♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

भाजपा और कांग्रेस दोनों में प्रत्याशी को लेकर घमासान ….. बीजेपी में विजय, गुरुपाल से लेकर विकास, गौतम, रत्थू सब भारी … कांग्रेस में भी प्रत्याशी चयन दो भागों में बंटती आ रही नजर … भाजपा पर्यवेक्षक इस नतीजे पर  ….रिस्क मोड पर न कांग्रेस न भाजपा …इनके बीच मुकाबला

 

शमशाद अहमद

रायगढ़ । भाजपा के द्वारा प्रदेश की 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद से प्रदेश की राजनीत में तेजी से उथल पथल और तौर तरीके बदल गए हैं। रायगढ़ की राजनीत में भी जबरदस्त उबाल आ रखा है। भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर पर्यवेक्षकों के आने का सिलसिला भी लगातार चल रहा है। कांग्रेस में जो होना है स्थानीय स्तर से निपट चुका है और पर्यवेक्षक पहुंचकर अंदरूनी टोह लेने में जुटे है। अंदरखाने के अनुसार कांग्रेस में तलवार मयान से निकल चुकी है सारा दारोमदार आला कमान पर टिका हुआ है। आज कांग्रेस की केंद्रीय पर्यवेक्षक भी पहुंचकर रायगढ़ कांग्रेस के दावेदारों की टोह ले रही हैं।


वर्तमान में न तो भाजपा और न ही कांग्रेस कोई रिस्क लेने के मूड में है। एबीपी के एक सर्वे ने पूरा राजनीतिक समीकरण बदल दिया है। भाजपा कोई भी टिकट फाइनल करने के पहले पूरी तरह से ठोक बजा रही है। रायगढ़ जिले के खरसिया विधान सभा उम्मीदवार महेश साहू को घोषित करने के बाद कई तरह से सवाल उठ रहे थे यह सर्व विदित है कि वर्तमान में खरसिया विधान सभा सीट से कांग्रेस को हराना बड़ी टेढ़ी खीर है। यहां पहले ओपी चौधरी के नाम की बड़ी चर्चा थी इसके बाद विराम लग गया और रायगढ़ से ओपी की दावेदारी की चर्चाएं चलने लगी सिर्फ चलने ही नहीं लगी जोर शोर से यहां वहां फैलने लगी। भाजपा पर्यवेक्षक अनिल मेजर गत दिवस पहुंचे और स्थानीय तमाम भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई पृथक पृथक और संयुक्त दोनों तरह से चर्चाएं की और रायशुमारी कर लौट गए हैं। भाजपा पर्यवेक्षक भी मेल मुलाकात के बाद नतीजे पर आलाकमान को फीड बैक दे रहे हैं।

 

 

