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एक छोटे से गांव से कोयला सत्याग्रह की निकली चिंगारी …. फैल रही देश विदेश में …कोयला सत्याग्रह का 14 साल …. हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में दिग्गज सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बढ़ाया हौसला …. इन एक्टिविस्टों के योगदानों को नहीं भुलाया जा सकता …पढ़े पूरी खबर

 

रायगढ़। जिले तमनार ब्लॉक के एक छोटे से गांव ऊरबा में कोल ब्लॉक बाहुल्य प्रभावित गांव के 56 गांव के लोग जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कोयला खदान के विरोध में कोयला सत्याग्रह की शुरुवात की गई थी। यह आयोजन महात्मा गांधी से प्रेरित है इसलिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर आयोजित की जाती है। इस वर्ष भी 2 अक्टूबर को ऊरबा में एक वृहद कोयला सत्याग्रह का वृहद आयोजन हुआ बाहर से आए हुए विशेष अतिथि वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया।

रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक का कोयला सत्याग्रह आज सिर्फ जिले और प्रदेश का नहीं बल्कि देश विदेश में भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी है। कोयला सत्याग्रह में देश के विभिन्न प्रांतों के समाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में आयोजन किया गया हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में समाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आंदोलन कारी ग्रामीणों का फैसला बढ़ाया। कोयला सत्याग्रह का यह 14 वा वर्ष था इस कोयला सत्याग्रह के पीछे जिन एक्टिविस्टों का अहम योगदान है उनमें राजेश त्रिपाठी और सविता रथ की अहम भूमिका है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है।


जिले के एक छोटे से गांव से निकली कोयला सत्याग्रह की चिंगारी आज देश भर में पहुंच गई और इसकी गूंज विदेशों में भी पहुंच चुकी है। देश विदेश में रायगढ़ जिले के तमनार का कोयला सत्याग्रह को अब जाना जाने लगा है और आंदोलन को समझने कई खनन प्रभावित दीगर प्रदेश के समाजिक कार्यकर्ता भी पहुंच रहे हैं।
रायगढ़ जिले के तमनार में जल जंगल जमीन को बचाने की मुहिम लगातार जारी है। कोयला खदान के विरोध में कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर कोयला सत्याग्रह का आयोजन ऊरबा में किया गया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी जमावड़ा हुआ। और किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने की मुहिम की सराहना की गई। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आंदोलन को और गति देने की बात कही गई।

देश के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अशोक श्रीमाली,रवि पंगरहा एमएमपी प्रमुख, सिया दुलारी आदिवासी मध्यप्रदेश, कुसुम आलम ताई, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र मध्यप्रदेश, गोवा, आंध्रप्रदेश से पहुंचे दिग्गज समाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार पर निशाना साधा। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि समता जजमेंट का आज तक सरकारों ने एंप्लीमेंट करने की दिशा में एक कदम भी नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा समुदाय के लोगो का कोयला सत्याग्रह में पूरे देश के सभी संघर्षशील साथी आप लोगो के साथ है। आदिवासियों को उनका अंश नही मिल पा रहा है जिसके वे अधिकारी हैं। यह आदिवासी अस्मिता की लड़ाई है इसके लिए चाहे सरकार प्रशासन कंपनी जिसके खिलाफ जाना पड़े जायेंगे। सभी के उद्बोधन में पेसा कानून के तहत सबसे बड़ी ग्राम सभा का हवाला देकर गांव और समुदाय के साथ जल जंगल जमीन प्राकृतिक संपदा को बचाने की मुहिम का साथ देने आए हैं। और एक जुट होकर इस मुहिम को आगे लेकर जाएंगे। जमीन हमारी है खेती हम करेंगे और संपदा भी हम ही निकालेंगे। समुदाय के ग्राम सभा में प्राथमिकता खेती करने को लेकर देश हित में अगर बहुत जरूरत पड़ेगी तो ग्रामीण समुदाय कोयला निकालने सक्षम है जिसकी जमीन भू संपदा पर उसका अधिकार है और समुदाय कोयला निकालने में भी सक्षम है कोयला बेचकर सरकार को रायल्टी भी नियमानुसार देंगे अन्यथा वे किसी भी कीमत पर कोयला खदान के लिए जमीन नहीं देंगे।


कोयला सत्याग्रह में देश के विभिन्न प्रांतों से बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता और उनकी टीम पहुंची थी। सभी ने सबसे पहले जल जंगल जमीन पर पहला अधिकार भूस्वामी का होना बताया। पेसा कानून के तहत प्राप्त शक्तियों का ग्राम सभा में उपयोग कर खुद को सशक्त बनाने का कार्यक्रम में शपथ ली गई। पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में महिलाओं का विशेष योगदान रहा। उरबा सरपंच के नेतृत्व में 56 गांव की महिलाओं का इस कोयला सत्याग्रह के सफल आयोजन का श्रेय दिया जाना भी लाजमी होता है। इनके अलावा कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेश त्रिपाठी, सविता रथ, शिव पटेल, राजेश गुप्ता, पद्नाभ प्रधान, पेलमा सरपंच सन कुमारी राठिया, हिंझार सरपंच चक्रधर राठिया,अक्षय नायक,बंशी ,मुरली नायक कुलेश्वर गुप्ता महादेव गुप्ता ,भोजमति राठिया,ममता राठिया, नील कुमारी राठिया, नित्या राठिया पद्मनाभ प्रधान, बबलू पटेल आदि का योगदान सराहनीय रहा।

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