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रायगढ़ विधान सभा से लल्लू सिंह आप पार्टी से प्रबल दावेदार …. उनकी लोकप्रियता भाजपा कांग्रेस की उड़ा सकती है नींद ….. 43 सालों की बेदाग राजनीतिक सफर …पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचने में अहम योगदान देने वाले भरत इसी आस में ….पढ़े पूरी खबर

 

रायगढ़।
भाजपा और कांग्रेस के बीच आम आदमी पार्टी भी मौजूद है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी में जिले के कुछ विधान सभा में प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। रायगढ़ विधान सभा में यूं तो कई दावेदार हैं। परंतु एक ऐसा चेहरा है जिसके आगे सारे चेहरों की रंगत फिकी पड़ जायेगी। आप से रायगढ़ विधान सभा के लल्लू सिंह सबसे एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि भरत दुबे भी इसी आकांक्षा से पार्टी के लिए पूरी तरह से शिद्दत के साथ रात दिन एक किए हुए हैं।
आम आदमी पार्टी लोगों की एक नई उम्मीद की किरण और पसंद बनते जा रही है। ऐसे में अब लोगों में आम आदमी प्रत्याशी पर नजरें टिकी हुई है। खरसिया विधान सभा से प्रत्याशी चयन के बाद रायगढ़ के लोगों में ज्यादा उत्सुकता इसलिए बनी है। आप की छवि को बनाए रखने प्रत्याशी पर थ्री सी फार्मूला बैठ रहा है की नहीं ? और पार्टी की जहां भी जीत हुई है इसी आधार पर हुई है। ऐसे में प्रत्याशी की छवि और उसके अब तक के राजनीति या गैर राजनीतिक सफर भी अहम मायने रखती है। लल्लू सिंह एक ऐसे जुझारू नेता के रूप में जाने और पहचाने जाते हैं जिनकी छवि एक संघर्ष शील नेता खास तौर पर उन्हें किसान हितैसी नेता के रूप में एक अलग पहचान बनी हुई है।

उनके गृह क्षेत्र में जिला पंचायत चुनाव से लेकर जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में लल्लू सिंह और उनके परिवार की एक अलग छवि है। लल्लू सिंह नेतनागर पंचायत के दो कार्य काल सरपंची किया फिर सीट आरक्षित हो जाने के ग्रामीण राजनीत से जिला और प्रदेश स्तर की और अग्रसर हुए। नेतनागर पंचायत में आज भी इनके ही परिवार से सरपंच और उप सरपंच तय होता। आज भी इनके ही परिवार की सरपंच और उप सरपंच है। इससे जाहिर हिता है कि इनकी राजनीतिक छवि बेदाग है। रायगढ़ विधान सभा में लल्लू सिंह की अच्छी खासी साख और पकड़ है क्षेत्र में उनका एक अलग राजनीतिक रसूख है। आम जनता के लिए वे हमेशा दलगत भावना से ऊपर उठ कर काम करने वाले नेता के रूप में देखे जाते है।
43 साल के राजनीतिक सफर में उनकी छवि हमेशा बेदाग रही घूसखोरी के नाम पर वे तिलमिला जाते है
शोषण और अन्याय के सख्त विरोधी हैं और आम जनता किसान मजदूर के साथ अन्याय के खिलाफ अक्सर शासन और प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ जाते हैं।
भ्रष्टाचार को जिस तरह आज सुविधा शुल्क माना जाता है इसके वे सख्त खिलाफत में है । राजनीत में रहकर भी वे गुटीय राजनीत से हमेशा दूर रहने वाले राजनीतिज्ञ के तौर पर उन्हें देखा जाता हैं। बीमार गरीब जरूरतमंदों के लिए लल्लू सिंह हमेशा तत्पर रहते हैं इसी वजह से इनके पंचायत और आसपास के क्षेत्र में इनकी अच्छी खासी पकड़ है। हालाकि लल्लू सिंह वो चेहरा है जो सिर्फ रायगढ़ तक में ही सीमित नहीं है उनकी पूरे जिले और आस पास के जिलों में एक संघर्ष शील जुझारू किसान नेता के रूप में विख्यात हैं।

दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के एक बार बिखरने के बाद शहर के भरत दुबे ने जिले में आप की कमान संभाली और पुनः स्थापित कर आप को एक नई दिशा में अहम भूमिका निभाई। लोगों की नजर में निर्दलीय प्रत्याशी और एक जुझारू नेता के रूप में सामने आए इसके पहले रायगढ़ विधान सभा फिर डीडीसी का निर्दलीय लड़कर राजनीत में अपनी पैठ बनाने में लगे रहे। इसके बाद वे अपनी जुझारूपन को निखारने के लिए अपनी छवि अनुरूप का मंच आम आदमी पार्टी को चुना इसके बाद से आम आदमी पार्टी में सक्रिय हो गए जिला अध्यक्ष के पद पर रहते हुए जिले में आम आदमी पार्टी को एक बार पुनः खड़ा करने में अपना अहम योगदान दिया। रायगढ़ में आम आदमी पार्टी एक बार बिखरने के कगार पर पहुंच गई थी परंतु आज जिले में आम आदमी पार्टी यानि भरत दुबे के तौर पर जाने जाना लगा। इस तरह से वे आम आदमी पार्टी से विधान सभा तक का सफर तय करने की ओर अग्रसर हैं और रायगढ़ विधान सभा से प्रत्याशी की दौड़ में शामिल है।


इसी बीच दिग्गज नेता लल्लू सिंह ने आप का दामन थाम लिया इसके बाद से रायगढ़ विधान सभा में लल्लू सिंह को उनके चाहने और मानने वाले रायगढ़ विधान सभा से उनकी दावेदारी को पक्की मानने लग गए हैं और वे इसे डीजर्व भी करते हैं। आम आदमी से लल्लू सिंह को टिकट मिलने पर यह कहा जा रहा है की मामला रोचक और त्रिकोणीय हो सकता है। फिलहाल आम आदमी पार्टी से रायगढ़ विधान सभा के लिए इन दो चेहरों पर ही नजरें टिकी हुई है।

रायगढ़ विधान सभा से आप प्रत्याशियों पर नजर डालें तो लल्लू सिंह और भरत दुबे ही दो ऐसे चेहरे हैं जिनमे पार्टी दांव लगा सकती है। हालाकि राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भाजपा और कांग्रेस में जनता की पसंद के प्रत्याशी नहीं होने की स्थिति में आप के चेहरे पर निर्भर करेगा की वह कितना टक्कर दे सकता है। ऐसी स्थिति में लल्लू सिंह के कहीं ज्यादा बेहतर माना जा रहा है।

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