रायगढ़ विधान में भाजपा की ओर से जिले के कद्दावर वरिष्ठ भाजपा नेता गुरुपाल भल्ला और पूर्व विधायक विजय अग्रवाल सबसे प्रबल दावेदार में से हैं। गुरुपाल भल्ला के बारे में कहा जाता है कि वर्तमान में जिला भाजपा के एक कद्दावर और पैठ वाले नेता हैं इसके पहले विजय अग्रवाल का नाम जरूर लिया जाता है एक आम धारणा के अनुसार विजय अग्रवाल पहली पसंद है गुरुपाल भल्ला अपनी योग्यता, नेतृत्व क्षमता, पैठ, पार्टी के प्रति अपने अवदानों को लेकर दूसरे नंबर पर आते हैं गुरुपाल भल्ला के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन भाजपा परिवार के लिए समर्पित कर दिया पूरी निष्ठा से अपनी हर जिम्मेदारियों का निर्वहन किया आज भी उसी शिद्दत से पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। मिला थोड़ा लेकिन दिया बहुत कुछ है उनके खिलाफ कई सदयंत्र भी रची गई लेकिन वे पाकसाफ निकले अपनी बेबाक और बेदाग राजनीतिक छवि रखने वाले को इसका प्रतिसाद तो मिलना चाहिए और इस बार वे इसी उम्मीद में भी हैं कि इस बार पार्टी उन्हें प्रत्याशी बनाकर मौका जरूर देगी। इसके लिए अपनी दावेदारी भी पर्यवेक्षकों और पार्टी के समक्ष रख भी चुके हैं। भाजपा द्वारा 21 प्रत्याशियों की सूची में खरसिया से महेश साहू के प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद ओपी चौधरी के रायगढ़ से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई। और उन्हें लेकर लोगों की अलग अलग राय भी समाने आने लगी यहां यही सवाल बार बार उठाए जा रहे हैं कि अगर रायगढ़ से ओपी चौधरी को टिकट दी जाती है तो रायगढ़ के पूर्व विधायक विजय अग्रवाल शहर विकास के परिकल्पना कार वर्तमान में रायगढ़ विधान सभा के भाजपा प्रत्याशी का प्रमुख चेहरा है। रायगढ़ विकास की उनकी एक परिकल्पना है जिसे वे अपने पहले कार्यकाल में शुरूवात किया था लेकिन उस विकास को तत्सम्य विनाश के रूप में देखने लगे और बाद में यही परिकल्पना शहरवासियों की बेहद अनिवार्य जरूरतों में शुमार हो गया। विजय अग्रवाल व्यवस्थित विकास परिकल्पना को आगे ले जाने की मंशा पाले हुए हैं वर्तमान में उन्हें कांग्रेस के आगे एकमात्र जिताऊ उम्मीदवार के तौर पर देख रहे हैं इनकी क्षेत्र में अपनी अलग पहचान और राजनीतिक रसूख के साथ कद्दावर भाजपा नेताओं में शुमार हैं।

इसी क्रम में भाजपा के कद्दावर नेता गुरुपाल भल्ला हैं और प्रत्याशी चयन के लिए आने वाले पर्यवेक्षकों के सामने दावेदारी भी कर चुके है और अपनी लंबे कार्य अनुभव विभिन्न जवाबदारियों का सफलता पूर्वक निर्वहन करने पार्टी में एक अलग पैठ उनकी योग्यता का सम्मान है। भाजपा की एक बड़ी फौज उनके साथ खड़ा भी है और उनकी दावेदारी का समर्थन भी करता है। गुरुपाल भल्ला जिले की राजनीतिक केंद्र की धुरी भी माने जाते हैं सक्ती जिला भाजपा के प्रभारी भी हैं और अनेकों जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते भी चले आ रहे हैं। जहां तक पार्टी के अनुसार योग्य प्रत्याशी कहे जाने वालों में इनका नाम शुमार होना चाहिए ऐसा वे भी मानते हैं।


