
लैलूंगा विधान सभा से राजकुमारी जयमाला सिंह ने ठोकी कांग्रेस से दावेदारी …. ब्लॉक अध्यक्ष को सौंपा आवेदन …. लैलुंगांचल क्षेत्र में आज भी अजेय योद्धा कुंवर सुरेंद्र कुमार सिंह के हैं चाहने वाले ….जयमाला के आने से कांग्रेसी दावेदारों में हड़कंप ….और दिग्गज नेता नंदकुमार साय को नहीं भाया जशपुरांचल …
रायगढ़ । जिले का लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र जहां सैकड़ों औद्योगिक कल कारखाने कोयला खदान संचालित है। और आदिवासी क्षेत्र होने के नाते उद्योगपति एवं राजनीतिक ताकतें अपने हिसाब से प्रत्याशी तय करते हैं। खास तौर पर जब से छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ है इनका विशेष दखल प्रत्याशी चयन में होने लगा है चाहे वह भाजपा में हों या कांग्रेस के पर्दे के पीछे से काम करती हैं। उनके ही इशारे पर रायपुर और दिल्ली के नेता अपनी अपनी पार्टियों में सर्वे को आधार बनाकर कंपनी के ठेकेदारों के द्वारा प्रत्याशी चयन किया जाता है। जिसके आधार पर उद्योगपति अपने मर्जी के मुताबिक प्राकृतिक संपदा का दोहन करते चले आ रहे हैं। लेकिन क्षेत्र के पूर्व अजेय योद्धा कुंवर सुरेंद्र कुमार सिंह की पुत्री राजकुमारी जयमाला सिंह के दावेदारी से इनमे हड़कंप मच गया है।
2023 के विधान सभा आम चुनाव में कांग्रेस भाजपा ने कई आदिवासी समाज के गौटिया, सरपंच, डीडीसी, बीडीसी आदिवासी क्षेत्र के व्यक्तियों को सक्रिय कर दिया गया है कांग्रेस पार्टी ने चयन प्रक्रिया की शुरुवात ब्लाक स्तर पर प्रजातांत्रिक तरीके से 17 से 22 अगस्त तक आवेदन की तिथि निर्धारित किया था। जिसके तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस के दावेदारों वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह सिदार, पूर्व भाजपा के दिग्गज नेता कांग्रेस में शामिल हुए दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय, राजपरिवार से राजकुमारी जयमाला सिंह, पूर्व विधायक ह्रदय राम राठिया ने भी दावेदारी किया है। वहीं तमनार अंचल से आने वाले दावेदारों में जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विद्यावती सिदार, सुरेंद्र सिदार, तमनार क्षेत्र से सरपंच गुलापी सिदार ने अपनी दावेदारी किया है।
इसमें चौंकाने वाली सबसे बड़ी बात ये है कि लैलूंगा विधान सभा से जशपुर के कद्दावर नेता नंदकुमार साय ने लैलूंगा से शरण मांगी है। इससे प्रतीत होता है कि कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय को जशपुर से दावेदारी करने तक की स्थिति में नहीं रह गए हैं और लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र से दावेदारी कर एक तरह से अपने लिए शरण चाही गई है। पर्दे के पीछे से भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामने के पूर्व नंदकुमार साय और मुख्यमंत्री के बीच क्या क्या बातें हुई थी यह उन्हें ही मालूम होगा। साय की दावेदारी से एक बात ये भी जाहिर होता है कि चक्रधर सिंह सिदार का टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा है जैसा पिछले दो सालों से उनके टिकट कटने की चर्चा आम है।
इन सभी प्रत्याशियों के बीच क्षेत्र में जो चर्चा का विषय बना हुआ है वो जयमाला सिंह को लेकर है। जयमाला सिंह कांग्रेस की प्रदेश प्रतिनिधि सदस्य हैं एवं जो खास बात है वो ये कि उनके पिताश्री स्व सुरेंद्र कुमार सिंह लैलूंगा क्षेत्र से 5 पंचवर्षीय लैलूंगा से विधायक रहे और अजेय योद्धा के रूप में माना जाता रहा है। गांव गांव आज भी पुराने कांग्रेसी स्व सुरेंद्र कुमार सिंह के प्रति प्यार और स्नेह रखते हैं वे लोग आज भी मानते हैं कि उनसे अच्छा प्रतिनिधि लैलूंगा में आज तक नही हुआ है और अब वे जयमाला सिंह की ओर आस भरी निगाह से देख रहे हैं। बता दें की जब से रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में स्व अजीत जोगी का सांसद के रूप में प्रवेश हुआ उसके उपरांत राजा चक्रधर सिंह की पीढ़ी का कांग्रेस ने पूरी तरह से राजनीतिक पर कतरने का पूरा प्रयास किया। और इसके बाद आज पर्यंत तक राजकुमारी जयमाला सिंह विगत 4 चुनाव से लोक सभा, विधान सभा में दावेदारी करते चली आ रही हैं लेकिन इस वर्ष क्षेत्र वासियों को उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी इस बार राज परिवार के प्रति न्याय करेंगे और इस विधान सभा में उन्हें लैलूंगा से टिकट देंगी।
इनके अलावा प्रेमसिंह सिदार जो भाजपा से पूर्व विधायक रह चुके है कालांतर में कांग्रेस का दामन थाम लिया था उनकी बहू विद्यावती सिदार भी महिला कांग्रेस की ओर से दावेदारी की है वे पिछली बार भी कांग्रेस की संभावित उम्मीदवारों में शामिल थीं लेकिन एन मौके पर उनकी टिकट काट चक्रधर सिंह सिदार को टिकट दे दिया गया था। इस बार विद्यावती पुनः दावेदारी करते हुए मैदान में कूद गई हैं वहीं कभी प्रेमसिंह सिदार के सबसे करीबी माने जाने वाले युवा साथी सुरेंद्र सिदार आमगांव के थे आज वे दोनों एक दूसरे के खिलाफ मयान से तलवार निकाल ली है। और दोनो आमने सामने होकर टिकट की दावेदारी में पिछले चुनाव की भांति डटे हुए हैं।इन्होंने 2018 में भी अपनी दावेदारी की थी लेकिन जबसे प्रेमसिंह सिदार 2003 में कांग्रेस प्रवेश किए उसके बाद कभी चुनाव नहीं जीत सके। लैलूंगा की जनता की यह मानसिकता से यह समझ आता है कि कांग्रेस पार्टी से सुरेंद्र कुमार सिंह पूर्व सांसद के अलावा कभी कोई विधायक रिपीट नहीं हुआ है और खास तौर पर जबसे छत्तीसगढ़ बना है तब से जनता नेताओं को एक फसली करार दिया है।