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जिले के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी को जी- 20 देशों के सम्मेलन में शिरकत करने मिला न्योता…… होगी माइनिंग इकोनॉमी और प्रभाव पर विस्तृत चर्चा और रखेंगे क्षेत्र के मुद्दे….कोयला सत्याग्रह की चर्चा विदेशों में भी …. खनन और कोयला आधारित संयंत्रों से कार्बन उत्सर्जन …जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण ….जैसे मुद्दे होंगे प्रमुख 

 

रायगढ़।

जिले के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता को जी – 20 देशों की होने वाली बैठक में शिरकत करने आमंत्रित किया गया है। इंडोनेशिया में होने वाली इस सम्मेलन में जी 20 समूह के देशों में माइनिंग और इसके प्रभाव प्रभावित क्षेत्र के निवासियों की पारंपरिक रहन सहन के साथ होने वाली आर्थिक प्रभाव सहित जलवायु परिवर्तन मुख्य मुद्दा रहेगा और सौर उर्जा, खान खनिज और लोग को लेकर चर्चा की जायेगी।
माइनिंग के प्रभाव और दुष्प्रभाव पर विशेष मुद्दा है।
जिले का मुख्य मुद्दा माइनिंग और उसके प्रभाव हैं। जिले में कोयला आधारित पावर उद्योग भी बहुतायत में हैं। इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के साथ कोयला खनन और इसके प्रभाव दरअसल कोयला आधारित विद्युत उत्पादन से फ्लाई ऐश एक बड़ी समस्या है। जिले तमनार में और कोयला खदान के लिए जमीन नहीं देने आंदोलन लंबे समय से चल रहा है ग्रामीण अपनी जमीन कोयला खनन के लिए नहीं देना चाहते हैं। ग्रामीण चाहते है की अगर कोयला निकलना देश हित में बहुत अनिवार्य है तो कोयला निकालने की अनुमति उन्हें दी जाए।

दरअसल रायगढ़ में राजेश त्रिपाठी के नेतृत्व में खान खनन और जल जंगल जमीन को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी है। क्षेत्र के आदिवासियों के साथ मिलकर खनन से पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए क्षेत्र में और कोयला खदान के लिए जमीन नहीं देने ग्रामीणों के साथ मिलकर लंबे समय से काम रहे हैं। और इस पर देश विदेश के कई शोधार्थी यहां आकर अध्ययन कर चुके हैं। जब जी 20 देशों का समूह बना तब इन्ही देशों में काम करने वाली टॉप की एनजीओ का भी संगठन बनाया गया। जो देश में जलवायु परिवर्तन के साथ माइनिंग से पड़ने वाले प्रभाव और प्रभावितों के पारंपरिक व्यवसाय और माइनिंग से पड़ने वाले प्रभाव जल जंगल जमीन को कैसे बचाया जाए इस पर विचार विमर्श और इसके समाधान को लेकर इन देशों के समूह के सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
रायगढ़ से राकेश त्रिपाठी को बुलाने के पीछे विदेशो से आए शोधार्थी हैं जी 20 देश के समूह को ज्ञात हुआ कि भारत के छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में इस तरह का आंदोलन चला है जिस पर कई देशों के छात्र अपनी शोध पर यहां के आंदोलन का उल्लेख कर चुके हैं। इसे देखते हुए जी 20 समूह द्वारा राजेश त्रिपाठी को आमंत्रित किया गया है। जी 20 देश का समूह माइनिंग के विकल्प के तौर यानी कोयला आधारित विद्युत उत्पादन की जगह पवन ऊर्जा, पनबिजली परियोजनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती है।
इसी तरह का जी 20 देशों की टॉप की समाजिक संस्थाओं के समूह का इंडो नेशीय में 17 से 19 अक्टूबर 2023 को होगा। यहां राजेश त्रिपाठी खान खनिज और इससे स्थानीय निवासियों के जीवन पर प्रभाव और वनोपज आधारित उनकी आजीविका पर प्रभाव को रखेंगे। जिसके लिए श्री त्रिपाठी लंबे समय से स्थानीय आदिवासियों के बीच संघर्ष कर रहे हैं। यहां गांधी जयंती के मौके पर कोयला सत्याग्रह आंदोलन होता है। कोयला सत्याग्रह आंदोलन कर ग्रामीण कोयला खदान के लिए अपनी जमीन नहीं देने और यदि देश हित के लिए अत्यावश्यक है तो कोयला निकालने की अनुमति ग्रामीण समुदाय को ही दी जाने की मांग होती है। सुप्रीम कोर्ट भी कहती है की जिसकी जमीन उसके अंदर का संसाधन भी उस जमीन मालिक का होगा।
दरअसल तमनार ब्लॉक में सर्वाधिक कोयले का भंडार है और यहां कई औद्योगिक घरानों को कोयला खदान आबंटित किया गया है इसके अलावा घरघोड़ा, धरमजयगढ़ में भी कोयला खदान है। ग्रामीण पेसा कानून के तहत कोयला खदान के लिए अनुमति देने से हमेशा से ही ग्राम सभा के माध्यम से इंकार किया जाता रहा है। इस आंदोलन को लेकर देश विदेश के कई छात्र अध्ययन करने आ चुके है और इस विषय को लेकर शोध पत्र लिख चुके हैं। और इन्ही छात्रों के शोध को लेकर जिले का तमनार ब्लॉक आंदोलनों को लेकर देश विदेश में चर्चित है। कोयला खदान की वजह से अब 30-40 से अधिक गांव उजड़ चुके हैं और आने वाले समय में 20 से अधिक गांव और उजड़ने की कगार पर हैं। राजेश त्रिपाठी ने कहा रायगढ़ जिले में पन बिजली और पवन ऊर्जा परियोजना के लिए व्यापक अवसर है सरकारें चाहें तो जिले को कार्बन उत्सर्जन मुक्त जिला बनाने इन परियोजनाओं को धरातल पर लाया जा सकता है।

दरअसल जी 20 देशों के समूह में बनी एनजीओ के समूह जी 20 देशों में इन तमाम मुद्दों को लेकर चिंतित है कोयला आधारित खान खनिज, कोयला पावर और उद्योगों की जगह कोयला आधारित पावर की जगह सौर ऊर्जा पवन और पनबिजली परियोजना जैसे अन्य विकल्पों पर प्रयास और ध्यान देने की जरूरत पर चर्चा होगी। दरअसल कोयला आधारित उद्योगों से कार्बन उत्सर्जन अत्यधिक होता है जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए एक गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। इसे लेकर इंडोनेशिया में इन तमाम मुद्दों को लेकर जी 20 देशों के समाजिक संस्थाओं की एक बैठक रखी है। जिसमे छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी को आमंत्रित किया गया है। जो यहाँ की इन तमाम मुद्दों को सम्मेलन में रखेंगे।

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