रायगढ़ विधान सभा से सुनील रामदास अग्रवाल जो पिछले चुनाव से अपनी दावेदारी करते चले आ रहे हैं सुनील रामदास भी सुव्यवस्थित रायगढ़ विकास परिकल्पना की बात करते हैं। पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेताओं में विकास केडिया गौतम अग्रवाल, रत्थु गुप्ता, विलिस गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य गोपिका गुप्ता, पूनम सोलंकी जैसे दूसरी पीढ़ी के नेता भी अपनी मौजूदगी और दावेदारी जोर शोर से करते चले आ रहे हैं। यहां उल्लेखित दूसरी पंक्ति के नेताओं में विकास केडिया का नाम भी जोर शोर से लिया जाता है। भाजपा में यदि विजय अग्रवाल, गुरुपाल भल्ला जैसे नेताओं पर यदि विचार नहीं होता है और पार्टी द्वारा जैसा की वर्तमान में नए चेहरों पर दांव लगाने की बात सामने आ रही है तो दूसरी पंक्ति में छात्र जीवन से राजनीत करते चले आ रहे विकास केडिया का पार्टी के अंदर काम करने वाले अनुभवी संघर्ष शील नेता के रूप में उनकी पहचान है। उनकी अपनी अलग पहचान और पैठ है पार्टी से उन्हें मिली बड़ी जवाबदारी को भी निभा रहे है जमीनी पकड़ और साख है। ऐसे में पार्टी नए चेहरे की बात करती है विकास केडिया और पूर्व विधायक स्व रोशन लाल अग्रवाल की वियारासत को आगे लेजाने और काम के प्रति अपनी जुनून रखने वाले पिता की वियारासात को उसी तरह आगे ले जाने की चाह में दावेदारी करने वाले गौतम अग्रवाल भी हैं। गौतम अग्रवाल अपने विधान सभा क्षेत्र के अंतिम पंक्ति तक बैठी आम जनता तक पहुंचने और आगे बतौर एक जनप्रतिनिधि के तौर शहर विकास की एक खाका लेकर चल रहे है। वहीं इसी दूसरी पंक्ति के नेताओं में उड़िया भाषा बाहुल्य की तरफ से विलिस गुप्ता, रत्थू गुप्ता, गोपिका गुप्ता जो स्वयं को दूसरी पीढ़ी के प्रबल दावेदारों में शामिल कर रखे है। इन्ही समीकरणों के बीच नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी भी दावेदारों की पंक्ति में शामिल है ये भी भाजपा में एक सशक्त महिला भाजपा नेत्री में शुमार हैं। जातिगत समीकरण देखें तो लंबे समय से ओडिया बाहुल्य को देखते हुए डॉ प्रकाश मिश्रा का नाम पूर्व चुनाव में भी उठ चुका है और अब फिर उठ रहा है दरअसल ओड़िया भाषाई जिले के सभी विधान सभा का समीकरण बनाने बिगाड़ने का माद्दा रखता है। जिले के सभी विधान सभा में इनकी बड़ी संख्या किसी भी पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है। इस बार भी ओड़िया भाषाई से प्रत्याशी की मांग रायगढ़ पहुंचे पर्यवेक्षक मेजर अनिल के समक्ष रखा गया है।

ऐसे में ओपी के प्रत्याशी बनाए जाने के नाम पर सवाल आम जन के जेहन में यही बार बार उठ रहा है अगर ओपी को टिकट तो फिर रायगढ़ के इन अग्रिम पंक्ति और दूसरी पीढ़ी की तरफ से प्रबल दावेदारी करने वालों का क्या होगा। क्या शहर के इन बड़े नेताओं का पार्टी में सिर्फ झंडा बरदारी तक ही सीमित है, सवाल करते हैं कि क्या उनके द्वारा अब तक पार्टी को दिए अवदानों का कोई मूल्य नहीं हैं। वहीं रायगढ़ भाजपा में अब तीसरी पंक्ति भी खड़ी हो रही है जिसमें शक्ति अग्रवाल स्वयं को भावी दावेदारों में खड़ा कर लिया। ओपी चौधरी को प्रत्याशी बनाया जाता है तो फिर शहर के इन तमाम बड़े दिग्गज नेताओं विजय अग्रवाल, गुरुपाल भल्ला, सुनील रामदास अग्रवाल, विकास केडिया, गौतम अग्रवाल, रत्थू गुप्ता, विलिस गुप्ता, गोपिका गुप्ता पुराने दिग्गज और नए दिग्गज नेताओं ने जो सपने संजोए रखे हैं उनका क्या होगा। और तो और भाजपा जिला अध्यक्ष उमेश अग्रवाल स्वयं दावेदारी और रायगढ़ विधान सभा से बतौर प्रत्याशी रखते है।

