नजदीकियां जग जाहिर है। अब यह और जोर पकड़ने वाला है। शहर का गद्दी एक तो सेठ किरोड़ीमल की थी और दूसरी शहर के जाने-माने शख्सियत राजनीत के चाणक्य कहे जाने वाले केके गुप्ता परिवार की रही। क्या एक बार फिर से गद्दी की धमक बढ़ने वाली है।

रायगढ़ की राजनीति लंबे समय तक इसी गद्दी के इर्द-गिर्द ही केंद्रित हुआ करती थी। लंबे समय तक गद्दी चौक में अच्छी खासी रौनक हुआ करती थी। क्या गद्दी एक बार फिर से इतिहास दोहराने को आतुर है ..क्या कृष्ण गुप्ता स्वयं टिकट मांगेंगे या उनके आगे उनके पुत्र की राजनीतिक महत्वाकांक्षा तो आड़े नहीं आएगी।
फिलहाल यह तो गर्भ में है कौन किस पर हावी होने वाला है किंतु इतना तो है कि गद्दी के सामने आने से विधायक प्रकाश नायक के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है।

राजनीतिक गद्दी का वारिस तैयार हो रहा है क्या इसके लिए वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं और आलाकमान की सहमति है तो कौन है वह असल हकदार राजनीति हलकों में उनके पुत्र अरुण को लेकर हलचल तेज हो गई है।  केके गुप्ता की बैनर पोस्टर शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। आने वाले समय में शहर की राजनीति फिजा बदल सकती है। कृष्ण कुमार गुप्ता रायगढ़ की राजनीति को एक बार फिर से अपने पक्ष में कर पाएंगे यह आने वाले समय में स्पष्ट हो पाएगा। रायगढ़ की इस गद्दी की कई खास बातें है जिस पर चर्चा फिर कभी होगी। फिलहाल तो चर्चा का विषय है गद्दी का एक बार फिर से राजनीतीकरण होना, अब यह चर्चा का विषय है की केके गुप्ता की यह गद्दी किस करवट बैठेगा और कितनों की नींद गायब करने वाला होगा।

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