इसी तरह रायगढ़ विधान में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर जबरदस्त उहापोह की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस में भी आए दिन कोई न कोई पर्यवेक्षक टोह लेने पहुंच रहे हैं। प्रत्याशी को लेकर संगठन और संगठन से इतर दावेदारों और जिम्मेदारों से राय शुमारी के लिए नाम मांगे जा रहे है इन जिम्मेदारों में कुछ स्वयं भी दावेदार है। ऐसा सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं भाजपा में भी शामिल हैं। रायगढ़ विधान सभा सीट को लेकर खूब गुणाभाग और जोड़तोड़ चल रहा है पार्टी अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंची है आज भी दिल्ली से एक पर्यवेक्षक पहुंची है। यहां भी वही की प्रकाश नायक को छोड़ दिया जाए तो कौन है वो कद्दावर नेता जिसे पार्टी प्रत्याशी बनाए और जीत को भी सुनिश्चित करे। यहां भाजपा से प्रत्याशी को लेकर बिलकुल अलग समीकरण है। सीटिंग एमएलए के खिलाफ दावेदारों की बड़ी फौज बहुत कुछ कहती है। ऐसे में रायगढ़ विधान सभा में प्रकाश के बाद कौन तो उनमें जयंत ठेठवार, अनिल अग्रवाल चीकू,अरुण गुप्ता इसके बाद क्षेत्र के प्रसिद्ध चिकित्सक भाजपा की तरह कांग्रेस में डॉ राजू अग्रवाल का नाम सामने आता रहा है पिछली चुनाव में इनका नाम लगभग फाइनल हो चुकी थी लेकिन एन समय में प्रकाश नायक को टिकट मिल गई थी और तब उनके जीत को लेकर बेहद संशय की स्थिति थी लेकिन रायगढ़ में हुए त्रिकोणीय मुकाबले में उनकी जीत हो गई थी।

ऐन समय में डॉ राजू अग्रवाल की टिकट कट जाने के बाद से सोसुप्ता अवस्था में चले गए थे लेकिन एक बार फिर से सक्रिय हो गए उनका अपना एक अलग नाम और पैठ है जिसकी बदौलत वे टिकट की मांग कर रहे हैं। जहां तक कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर बात है वह बेहद फूंक फूंक कर चल रही है कांग्रेस के लिए अपनी साख बनाए रखने 50–55 सीट लाने चुनौती होगी। कांग्रेस जरा भी हल्के में किसी भी विधान सभा को लिया यानि एक सीट का नुकसान प्रदेश में भाजपा ने तेजी से अपना रवैया बदला है जो कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।


प्रकाश नायक की जहां तक बात है वे बहुत चतुर राजनीति के माहिर खिलाड़ी बन चुके है न ना करते टिकट तो ले आए वाली बात भी हो सकती है लेकिन इसकी उम्मीद कम ही कही जा रही है प्रकाश नायक के नाम पर मुहर लग भी जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस बार पार्टी में उनकी छवि को लेकर टिकट कटने की बात लगातार सामने आती रही है यही वजह है की कांग्रेस में नए चेहरों में जयंत ठेठवार, अनिल अग्रवाल चीकू, अरुण गुप्ता, सलीम नियरिया भी दावेदारी ठोक दिया है। शहर में सलीम नियरिया की अपनी अलग पहचान छवि और अच्छी पैठ वाले नेता के रूप में प्रख्यात शख्स है। इसी क्रम में शंकरलाल अग्रवाल है जिन्हे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। वे रायगढ़ कांग्रेस से जुड़कर लगातार अपनी दावेदारी पाले गांव गांव सक्रिय हैं। रायगढ़ से यदि प्रकाश नायक को टिकट नहीं देते हैं तो इसी पंक्ति में कृष्ण कुमार गुप्ता यानि गद्दी की धमक फिर से चमक सकती है, लेकिन इससे पहले अनिल चीकू, जयंत ठेठवार को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। अनिल अग्रवाल यदि इस पंचवर्षीय की बात करें तो पूरे वर्ष प्रदेश कांग्रेस की टीम में रहते हुए सक्रिय रहे है जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले नेता के रूप में माने जाते हैं और उनकी दावेदारी को इंकार नहीं किया जा सकता है। जयंत ठेठवार जिन्हे रायगढ़ कांग्रेस में चाणक्य की उपाधि मिली हुई है किसी भी राजनीतिक समीकरण को बदलने का माद्दा रखते हैं। नगर निगम की राजनीत में लंबे समय से सक्रिय हैं। इसी प्रकार सलीम नियरिया हैं जिन्होंने अचानक से दावेदारी का बम फोड़कर सबको आश्चर्य चकित कर दिया था खास बात ये है की उनकी दावेदारी से एक आम जन मानस पर जीत दिलाने वाले चेहरे के तौर पर नाम लिया जाने लगा कहते हैं इन पर हर वर्ग का आशीर्वाद प्राप्त है । सलीम नियरिया मुस्लिम समुदाय से एक सामान्य परिवार से हैं लेकिन इनकी छवि सर्व धर्म समभाव वाले व्यक्तिव वाले चेहरे के तौर पर जाने पहचाने जाते हैं। रायगढ़ विधान सभा में कांग्रेस उम्मीदवारों में जबरदस्त उहापोह है। इस बार अनिल चीकू अपनी दावेदारी बहुत जोर शोर से और पूरी गंभीरता के साथ कर रहे हैं और वे इसके लिए डीजर्व भी करते है उनके बारे में कहा जाता है कि वो बोलने से ज्यादा करने पर विश्वास रखने वाले व्यक्तिव में से हैं। वही जिले के पूर्व दिग्गज नेता कृष्ण कुमार गुप्ता के पुत्र अरुण गुप्ता अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने दावेदारी ठोक दी है जहां तक रायगढ़ विधान सभा में गद्दी की बात आती है तो यह कभी राजनीत की धुरी हुआ करती थी और आज भी इनके चाहने वाले हैं। इन सबके बाद शंकरलाल अग्रवाल आते हैं ये पूरी तरह से राजनीत के रण में उतरने उतावले हैं।

जिस तरह से प्रदेश में भाजपा ने अपने राजनीतिक परिदृश्य को बदला है कांग्रेस में खलबली मचना भी लाजमी है भले ही 65 पार और 75 पार की बात कही जा रही है यह धरी की धरी रह सकती है। प्रदेश में जिस तरह से भाजपा केंद्र की रणनीति पर काम कर रहा है और प्रदेश में तेजी से अपनी चुनावी रणनीति बदली है कांग्रेस के लिए फूंक फूंक कर कदम बढ़ाने जैसा हो गया है।


हालाकि रायगढ़ कांग्रेस में जितने भी दावेदार हैं जितने और जिताने का माद्दा रखने वाले नेता है और इस चुनाव में रायगढ़ की युवा कांग्रेस की अहम भूमिका साबित होगी । युवा कांग्रेस चेहरे पर नही संगठन के आधार पर काम करने वाली टीम है और ये टीम किसी भी समीकरण को बदलने की क्षमता भी रखता है। चेहरा कोई भी हो युवा कांग्रेस जीत दिलाने पूरी तरह से सक्षम है।

फिलहाल रायगढ़ भाजपा में विजय अग्रवाल, गुरुपाल भल्ला, सुनील रामदास, दूसरी पंक्ति के विकास केडिया, गौतम अग्रवाल, रत्थू गुप्ता, विलिस गुप्ता, गोपिका गुप्ता, पूनम सोलंकी या फिर ओपी चौधरी बनाम प्रकाश, जयंत ठेठवार, अनिल चीकू, अरुण गुप्ता, सलीम नियरिया या फिर शंकरलाल अग्रवाल उलट फेर में कहीं डॉक्टर राजू अग्रवाल तो नहीं ।

 

यूं तो कांग्रेस और भाजपा में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है जिसमे बलबीर शर्मा, प्रदीप मिश्रा, हरे राम तिवारी, विभाष सिंह, वासुदेव यादव, अशरफ खान, संगीता गुप्ता, यतीश गांधी, जेठूराम मनहर, दीपक पांडे.. है। परंतु प्रमुख चेहरों में यही है जिन पर दांव लग सकती है प्रकाश के बाद जयंत, अनिल, अरुण, शंकरलाल सलीम डॉ राजू है, क्या इनके इतर भी कोई संभावना है आगे देखने वाली बात होगी।

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close